कर्म और विचार दोनों को शुद्ध रख जिएँ जीवन…
- Nirmal Bhatnagar
- Apr 29
- 3 min read
Apr 29, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, मैंने ज्यादातर लोगों को अपनी असफलता के लिए भाग्य, किस्मत, परिवार और परिस्थितियों को दोष देते हुए देखा है। ऐसे लोग आपको अक्सर यह कहते दिख जाएँगे कि अगर ईश्वर ने सही समय पर सही मौक़ा दिया होता तो आज हम पता नहीं कहाँ होते। ऐसे लोगों को मैं अक्सर यही कहता हूँ कि आप और कहीं नहीं, यहीं होते क्योंकि आपका ध्यान मौकों को तलाशने और कमियों को देखने पर केंद्रित था जबकि ऊँचाइयों पर पहुँचने के लिए हमें मौकों का नहीं बल्कि ईश्वर प्रदत्त शक्तियों और अपने समय का सदुपयोग करना होता है।
चलिए एक बार को मान भी लिया जाये कि ईश्वर के द्वारा दिए गए मौकों से ही जीवन को बदला जा सकता है तो भी आपको सजगता के साथ अपने समय का सदुपयोग करना होगा क्योंकि जीवन में अवसर दुर्लभ होते हैं और जब ईश्वर अथवा समय कोई विशेष शक्ति या अवसर प्रदान करते हैं, तो उसका सही दिशा में उपयोग करना ही हमारे भविष्य को संवार सकता है। चलिए एक कहानी के माध्यम से हम इस गहन सत्य को समझने का प्रयास करते हैं।
एक बार एक व्यक्ति को रास्ते में यमराज मिले। वह व्यक्ति उन्हें पहचान नहीं पाया और उन्हें आगंतुक मान, उन्हें विनम्रता से पानी पिलाने लगा। उसकी सेवा भावना से प्रसन्न होकर यमराज ने उसे अपनी किस्मत बदलने का एक अनूठा अवसर दिया। उन्होंने उसे एक डायरी थमाई और कहा कि उसके पास केवल पाँच मिनट हैं, इन पाँच मिनटों में वो इस डायरी में जो भी लिखेगा, वही सच हो जाएगा।
व्यक्ति के पास समय सीमित था और शक्ति असीमित, किंतु उसने इस दुर्लभ अवसर का दुरुपयोग कर दिया। डायरी में पहले से लिखी भविष्यवाणियों को पढ़ते हुए उसने यह तय किया कि दूसरों के अच्छे भाग्य को बदल दिया जाए। उसने पड़ोसी की लॉटरी न निकलने, मित्र के चुनाव हारने जैसी कई बातें लिखीं। वह निरंतर दूसरों के लिए बुरा लिखता रहा। कुछ समय पश्चात वह अपने भाग्य के पेज पर पहुँचा और अपने भविष्य को बदलने के लिए पेन उठाने लगा, लेकिन तब तक उसके पाँच मिनट पूरे हो चुके थे। यमराज ने डायरी वापस ले ली और उसे बताया कि उसने अपनी शक्ति और समय को दूसरों का नुकसान करने में बर्बाद कर दिया, अब उसका अंत निश्चित है।
यह कहानी सुनने में साधारण और कल्पनाओं से भरी लगती है, लेकिन यकीन मानियेगा यह हमें अपने जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने के लिए एक आवश्यक और अत्यंत महत्वपूर्ण जीवन संदेश देते हुए हमें याद दिलाती है कि जब भी हमें अवसर या शक्ति मिले, तो हमें उसका उपयोग दूसरों का भला करने और स्वयं को संवारने में करना चाहिए। दुर्भावना और ईर्ष्या में उलझकर हम केवल अपना ही नुकसान करते हैं। दूसरों के बुरे की कामना करने वाला व्यक्ति न स्वयं आगे बढ़ता है और न ही आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है।
व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में भी यही सिद्धांत लागू होता है। जो व्यक्ति अपने समय और ऊर्जा को सकारात्मक लक्ष्यों में लगाता है, वही स्थायी सफलता प्राप्त करता है। जबकि जो व्यक्ति दूसरों को गिराने में व्यस्त रहता है, वह स्वयं पीछे रह जाता है। इसलिए ईश्वर के दिए ज्ञान, समय, अवसर या अधिकार को नकारात्मकता में न गंवाएं। दूसरों के उत्थान में सहायक बनें। दूसरों की सफलता को सहर्ष स्वीकारें और स्वयं के विकास पर ध्यान केंद्रित करें। अंततः, जो दूसरों के लिए शुभ सोचता और करता है, उसी पर ईश्वर की विशेष कृपा बनी रहती है और वही जीवन में सच्ची सफलता तथा आनंद प्राप्त करता है। याद रखियेगा, दूसरों के लिए जो गड्ढा खोदता है, सबसे पहले वही उसमें गिरता है। इसलिए, कर्म और विचार दोनों को शुभ रख, जीवन जिएँ। क्योंकि अंततः वही हमारे जीवन का मार्ग तय करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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