Oct 19, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, यक़ीन मानिएगा यह दुनिया वैसी ही है, जैसा आप इसे देखते हैं। अगर मेरी बात पर ज़रा भी संशय हो या आप इसे समझ ना पाएँ हों, तो ज़रा अपने आस-पास मौजूद लोगों को क़रीब से देखिएगा। आपको एहसास हो जाएगा कि नशा करने वाले को नशेड़ी, कवियों को कवि, साहित्यकारों को साहित्यकार, चोरों को चोर और संतों को संत मिल ही जाते हैं। कभी सोच कर देखिएगा ऐसा क्यूँ होता है? मुझे तो लगता है साथियों, कि वास्तव में मनुष्य एक चुम्बक के समान है। जिस तरह एक चुम्बक कई तरह की वस्तुओं से घिरे होने के बाद भी लोहे को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, ठीक उसी तरह इंसान भीड़ में भी अपने समान लोगों और परिस्थितियों को आकर्षित कर लेता है। इसीलिए तुलसीदास जी ने कहा है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी' अर्थात् आपकी भावनाएँ जैसी होती हैं, प्रभु आपको वैसे ही रूप में नज़र आते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो इंसान अपनी प्रवृति और भावना के अनुसार अपना प्रिय वातावरण तलाश लेता है या वैसी परिस्थितियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
वैसे, इंसान को एक बात चुम्बक से भी अधिक बेहतर और शक्तिशाली बनाती है, वह है अपनी चुम्बकीय शक्ति को स्वयं निर्धारित करना अर्थात् इंसान खुद निर्धारित कर सकता है कि वह कब, किसको, कैसे और कितना आकर्षित करे। उदाहरण के लिए अगर इंसान सज्जनता को आकर्षित करना चाहता है तो उसे अपने चारों और शांत या अधिक मात्रा में सज्जनता ही दिखाई देगी। वह महसूस करने लगेगा कि मानवता के श्रेष्ठ गुणों से रहित कोई भी इंसान इस दुनिया में है ही नहीं। जी हाँ साथियों, जब कोई अच्छाई ढूँढने निकलेगा तो उसे बुरे-से-बुरे समझे जाने वाले लोगों में भी अगणित अच्छाई नज़र आने लगेगी, जिन्हें देखकर उसका चित्त प्रसन्न हो जाएगा। इसके विपरीत अगर वही मनुष्य बुराई ढूँढने निकलेगा तो उसे अच्छे से अच्छे व्यक्ति में भी दोष ही दोष नज़र आने लगेंगे और हो सकता है वह मनुष्य उनकी निंदा करना भी शुरू कर दे। इसका अर्थ हुआ साथियों कि देखने और सोचने का तरीका बदल जाने से हमारी अनुभूतियाँ भी बदल जाती हैं और ऐसा होना स्वाभाविक ही है। दोस्तों अगर आप अपनी चुम्बकत्व की प्रकृति को निर्धारित करना चाहते हैं तो सिर्फ़ निम्न तीन चीजों को साधने का प्रयास करें-
पहला - कर्म
दोस्तों, कहा जाता है ना, जो बोया है वही काटोगे अर्थात् जैसे कर्म करोगे वैसे ही फल प्राप्त होंगे। इसका अर्थ हुआ अगर आप अपनी तरफ़ अच्छी और सकारात्मक चीजों को आकर्षित करना चाहते हो तो सबसे पहले अच्छे और सकारात्मक कर्म करना शुरू करो। अच्छे कर्म, अच्छी चीजों को आकर्षित करने वाली चुम्बकीय शक्ति बनाते हैं और सटीक गणनाओं के साथ सब कुछ सही समय पर वापस लेकर आते हैं।
दूसरा - अचेतन विश्वास
दुनिया में अच्छी चीजों में गहरी आस्था रखने वाले लोग अच्छे लोगों और अच्छी चीजों को अनजाने में अपने जीवन में आमंत्रित करते हैं। इसके विपरीत, जो लोग अच्छी चीजों के प्रति गहरा अविश्वास विकसित करते हैं, वे अपने जीवन में अनजाने में बुरी या नकारात्मक चीजों को आमंत्रित करते हैं। बाद में जब यही नकारात्मक चीज़ें उन्हें परेशान करती हैं तो वे शिकायत करते हैं। असल में उन्हें कभी इस बात का एहसास ही नहीं होता है कि इन्हें उन्होंने खुद ही आमंत्रित किया था।
तीसरा - जुनून
एक आदमी चुंबकीय रूप से लोगों और अवसरों को आकर्षित करता है, जो उसे किसी भी चीज में अधिक ज्ञान और अनुभव दे सकता है। जुनून आपके अंदर अवसरों और लोगों को आकर्षित करने की चुम्बकीय शक्ति पैदा करता है।
दोस्तों, हम अपने जीवन में सब कुछ ऊपर बताए गए तीन तरीकों से ही पाते हैं। इन नियमों के अनुसार ही हम अन्य चुम्बकों से आकर्षित भी होते हैं या उन्हें आकर्षित भी करते हैं। इन्हीं तीनों के अनुसार ब्रह्मांड ने हमें सब कुछ दिया है या आगे भी देगा। तो आईए, आज से हम कर्म, अचेतन विश्वास और जुनून को साधने का प्रयास करते हैं जिससे हम अपने जीवन को बेहतर बनाने वाली चीजों को आकर्षित कर सकें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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