Feb 21, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, छोटी सी गलती पर अप्रत्याशित प्रतिक्रिया देना और अनावश्यक ग़ुस्सा करना आपको जीवन के हर क्षेत्र में नुक़सान पहुँचा सकता है। जी हाँ दोस्तों, फिर आप चाहे इसे पारिवारिक या व्यवसायिक; किसी भी स्तर पर आज़मा कर देख लें। हक़ीक़त में यह याने अप्रत्याशित प्रतिक्रिया और अनावश्यक ग़ुस्सा एक दो धारी तलवार के समान होता है क्योंकि यह प्रतिक्रिया देनेवाले और सामने वाले दोनों को ही नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। सामान्यतः लोग अप्रत्याशित प्रतिक्रिया और अनावश्यक ग़ुस्से का प्रयोग तात्कालिक लाभ के लिए करते हैं लेकिन अगर आप गहराई से देखेंगे तो पायेंगे कि अंत में यह कार्य और संबंध दोनों को नुक़सान पहुँचाता है। इसीलिए दोस्तों ग़ुस्सा करने और अनावश्यक प्रतिक्रिया देने के स्थान पर बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए शांत रहना ही हर हाल में लाभप्रद रहता है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई साल पुरानी है, राजा को भोजन परोसते समय एक सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। कपड़े ख़राब होने के कारण राजा को बहुत तेज ग़ुस्सा आया और उनकी त्योरियाँ चढ़ गयी। राजा के ग़ुस्सैल स्वभाव से सेवक पहले से ही परिचित था। इसलिए उनके हाव-भाव देख वह बहुत ज़्यादा घबरा गया। लेकिन तभी उसके मन में एक विचार आया और उसने परोसने के बर्तन में बची सारी की सारी सब्जी राजा के कपड़ों पर उड़ेल दी।
खाना परोस रहे सेवक की अप्रत्याशित हरकत देख राजा का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया। वह ग़ुस्से से चिल्लाते हुए सेवक से बोला, ‘तुमने ऐसा करने का दुस्साहस कैसे किया?’ सेवक ने पूर्ण संयम के साथ अत्यंत शांत भाव से उत्तर दिया, ‘महाराज! आपका गुस्सा देखकर मुझे एहसास हो गया था कि मेरी गलती के लिए आप मुझे मृत्युदंड देंगे। इस छोटी सी गलती पर एक बेगुनाह को मौत की सजा देना, आपकी प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचा सकता था। इसलिए मैंने सोचा कि मैं सारी सब्ज़ी आप पर उड़ेल देता हूँ ताकि दुनिया आपको बदनाम न करे और मुझे ही अपराधी समझे।’
सेवक के संतुलित जवाब ने उसी पल राजा की आँख खोल दी क्योंकि उसमें एक गंभीर संदेश छुपा हुआ था, जो सेवक के गंभीर भाव को दर्शा रहा था। राजा को आज एहसास हो गया था कि छोटी सी गलती पर ग़ुस्से से शक्ति और क्षमता का प्रयोग करते हुए प्रतिक्रिया देना उसकी साख और क्षमता पर हमेशा के लिए दाग लगा सकता था, जो उसके लिए निश्चित तौर पर नुक़सानदायक रहता। उसने तुरंत सेवक से माफ़ी माँगी और उसे जीवन की एक महत्वपूर्ण सीख सिखाने के लिए काफ़ी सारा इनाम दिया।
दोस्तों अगर आप सेवक के निर्णय को ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि उसने राजा के ग़ुस्से पर प्रतिक्रिया देने के स्थान पर बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए एक त्वरित निर्णय लिया, जिसने राजा को अपना निर्णय बदलते हुए उसका सम्मान करने को मजबूर किया। याद रखियेगा दोस्तों जब भी आप नकारात्मक प्रतिक्रिया और ग़ुस्से के स्थान पर सामने वाले का सम्मान बरकरार रखते हुए मानवता या इंसानियत के आधार पर निर्णय लेते हुए उसे माफ़ कर देते हैं, तब आप उसका दिल जीत लेते हैं।
याद रखियेगा दोस्तों, जो समर्पित भाव से सेवा करता है, उससे कभी गलती भी हो सकती है। फिर चाहे वह सेवक हो, मित्र हो या परिवार का कोई सदस्य। ऐसे समर्पित लोगों की गलतियों पर नाराज होने के स्थान पर उनके प्रेम और समर्पण का सम्मान करते हुए उन्हें माफ़ कर देना चाहिये। खुशहाल जीवन का सिद्धांत कहता है, ‘जिसके साथ तुमने गलत किया है, उससे माफी मांग लो। इसी तरह जो तुमसे माफी मांगने आ रहे हैं, उन्हें भी माफ कर दो। ऐसा करने से मन की कड़वाहट हमेशा के लिए ख़त्म हो जाती है।’ इसीलिए शायद क्षमा के विषय में भगवान कहते हैं, ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूँ। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्री भाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूँ!!!’ इसलिए दोस्तों आज से गलती पर क्षमा माँगना और दूसरों की गलती पर क्षमा करना शुरू करते हैं, तभी आप खुशहाल जीवन जी पाएँगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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