Nov 17, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, हाल ही हम सब ने बड़े हर्षोल्लास के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया है और सोने का आजतक का अधिकतम भाव होने के बाद भी भारतीय बाजार में टनों में सोना बिका है और इसके अलावा घर, गाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक आइटम आदि की बिक्री ने भी रिकॉर्ड स्तर को छुआ है। मेरी नजर में यह आंकड़े सिर्फ एक बात की पुष्टि करते हैं कि आज के व्यस्त और उपभोक्तावादी समाज में ज्यादा सामान और दिखावा सुखी जीवन का प्रतीक बन गया है और हम में से कई लोग बिना कुछ सोचे समझे इस दिखावे के शिकार बनते जा रहे हैं। इसका प्रमाण रिसर्च का एक आंकड़ा है, जो बताता है कि 91.2 फ़ीसदी नौकरीपेशा लोगों के ऊपर 25 लाख रुपये का कर्जा है और पिछले 2 वर्षों में उन्होंने किसी ना किसी कारण से नया कर्ज लिया है। मेट्रो शहरों में मात्र 13.4 फीसदी लोग ही बिना कर्जे के अपना जीवन जी रहे हैं, जबकि साल 2022 में बिना कर्जे के जीवन जीने वाले लोगों का आंकड़ा 19 फ़ीसदी था। आगे बढ़ने से पहले मैं आपको एक बात और बता दूँ कि ज्यादातर लोग लिए गए कर्ज का उपयोग घर और कार के अलावा इंटरनेशनल ट्रैवल, विदेशों में शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, लक्ज़री सामान आदि पर कर रहे हैं।
ऐसे उपभोक्तावादी और दिखावा पसंद समाज में जहाँ कर्जा मैनेज करना और दूसरों के दिखावे की बराबरी करना असंभव सा होता जा रहा है, वहाँ मिनिमलिस्ट जीवनशैली हमें एक नई दिशा दिखा रही है। इस जीवनशैली से मेरा परिचय उज्जैन के रहने वाले हमारे देश के प्रतिष्ठित चित्रकार एवं ग्राफ़िक डिज़ाइनर श्री अक्षय आमेरिया जी ने करवाया था। एक मुलाक़ात के दौरान अक्षय जी ने मुझे उनके संकलन से कुछ किताबें देते हुए कहा था कि वे इन्हें पढ़ चुके हैं, अब आप इन पुस्तकों का लाभ लीजिए। जब मैंने उनसे इस विषय में कुछ प्रश्न किए तब उन्होंने बताया कि वे अब अपने जीवन से हर उस अतिरिक्त चीज को दूर कर रहे हैं, जिसकी उन्हें वास्तव में जरूरत नहीं है। इसी परिपेक्ष्य में उन्होंने ना सिर्फ़ दो से अधिक वर्षों तक नए कपड़े नहीं ख़रीदे बल्कि अपने पास रखे हर उस नए कपड़े को किसी ना किसी को दे दिया, जिन्हें वे प्रयोग में नहीं ला पा रहे थे। उस दिन अक्षय जी के साथ हुई इस मुलाक़ात से मैंने सीखा था कि कम वस्तुओं और कम जरूरतों के साथ भी खुशहाल और संतुलित जीवन जिया जा सकता है। इस जीवन शैली को ही हम मिनिमलिस्ट जीवनशैली कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जाये तो मिनिमलिस्ट जीवनशैली का मतलब कम से कम वस्तुओं के साथ जीवन जीना, जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सके और आपको मानसिक शांति दे सके। यह जीवनशैली न सिर्फ़ भौतिक वस्तुओं की कमी पर ज़ोर देती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी अनावश्यक बोझ को कम करने की बात करती है। जिससे इंसान अपने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देते हुए और गैर-जरूरी चीजों से दूर रहते हुए अपने जीवन को जी सके।
मिनिमलिस्ट जीवनशैली का सिद्धांत 4 मुख्य बिंदुओं पर आधारित है-
1. कम चीजों का होना:
मिनिमलिस्ट जीवनशैली का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत बेकार के सामान को हटाकर केवल उन्हीं चीजों को रखने पर आधारित है जो हमारे जीवन को सरल और उपयोगी बना सके। अर्थात् यह हमें केवल उन चीजों के साथ जीवन जीना सिखाती है जो वास्तव में जीवन के लिए जरूरी है।
2. सादगी पूर्ण जीवन जीना:
मिनिमलिस्ट जीवनशैली हमें महंगी और अनावश्यक चीजों को खरीदने के स्थान पर उन चीजों को चुनने के लिए प्रेरित करती है जो हमें असली ख़ुशी और संतोष प्रदान कर सके और हम सादगी पूर्ण जीवन जी सकें।
3. अनुभवों पर जोर देना:
जब आप मिनिमलिज्म को अपनाते हैं तब आपके लिए भौतिक वस्तुओं के मुक़ाबले जीवन में अनुभव ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं और आप वस्तुओं के मुक़ाबले यात्राओं, रिश्तों, हॉबीज आदि के ज़रिये अपने जीवन को अधिक समृद्ध बनाते हैं।
4. संगठित और व्यवस्थित जीवन:
कम वस्तुओं का होना न केवल जीवन को सरल बनाता है, बल्कि हमें अधिक संगठित और व्यवस्थित भी रखता है। जिससे हम अपने समय और ऊर्जा का सही कार्यों के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम मिनिमलिस्ट जीवनशैली के फायदों पर चर्चा करेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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