Sep 21, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, यक़ीन मानियेगा, जीवन में कठिनाइयाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको बेहतर बनाने के लिए आती हैं। बस अब यह आपके नज़रिए पर निर्भर करता है कि आप उनका सामना कर ख़ुद को उससे बड़ा सिद्ध कर, अपने लक्ष्यों को पाते हैं या फिर परिवार, परिचितों, परिस्थितियों या अन्य किसी बातों को दोष देते हुए, उससे बचने का प्रयास करते हुए, समझौतों से भरा जीवन जीते हैं। जी हाँ दोस्तों, रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों के प्रति आपका नज़रिया ही आपका परिचय सफलता से करवाता है। अपनी बात को मैं आपको एक प्यारी सी कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
कई साल पहले एक राजा ने गाँव को मुख्य बाज़ार से जोड़ते हुए महल की ओर जाने वाली रोड पर एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और स्वयं भेस बदल कर एक पेड़ के पीछे बैठ गये। असल में वे अवरोध के रूप में राह मे पड़े पत्थर के प्रति लोगों का रवैया जानना चाहते थे। अभी उन्हें राह में पत्थर रखे कुछ ही मिनट हुए थे कि तभी कुछ दरबारी राज दरबार जाने के लिए वहाँ से गुजरते हैं। उन दरबारियों में से ज़्यादातर दरबारी उस पत्थर को देखने के बावजूद भी उसे नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ जाते हैं, तो कुछ दरबारी उस पत्थर को लेकर आपस में चर्चा करते हुए आगे बढ़ जाते हैं।
इसके बाद बाज़ार जाने के लिए वहाँ से कुछ व्यापारी और गुजरे, लेकिन उन्होंने भी राह में पड़े बड़े पत्थर को नज़रंदाज़ कर दिया और आगे बढ़ गए। ठीक ऐसा ही कुछ वहाँ से गुजरने वाले नागरिकों ने भी किया। इन्हीं में से कुछ लोगों ने तो राजा से लेकर पूरी व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा किया। इसके कुछ देर बाद वहाँ से एक बहुत ही ग़रीब किसान गुजरा जिसके हाथ में खेती में काम आने वाले कुछ औज़ार, खाने की पोटली और कुछ थैलियाँ थी। राह में पड़े पत्थर को देख उसने अपने हाथों के सामान को नीचे रखा, फिर पत्थर को खसका कर रोड किनारे करने का प्रयास करने लगा।
काफ़ी देर तक प्रयास करने के बाद अंततः किसान पत्थर को सरकाने में सफल हो गया। अंत में जब वह अपना सामान उठाने के लिए गया, तब उसका ध्यान पत्थर के नीचे रखे थैले पर गया। किसान ने उस थैले को उठाकर खोला तो उसमें उसे हीरे-जवाहरात के साथ सोने के कुछ सिक्के और एक पत्र मिला, जिस पर लिखा था, ‘प्रिय मित्र, यह हीरे जवाहरात और सोने के सिक्के अब तुम्हारे हैं। यह सब तुम्हारी ईमानदारी, निष्ठा, मेहनत और अच्छे स्वभाव का इनाम है। कृपया इसे स्वीकार कर इस राज्य को अनुगृहीत करो।’ पत्र पढ़ने के बाद किसान ने हीरे-जवाहरात और सोने के सिक्कों को पत्र सहित वापस थैले में रखा और मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ गया।
राह में रखे पत्थर की ही तरह दोस्तों, हमारे जीवन में भी अनेकों रुकावटें आती है, जो कहीं ना कहीं हमारे ध्यान को लक्ष्य से भटकाकर, जीवन में आगे बढ़ने की हमारी गति को प्रभावित करती है। उस वक़्त हम में से ज़्यादातर लोग इन रुकावटों का सामना करने से बचते हैं और जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। यह स्थिति संकट के समय में आँखें बंद कर उससे बचने के प्रयास के समान ही है, जिससे होने जाने वाला कुछ नहीं है। अर्थात् विपत्ति, चुनौती, रुकावटों आदि के दौर में उनसे बचकर जीवन में आगे बढ़ना संभव नहीं है। इसके स्थान पर उनका डटकर सामना करना, आपको ख़ुद की क्षमताओं को पहचानने में मदद करने के साथ-साथ नई चीजों को सीखने का मौक़ा देता है, जो अंततः आपको बेहतर बनाने के साथ-साथ सफल बनाता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.comदोस्तों, यक़ीन