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ईश्वर किसी भी रूप में आपकी मदद कर सकता है…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Mar 27
  • 4 min read

Mar 27, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक ऐसी घटना से करते हैं जो आपको दांतों तले उँगली दबाने पर मजबूर कर देगी। एक दिन अचानक ही एक व्यस्त राजमार्ग पर कहीं से एक छोटा सा उल्लू आ गया और कुछ इस तरह उछलकूद करने लगा जिससे कुछ देर के लिए पूरा यातायात ही रुक गया। पहले तो सभी लोगों को लग रहा था कि यह उल्लू पागल हो गया है। इसलिए एक यात्री ने इस बात की सूचना पुलिस हेल्प लाइन को दी, जिसे आगे की कार्यवाही हेतु महिला पुलिस अधिकारी सारा को दिया गया।


सारा को जब पता चला कि एक छोटा उल्लू सड़क पर बैठा है और यातायात बाधित कर रहा है, तो उसने सोचा कि वह इस पक्षी को हटाकर कुछ ही पलों में सारा ट्रैफ़िक सुचारू कर देगी। लेकिन जब वो घटनास्थल पर पहुँची तो वहाँ का माजरा देख आश्चर्यचकित रह गई। घटनास्थल पर एक छोटा सा उल्लू सड़क के बीचों-बीच खड़ा है और अपने आस-पास ट्रक, बस, कार आदि जैसी विशाल गाड़ियाँ होने के बावजूद भी अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं था। इतना ही नहीं वह लगातार अपने मुँह से ज़ोर-ज़ोर से आवाजें निकाल रहा था। उसे जब भी वहाँ से भगाने का प्रयास किया जाता, वह कुछ ही पलों में उड़कर वहीं वापस आ जाता। ऐसा लग रहा था मानो वह कुछ बताने की कोशिश कर रहा हो।


उसकी इन अजीब हरकतों को देख जब पुलिस ऑफिसर सारा ने उसे गौर से देखा, तो पाया कि उस उल्लू की एक टाँग में अजीब सी चमकती हुई कोई चीज बँधी हुई है। इससे उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि यह सब महज़ एक संयोग नहीं है। सारा ने पूरी सावधानी के साथ उस उल्लू के पास जाने का निर्णय लिया और धीमे कदमों से उसकी ओर बढ़ने लगी। उनकी आशा के विपरीत उल्लू उनसे डर कर भागा नहीं, बल्कि ख़ुद उनकी हथेली पर आकर बैठ गया। जब सारा ने उस उल्लू को नज़दीक से देखा तो पाया कि उसकी टांग पर एक धातु की डोरी बँधी थी, जिसमें एक छोटा सा नीले रंग का पत्थर लगा था, जो हल्की रोशनी में चमक रहा था। इसे देखते ही सारा को एहसास हुआ कि यह कोई साधारण गहना नहीं है। सर्वप्रथम उन्होंने वहाँ मौजूद एक चालक रे की मदद से ट्रैफ़िक को सुचारू करने के लिए दूसरी ओर डायवर्ट किया, जिससे वे इस रहस्यमयी स्थिति को ठीक से समझ सकें।


इसके पश्चात सारा ने पक्षी विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन मिशेल और अन्य विशेषज्ञों से इस विषय में बात करी तो उन्हें पता चला कि उल्लू की टांग पर बँधी चीज़ महज़ एक आभूषण नहीं, बल्कि एक ट्रेल मार्कर याने एक विशेष पेंडेंट थी जिसे पर्वतारोही अपने रास्ते को चिह्नित करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस जानकारी ने पूरी घटना को एक नई दिशा दी जिससे पता चल पाया कि यह पेंडेंट एक गुमशुदा पर्वतारोही रॉबर्ट का था, जो हाल ही में ट्रैकिंग के दौरान लापता हो गया था। धीमे-धीमे अब सारी बातें साफ़ होती जा रही थी और अब सारा और वहाँ मौजूद अन्य लोग समझ गए थे कि उल्लू वहाँ महज़ एक इत्तेफाक से नहीं आया था, उसका मकसद तो लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना था, ताकि वह लापता पर्वतारोही रॉबर्ट को बचा सके।


पक्षी विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन मिशेल की सलाह पर सारा ने उल्लू की इस अनोखी प्रवृत्ति पर भरोसा करने का निर्णय लिया और उनके साथ ही उल्लू के पीछे-पीछे जंगल की ओर चलने लगी। अब उल्लू उन्हें आगे-आगे उड़कर राह दिखाने लगा। उड़ान के दौरान वह बीच-बीच में टहनियों पर बैठ रहा था मानो वह उन दोनों का इंतज़ार कर रहा हो। उसका व्यवहार किसी अनुभवी मार्गदर्शक की तरह था।


इस लंबी थका देने वाली यात्रा के दौरान सारा को पर्वतारोही रॉबर्ट की कुछ चीजें और मिली जिससे उनकी सोच को और ज़्यादा बल मिला। इसमें एक डायरी भी थी जिसमें रॉबर्ट ने उस उल्लू और अपने अनोखे रिश्ते का जिक्र किया था। घंटों की परेशानी भरी यात्रा के बाद सारा और डॉ. स्टीवन मिशेल पेड़ों की ओट में छिपी एक गुफा तक पहुंचे जहाँ उन्हें कमजोर, प्यासा, लेकिन जीवित रॉबर्ट मिला। जब उल्लू रॉबर्ट के पास पहुँचा, तो उसकी आँखों में आँसू थे। इस विषय में बात करने पर रॉबर्ट ने बताया कि यह उल्लू ट्रेकिंग के दौरान उससे जुड़ गया था और उसकी मुश्किल घड़ी में उसे अकेला छोड़कर मदद लाने के लिए निकला था। इसी बात ने उसे उम्मीद दी थी कि कोई ना कोई उल्लू के संकेतों को समझेगा और उसे बचाने आएगा और अंत में उसका भरोसा सही साबित हुआ। रॉबर्ट की इस अनोखी कहानी ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी। अब वह छोटा सा उल्लू एक नायक बन चुका था, जिसने सिद्ध कर दिया था कि प्रकृति और इंसानों का गहरा संबंध अभी भी बना हुआ है।


दोस्तों, यह कहानी हमें ना सिर्फ़ उल्लू की बहादुरी बताती है बल्कि याद दिलाती है कि चमत्कार तब होते हैं, जब हम उन्हें देखने और समझने के लिए तैयार रहते हैं, और हाँ, विपरीत दौर में कभी-कभी, मदद वहीं से आती है जहाँ हम उसकी उम्मीद भी नहीं करते। इस नन्हे उल्लू ने साबित कर दिया था कि साहस और सच्ची मित्रता का आकार या अन्य बातों से कोई लेना-देना नहीं होता, मित्रता तो बस दिल की बात होती है। याने सच्चे दोस्त तो बस दिल में बसते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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