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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

कंट्रोल्ड फ़्रीडम से खिलनें दें बच्चों का भविष्य…

Nov 21, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, स्कूल कंसलटेंसी के अपने कार्य के दौरान पिछले कुछ वर्षों में मैंने माता-पिता के व्यवहार में काफ़ी परिवर्तन देखा है। आजकल माता-पिता अपने बच्चों को एकदम सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में रखना चाहते हैं। बच्चे को विषम परिस्थितियों से बचाने की सोच में वे अक्सर भूल जाते हैं कि ऐसा करना बच्चे को अपनी असीम क्षमताओं को पहचानने से रोक देता है। अपनी बात को मैं आपको एक बहुत ही प्यारी कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात आज से कई साल पुरानी है, रामू किसान बहुत चिंतित और परेशान अवस्था में मंदिर में ईश्वर के सामने गुहार लगा रहा था। असल में वह अति वृष्टि की वजह से बर्बाद हुई फसल की वजह से परेशान था। काफ़ी देर तक प्रार्थना करने के बाद वह अचानक से बोला, ‘भगवान, मुझे तो लगता है आपको अपने भक्तों की कोई चिंता ही नहीं है। आप सर्वशक्तिमान हैं, उसके बाद भी इंसानों के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा, बिना सोचे, अपनी मनमर्ज़ी से काम करते हैं। कभी इतनी बारिश करते हैं कि सारी फसल बाढ़ में बह जाती है और कभी सूखे के कारण, तो कभी आँधी की वजह से बर्बाद हो जाती है।


रामू की बात को सुन भगवान को हंसी आ रही थी लेकिन साथ ही अपने भक्त की परेशानी देखी भी नहीं जा रही थी। वैसे भी हम सभी जानते हैं कि भगवान तो भोले और भाव के भूखे होते हैं। रामू द्वारा बार-बार की जाने वाली प्रार्थना को सुन एक दिन वे रामू को दर्शन देने पहुँच गए। ‘भगवान को अपने समक्ष देख रामू ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, ‘प्रभु!, आप तो अपनी सारी शक्ति मुझे दे दो, फिर देखना सारे किसान और सभी लोग कितने संतुष्ट और सुखी रहेंगे।’


रामू की बात सुन पहले तो भगवान ने उसे समझाने का प्रयास करा लेकिन जब वह नहीं माना तो वे बोले चलो ठीक है मैं अपनी सारी शक्तियाँ तुम्हें देता हूँ, अब तुम जैसा चाहोगे वैसा ही होगा। भगवान से आशीर्वाद स्वरूप वरदान पा रामू एकदम खुश था। अगले दिन से ही उसने मौसम को अपनी इच्छा अनुसार रखना शुरू कर दिया। अब ना ज़्यादा सर्दी पड़ रही थी और ना ही गर्मी, अब ना सूखा पड़ रहा था और ना ही अति वृष्टि हो रही थी।


ऐसे ही कुछ माह गुजर गए और रामू को खेत में अब लहलहाती चने की फसल नज़र आने लगी। रामू अब बहुत खुश था उसे लग रहा था अनुकूल मौसम के कारण ही उसे इतनी अच्छी फसल नज़र आ रही थी। लेकिन जिस दिन रामू फसल काटने गया उस दिन वह यह देख हैरान रह गया कि चने की फसल में दाने ना के बराबर थे। फसल को बर्बाद देख एक बार फिर रामू परेशान हो भगवान के मंदिर पहुँचा और जोर-जोर से गुहार लगाते हुए कहने लगा, ‘भगवान, एक बार फिर आपने अपनी मनमानी कर ली ना?’ भक्त की पुकार सुन भगवान एक बार फिर प्रकट हुए और बोले, ‘वत्स, अब तो सारी शक्तियाँ तुम्हारे हाथ में थी। अब तुम्हारी समस्याओं के लिए मैं ज़िम्मेदार कैसे हुआ?’ भगवान की बात सुन रामू बोला, ‘फिर आप ही बताओ भगवान सारे मौसम को अच्छा रखने के बाद भी मेरी फसल अच्छी क्यों नहीं हुई?’ भगवान मुस्कुराते हुए बोले, ‘वत्स, इसके लिए तुम स्वयं ही ज़िम्मेदार हो। जिस मौसम को तुम अपनी फसल के लिए नुक़सानदायी मान रहे थे असल में वह तो उसके लिए आवश्यक था। जहाँ बरसात फसल को पानी देती है वही सर्दी और धूप उसे पकने में मदद करती है।’ भगवान की बात सुन रामू को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान से माफ़ी माँगते हुए नई ऊर्जा के साथ कार्य करना प्रारम्भ कर दिया।


वैसे तो दोस्तों, उपरोक्त कहानी को सुन आप समझ ही गए होंगे कि हर पल बच्चों को सुरक्षित रखना उनके लिए फ़ायदेमंद नहीं बल्कि नुक़सान दायक ही है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चों का सम्पूर्ण विकास हो और वे हक़ीक़त को समझने के साथ-साथ असीम क्षमताओं को भी पहचान सकें तो आपको उन्हें कंट्रोल्ड फ़्रीडम देना होगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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