मानियेगा, जीवन में कठिनाइयाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको बेहतर बनाने के लिए आती हैं। बस अब यह आपके नज़रिए पर निर्भर करता है कि आप उनका सामना कर ख़ुद को उससे बड़ा सिद्ध कर, अपने लक्ष्यों को पाते हैं या फिर परिवार, परिचितों, परिस्थितियों या अन्य किसी बातों को दोष देते हुए, उससे बचने का प्रयास करते हुए, समझौतों से भरा जीवन जीते हैं। जी हाँ दोस्तों, रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों के प्रति आपका नज़रिया ही आपका परिचय सफलता से करवाता है। अपनी बात को मैं आपको एक प्यारी सी कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
कई साल पहले एक राजा ने गाँव को मुख्य बाज़ार से जोड़ते हुए महल की ओर जाने वाली रोड पर एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और स्वयं भेस बदल कर एक पेड़ के पीछे बैठ गये। असल में वे अवरोध के रूप में राह मे पड़े पत्थर के प्रति लोगों का रवैया जानना चाहते थे। अभी उन्हें राह में पत्थर रखे कुछ ही मिनट हुए थे कि तभी कुछ दरबारी राज दरबार जाने के लिए वहाँ से गुजरते हैं। उन दरबारियों में से ज़्यादातर दरबारी उस पत्थर को देखने के बावजूद भी उसे नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ जाते हैं, तो कुछ दरबारी उस पत्थर को लेकर आपस में चर्चा करते हुए आगे बढ़ जाते हैं।
इसके बाद बाज़ार जाने के लिए वहाँ से कुछ व्यापारी और गुजरे, लेकिन उन्होंने भी राह में पड़े बड़े पत्थर को नज़रंदाज़ कर दिया और आगे बढ़ गए। ठीक ऐसा ही कुछ वहाँ से गुजरने वाले नागरिकों ने भी किया। इन्हीं में से कुछ लोगों ने तो राजा से लेकर पूरी व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा किया। इसके कुछ देर बाद वहाँ से एक बहुत ही ग़रीब किसान गुजरा जिसके हाथ में खेती में काम आने वाले कुछ औज़ार, खाने की पोटली और कुछ थैलियाँ थी। राह में पड़े पत्थर को देख उसने अपने हाथों के सामान को नीचे रखा, फिर पत्थर को खसका कर रोड किनारे करने का प्रयास करने लगा।
काफ़ी देर तक प्रयास करने के बाद अंततः किसान पत्थर को सरकाने में सफल हो गया। अंत में जब वह अपना सामान उठाने के लिए गया, तब उसका ध्यान पत्थर के नीचे रखे थैले पर गया। किसान ने उस थैले को उठाकर खोला तो उसमें उसे हीरे-जवाहरात के साथ सोने के कुछ सिक्के और एक पत्र मिला, जिस पर लिखा था, ‘प्रिय मित्र, यह हीरे जवाहरात और सोने के सिक्के अब तुम्हारे हैं। यह सब तुम्हारी ईमानदारी, निष्ठा, मेहनत और अच्छे स्वभाव का इनाम है। कृपया इसे स्वीकार कर इस राज्य को अनुगृहीत करो।’ पत्र पढ़ने के बाद किसान ने हीरे-जवाहरात और सोने के सिक्कों को पत्र सहित वापस थैले में रखा और मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ गया।
राह में रखे पत्थर की ही तरह दोस्तों, हमारे जीवन में भी अनेकों रुकावटें आती है, जो कहीं ना कहीं हमारे ध्यान को लक्ष्य से भटकाकर, जीवन में आगे बढ़ने की हमारी गति को प्रभावित करती है। उस वक़्त हम में से ज़्यादातर लोग इन रुकावटों का सामना करने से बचते हैं और जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। यह स्थिति संकट के समय में आँखें बंद कर उससे बचने के प्रयास के समान ही है, जिससे होने जाने वाला कुछ नहीं है। अर्थात् विपत्ति, चुनौती, रुकावटों आदि के दौर में उनसे बचकर जीवन में आगे बढ़ना संभव नहीं है। इसके स्थान पर उनका डटकर सामना करना, आपको ख़ुद की क्षमताओं को पहचानने में मदद करने के साथ-साथ नई चीजों को सीखने का मौक़ा देता है, जो अंततः आपको बेहतर बनाने के साथ-साथ सफल बनाता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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