Dec 23, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, अच्छी चीजों को होने में, बड़ी इमारतें बनने में, बड़ी सफलता पाने में और इतिहास लिखने जैसी चीजों को होने में वक्त तो लगता है। जी हाँ दोस्तों, अगर हम इस बात को स्वीकार लें तो यकीन मानियेगा सफलता की राह में मिलने वाली तात्कालिक या छोटी-मोटी असफलताएँ हमारे लिए चुनौतियों से अधिक कुछ नहीं होगी। चलिए, अपनी बात को मैं आपको फ्रांस के मशहूर ओलंपियन तैराक जेवियर के जीवन की कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
जेवियर वैसे तो फ्रांस के ही नहीं बल्कि दुनिया के बेहतरीन तैराकों में से एक थे, लेकिन वे ओलंपिक के तैराकी खेलों में कभी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाये। जेवियर की पत्नी भी तैराक थी और उन्होंने भी फ़्रांस के तैराकी दल के सदस्य के रूप में ओलंपिक में भाग लिया था, पर वे भी कभी मेडल नहीं जीत पाई। अब आप उन दोनों को दुर्भाग्यशाली मानें या यह स्वीकार लें कि उनमें ओलंपिक जीतने लायक़ प्रतिभा नहीं थी, आपकी मर्जी है। लेकिन आप इस विषय में कुछ भी निर्णय लें उससे पहले मैं आपको बताना चाहूँगा कि एक ओलंपिक खेल में उनके प्रतियोगी अमेरिका के महान तैराक फ़ेलेप्स थे। जिन्हें ओलंपिक तैराकी के खेल का बादशाह माना जाता है क्योंकि ओलंपिक खेलों में एथलेटिक्स में 23 स्वर्ण पदक जीतने के कारण सर्वाधिक स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड उनके ही नाम है। इसलिए मेरी नजर में फ़ेलेप्स से हारना भी गर्व की ही बात है।
ओलंपिक में हारना जेवियर के मन में घर कर गया और उन्हें कहीं ना कहीं स्वर्ण पदक ना जीत पाना अखरता रहा; दुख देता रहा या यूँ कहूँ स्वर्ण पदक की भूख उन्हें तड़पाती रही। पर करते भी तो क्या करते? हर खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ देने का एक समय होता है, जो जेवियर का पूरा हो गया था। उन्होंने इस बात को स्वीकार लिया था कि उनमें उतनी प्रतिभा नहीं है कि वे ओलंपिक में अपना राष्ट्रगान बजवा सकें। जेवियर ने अपने सपने को मारने की जगह अपने बच्चे के अंदर अपनी उम्मीदों को ढूँढना शुरू किया। जिसका पहला चरण बच्चे के अंदर छुपी प्रतिभा को पहचानना था और दूसरा चरण उसे निखारना था। चूँकि माता-पिता दोनों ओलंपियन थे इसलिए यह दोनों ही काम उनके लिए मुश्किल नहीं थे।
बच्चे के अंदर छुपी प्रतिभा को माता-पिता दोनों ने जल्द ही पहचान लिया और उसकी शुरुआती ट्रेनिंग शुरू कर दी। अब बच्चे की प्रतिभा को निखारने के लिए जेवियर दंपत्ति कड़ी मेहनत करने लगे। जिसका परिणाम कुछ ही सालों में नजर आने लगा और बच्चा जल्द ही टोकियो ओलंपिक में भाग लेने के लिए पहुँच गया। लेकिन पदक अभी भी दूर था, इस ओलंपिक में वह छठवें स्थान पर रहा। जेवियर दंपत्ति भी कहाँ चुप बैठने वाले थे, वे तो अभी भी ओलिपिक गोल्ड मेडल का सपना आँखों में बसाए बैठे थे। इसलिए वे हर वह प्रयास कर लेना चाहता था, जो उनके बेटे को गोल्ड मेडल विजेता बना सकने में सहायक हो सकता था। इसलिए टोकियो ओलंपिक खत्म होते ही उन्होंने अपने बेटे के लिए एक नया ट्रेनिंग सेंटर खोजा, जिसमें माइकल फेलेप्स के कोच रहे बाउमैन हेड कोच थे।
नए कोच बाउमैन ने इस युवा की क्षमता और उसके अंदर छुपी प्रतिभा और लगन को जल्द ही पहचान लिया। उन्होंने बच्चे को बताया कि ओलंपिक गोल्ड के लिए उसे ख़ुद को झोंक देना होगा। चूँकि बच्चे का भी अब एकमात्र लक्ष्य ओलंपिक गोल्ड था इसलिए उसने अपना सब कुछ झोंक दिया और अब गोल्ड पाने लायक़ स्पीड लाने के लिए उसने तैरना और सिर्फ़ तैरना शुरू कर दिया। बच्चे द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली मेहनत को देख कोच को भी जल्द ही भरोसा हो गया कि यह लड़का जल्द ही कुछ बड़ा कमाल करेगा।
देखते ही देखते 2024 ओलंपिक आ गया और जेवियर दंपत्ति आँखों में सपना और उम्मीद लिए एक बार फिर तैयार हो गए। वे जानते थे कि उनके बच्चे द्वारा जीता गया गोल्ड उन्हें जीवन भर का सुकून दे देगा। आगे बढ़ने से पहले दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि जेवियर दंपत्ति ने ख़ुद का खेल छोड़ने के बाद कोई और काम नहीं किया और उन्होंने अपनी पूरी बचत बच्चे को ट्रेनिंग दिलवाने में लगा दी। वे तो बस अपनी ज़िंदगी में सिर्फ़ एक चीज चाहते थे ‘ओलंपिक खेल में स्वर्ण पदक।
खैर, जल्द ही वह दिन भी आ गया जब उनके बच्चे को प्रतियोगिता में उतरना था। उस दिन वह बच्चा ईश्वर, प्रकृति, माता-पिता, कोच आदि सभी का आशीर्वाद और ख़ुद की जी तोड़ मेहनत के साथ प्रतियोगिता में उतरा और उस दिन उसने अपना पहला गोल्ड मेडल जीता। इतना ही नहीं 2024 ओलंपिक में ही इस बच्चे ने कुल 4 गोल्ड मेडल जीते और कुल 5 पदक लेकर वह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बना। जी हाँ दोस्तों, फ़ेस ऑफ द गेम, लियोन माशॉन इन पदकों के साथ पदक तालिका में अकेले ही 186 देशों से आगे खड़ा रहा। इतना ही नहीं लियोन अपने देश का पहला खिलाड़ी है, जिसने एक ही ओलंपिक में एक से अधिक स्वर्ण पदक जीते और जिन्होंने ओलंपिक के समापन समारोह में मशाल उठाई व 48 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ा।
दोस्तों, अब तो आप निश्चित तौर पर समझ ही गए होंगे कि मैंने इस लेख की शुरुआत में क्यों कहा था कि ‘अच्छी चीजों को होने में, बड़ी इमारतें बनने में, बड़ी सफलता पाने में और इतिहास लिखने जैसी चीजों को होने में वक्त तो लगता है।’ दोस्तों यकीनन कुछ कहानियाँ थोड़ी लंबी ज़रूर होती है; उन्हें पूरा होने में थोड़ा अधिक वक्त लगता है। लेकिन जब वे पूरी होती हैं तब वे वाक़ई कमाल की होती हैं, ठीक वैसी ही, जैसी जेवियर दंपत्ति की थी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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