top of page

उत्कृष्ट जीवन के लिए ज़रूरी है शांत मन…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

July 16, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अन्य भावों की तरह क्रोध का हम में होना पूर्णतः सामान्य है, लेकिन उसके बाद भी अक्सर इसे एक नकारात्मक भाव के रूप में देखा जाता है। लेकिन मेरा मानना है, जब क्रोध पर आपका नियंत्रण ख़त्म हो जाता है और यह आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया और क्षमता को प्रभावित करने लगता है, यह सिर्फ़ तब ही आपके लिये नुक़सानदायक होता है। लेकिन अगर आप इस पर विजय पा लेते हैं तो यह आपका ग़ुलाम बन जाता है और आप अपनी इच्छानुसार शांतिपूर्ण जीवन जी पाते हैं। चलिए उक्त बात को हम सिकन्दर से जुड़े एक क़िस्से से समझने का प्रयास करते हैं।


बात उस समय की है, जब सिकंदर ने अपने रण कौशल से ग्रीस, इजिप्ट समेत उत्तर भारत तक अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। यह जीत वाक़ई बहुत बड़ी थी और इसीलिए सिकंदर को महान कहा जाने लगा था। इस बात का एहसास सिकंदर को उस वक़्त हुआ, जब कई सालों तक युद्ध करते रहने के कारण सेना काफ़ी थकी हुई नज़र आई और उसने सिकंदर से कहा कि अब वो अपने परिवार के पास वापस घर लौटना चाहती है।सिकंदर ने अपने सैनिकों की इच्छा का सम्मान किया और भारत से वापस लौटने का मन बना लिया। लेकिन तब तक भारतीय संस्कृति सिकंदर के मन पर अपना प्रभाव डाल चुकी थी। इसीलिए सिकंदर ने एक भारतीय ज्ञानी को अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया। उसने तुरंत स्थानीय लोगों से इस विषय में पूछना शुरू किया तो उसे एक पहुंचे हुए बाबा के बारे में पता चला, जो कुछ दूरी पर स्थित एक नगर में रहते थे।


सिकंदर ने विचार कर उन्हें अपने साथ ले जाने का निर्णय लिया और वो अपने दल-बल के साथ तत्काल उनके पास पहुंच गया। उस वक़्त ज्ञानी बाबा अपने ध्यान में मग्न थे। सिकंदर उनके ध्यान से बाहर आने का इंतज़ार करने लगा। कुछ देर बाद जैसे ही बाबा ध्यान से बाहर निकले और उन्होंने अपनी आँखें खोली, सिकन्दर के सैनिक ‘सिकंदर महान – सिकंदर महान’, के नारे लगाने लगे। बाबा उन्हें देख अपने स्थान पर ही बैठे-बैठे मुस्कुराने लगे।


सिकंदर को यह थोड़ा अटपटा लगा लेकिन वह इसे नज़रंदाज़ कर उनके पास गया और बोला , ‘मैं आपको अपने देश ले जाना चाहता हूँ। चलिए, हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो जाइये।’ बाबा ने उसी मुस्कुराहट के साथ कहा, ‘मैं तो यहीं ठीक हूँ, मैं यहाँ से कहीं नहीं जाना चाहता। जो मैं चाहता हूँ, वह सब यहीं उपलब्ध है। लेकिन हाँ, तुम्हें जहाँ जाना है; आराम से जाओ।’


एक साधारण से बाबा से इस तरह का जवाब सुन सिकंदर के सैनिक भड़क उठे। उनका मानना था कि इतने बड़े राजा को भला कोई मना कैसे कर सकता है? वे कुछ कहते या करते उसके पहली ही सिकंदर ने सैनिकों को शांत करते हुए बाबा से कहा, ‘देखिए मैं ‘ना’ सुनने का आदि नहीं हूँ , आपको मेरे साथ चलना ही होगा।’ इसपर बाबा बिना घबराये बोले, ‘देखिए, यह मेरा जीवन है और मुझे कहाँ जाना है और कहाँ नहीं, इसका फैसला मैं ही करूँगा।’ बाबा का जवाब सुनते ही सिकंदर गुस्से से लाल हो गया, उसने उसी पल म्यान में से अपनी तलवार निकाली और बाबा के गले से सटा दी, और बोला, ‘अब क्या विचार है? मेरे साथ चलोगे या मौत को गले लगाना चाहोगे?’


सिकंदर की बात सुनने के बाद भी बाबा पूर्व की ही तरह अभी भी शांत थे। वे मुस्कुराते हुए बोले, ‘मैं तो कहीं नहीं जा रहा, अगर तुम मुझे मारना चाहते हो, तो मार दो, पर आज के बाद कभी भी अपने नाम के साथ “महान” शब्द का प्रयोग मत करना, क्योंकि तुम्हारे अंदर महान होने जैसी कोई बात नहीं है… तुम तो मेरे गुलाम के भी गुलाम हो!!!’ बाबा के जवाब ने सिकंदर के क्रोध को और बढ़ा दिया। वह सोच रहा था कि भला दुनिया जीतने वाले इतने बड़े योद्धा को एक निर्बल, धोती में बैठा व्यक्ति, अपने गुलाम का भी गुलाम कैसे कह सकता है? वह क्रोध से लगभग चिल्लाते हुए बोला, ‘क्या मतलब है तुम्हारा?’


बाबा उसी मुस्कुराहट के साथ बोले, ‘देखो क्रोध मेरा गुलाम है। मैं जब तक नहीं चाहता, मुझे क्रोध नहीं आता, लेकिन तुम अपने क्रोध के गुलाम हो। तुमने बहुत से योद्धाओं को पराजित किया है, पर तुम अपने क्रोध से नहीं जीत पाये, वो जब चाहता है तुम्हारे ऊपर सवार हो जाता है, तो बताओ… हुए ना तुम मेरे गुलाम के गुलाम।’ सिकंदर बाबा की बातें सुनकर स्तब्ध रह गया। वह उनके सामने नतमस्तक हो गया और अपने सैनिकों के साथ वापस लौट गया।


दोस्तों, अगर आप ग़ौर करेंगे तो पाएँगे कि सिकंदर के निर्णय जहाँ क्रोध से प्रभावित थे, वहीं बाबा अपने क्रोध पर क़ाबू रख शांतिपूर्ण व्यवहार कर रहे थे। इसीलिए तो दोस्तों, कहा भी जाता है कि ‘जहाँ क्रोध होता है, वहाँ पानी के मटके भी सूख जाते है। इसलिए क्रोध के ग़ुलाम मत बनिए और शान्त रहिये क्योंकि शान्त मन से ही इस जीवन को उत्कृष्टता के साथ जिया जा सकता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

7 views0 comments

Kommentarer


bottom of page