Nov 18, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कल हमने जाना था कि आज के व्यस्त और उपभोक्तावादी समाज में किस तरह दिखावा और सामान हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है और इसकी वजह से किस तरह आम भारतीय कर्जे के जाल में फँसता जा रहा है। साथ ही हमने यह भी जाना था कि अगर हम कम वस्तुओं और कम जरूरतों के साथ खुशहाल और संतुलित जीवन जीना सीख लें तो हम इस स्थिति से बच सकते है और इस जीवन शैली को ही हम मिनिमलिस्ट जीवनशैली कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो मिनिमलिस्ट जीवनशैली का अर्थ है मानसिक शांति के लिए आवश्यक कम से कम वस्तुओं के साथ जीवन जीना। जिससे आप अपने जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्राथमिकता देते हुए और ग़ैर ज़रूरी चीज़ों से दूर रहते हुए अपना जीवन जी सकें।
मिनिमलिस्ट जीवनशैली का सिद्धांत 4 मुख्य बिंदुओं पर आधारित है। पहला, कम चीजों के साथ जीना; दूसरा, सादगी पूर्ण जीवन जीना; तीसरा, अनुभवों पर जोर देना; चौथा, संगठित और व्यवस्थित जीवन जीना।
दोस्तों, आज हम मिनिमलिस्ट जीवनशैली के चार प्रमुख फायदों और उसे अपनाने के चार प्रमुख सूत्रों पर चर्चा करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं मिनिमलिस्ट जीवनशैली के फायदों से-
पहला फायदा - मानसिक शांति
अनावश्यक वस्तुएं जहाँ हमारे जीवन में तनाव और उलझनों को बढ़ाती है, वहीं कम वस्तुएं हमारा ध्यान अव्यवस्था से हटाकर महत्वपूर्ण चीजों पर केंद्रित करने में मदद करती है, जिसकी वजह से हम मानसिक रूप से शांत रह सकते हैं।
दूसरा फायदा - आर्थिक लाभ
मिनिमलिस्ट जीवनशैली में हम कम और आवश्यक वस्तुएं खरीदते हैं, जो हमें अनावश्यक खर्चों से बचाता है। इस अतिरिक्त बचत को हम दीर्घकालिक समय के लिए निवेश कर सकते हैं या नए अनुभव लेने के लिए खर्च कर सकते है।
तीसरा लाभ - पर्यावरण संरक्षण
जब हम कम वस्तुओं का उपभोग करते हैं, तो हम पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कम सामान खरीदने से उत्पादन, ऊर्जा और कचरे में कमी आती है, जिससे पर्यावरण की रक्षा होती है।
चौथा लाभ - बेहतर रिश्ते
जब हम भौतिक वस्तुओं की जगह अपने जीवन में अनुभवों और रिश्तों को महत्व देते हैं, तो हमारे संबंध अधिक मजबूत और सार्थक हो जाते हैं। यह जीवनशैली हमें अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने और उनकी कद्र करने का अवसर देती है।
दोस्तों, अगर आप इस जीवनशैली को अपनाना चाहते हैं तो निम्न चार सूत्रों को अपना सकते हैं।
पहला सूत्र - धीमी शुरुआत करें
धीमी शुरुआत करना इस जीवनशैली को अपनाने का पहला और महत्वपूर्ण सूत्र है। सर्वप्रथम उपयोग में ना आने वाली अनावश्यक चीजों को हटायें और उन वस्तुओं को व्यवस्थित करते जायें जो आपके लिए महत्वपूर्ण हैं।
दूसरा सूत्र - जरूरत और चाहत के अंतर को समझें
चीजों को इकट्ठा करने या ख़रीदने के पीछे अक्सर चाह होती है, ना की जरूरत। इस अंतर को समझें और केवल उन्हीं चीजों को खरीदें जो सच में आवश्यक हों।
तीसरा सूत्र - डिजिटल मिनिमलिज्म
केवल भौतिक वस्तुएं ही नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी मिनिमलिज्म अपनाया जा सकता है। अनावश्यक ऐप्स, नोटिफिकेशंस, और सोशल मीडिया पर बिताए गए समय को सीमित करें।
चौथा सूत्र - अनुभवों को प्राथमिकता दें
वस्तुओं की जगह अनुभवों को महत्व दें। नई चीजें खरीदने की बजाय, यात्रा पर जाएं, नए लोगों से मिलें, और जीवन को पूरी तरह से जियें।
अंत में मैं इतना ही कहना चाहूँगा दोस्तों कि मिनिमलिस्ट जीवनशैली हमें जीवन को सादा और सरल रखते हुए अधिक संतुष्ट और खुश रहने का मौक़ा देती है। मेरा तो यहाँ तक मानना है कि यह केवल एक जीवनशैली नहीं, बल्कि एक मानसिकता है, जो हमें अपने जीवन को अधिक संतुलित, शांत और सार्थक बनाने की प्रेरणा देती है। इससे हम कम में ही अधिक पाने की कला सीखकर, एक समृद्ध और सुखद जीवन जी सकते हैं। इसलिए मैं कहता हूँ, ‘मिनिमलिस्ट जीवनशैली ‘सादा जीवन उच्च विचार’ की ओर एक कदम बढ़ाने का मौका देती है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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