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खुद की राह बनाओ और उड़ान भरो !!!

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Mar 6, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन को अगर बेहतर बनाना है तो हमें हर पल सीखना होगा और यह तभी संभव हो सकता है जब हम सीखने के असली उद्देश्य और अपने जुनून की ताकत को पहचान पायें। सुनकर थोड़ा अटपटा लग रहा है ना? और हाँ इसीलिए शायद आप इसे स्वीकार नहीं पा रहे हैं। चलिए कोई बात नहीं! इसी चीज को मैं आपको दूसरे तरीके से समझाने का प्रयास करता हूँ। दोस्तों, इस दुनिया में सभी ने कभी ना कभी, किसी ना किसी से सुना ही होगा कि ‘जीवन में सफल होना है तो पढ़ना-लिखना पड़ेगा।’ लेकिन इसके बाद भी बहुत कम अच्छे से पढ़ पाते हैं। इसकी मुख्य वजह पढ़ने की वजह को लेकर स्पष्टता ना होना है। इस दुनिया में कई लोग अंकों की दौड़ में आगे निकलने या फिर सिर्फ़ दूसरों की बातें मानकर उनका अनुसरण करने को ही पढ़ाई की मुख्य वजह मानते हैं।


जी हाँ दोस्तों, ये सभी लोग इस बात से अनभिज्ञ रहते हैं कि सीखने का असली उद्देश्य स्वतंत्र सोच विकसित करना है। जो आपको भीड़ से अलग बना सके और आपको अपने फैसले खुद लेने का हौसला दे सके। लेकिन सीखने की वजह स्पष्ट ना होने के कारण अक्सर हम दूसरों की बातों से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि अपनी पसंद, अपनी इच्छाएँ भूल ही जाते हैं और इसी कारण कई लोग हमें अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए गुमराह भी करते हैं।


इसलिए दोस्तों हमेशा याद रखियेगा, असली सीख वही है जो आपको खुद की राह चुनने की ताकत दे सके क्योंकि जब आप अपनी मंज़िल खुद चुनते हैं, तब आप अपने दिल की सुनते हैं, और जब आप दिल की सुनते हैं, तभी जीवन में सच्ची संतुष्टि मिलती है। दोस्तों, निश्चित तौर पर अब आप सीखने का उद्देश्य तो समझ गए होंगे। आइए अब हम उस चीज पर चर्चा कर लेते हैं जो हमें अपनी मंजिल तक ले जाती है। जी हाँ, आप बिल्कुल सही अंदाजा लगा रहे हैं, मैं ‘जुनून’ की ही बात कर रहा हूँ।


जुनून ही वो ईंधन है जो आपके विचारों, आपके कामों और आपके सपनों को दिशा देता है। जब आप किसी चीज़ को लेकर जुनूनी होते हैं, तब आपको मेहनत करना बोझ नहीं बल्कि एक सफर लगता है, जो आपको हर दिन खुश करता है। सहमत ना हों तो स्वयं सोच कर देखिए दशरथ मांझी को पहाड़ काट कर रोड बनाने का जुनून ना होता, तो क्या वो कभी इतने वर्षों तक छेनी-हथौड़ा लेकर पहाड़ काटने में लगे रहते? या फिर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का जुनून न होता, तो क्या वो इतने बड़े खिलाड़ी बन पाते? इसी तरह अगर ए. आर. रहमान को संगीत से प्यार न होता, तो क्या उनकी बनाई धुनें हमारे दिलों को छू पातीं? बिल्कुल भी नहीं!


इसलिए दोस्तों, सबसे पहले अपने अंदर झाँकिए और पहचानने का प्रयास कीजिए कि वो कौन सा कार्य है जो आपको सबसे ज्यादा खुशी देता है? जिसे करते हुए आपको समय का पता ही नहीं चलता? अगर आप उसे पहचान पा रहे हैं तो बस वही आपका जुनून है और जब आप अपने जुनून को पहचान लेते हैं, तो आप उसके साथ अपने लक्ष्यों को पाना; उसके साथ जीना सीख ही जाते हैं। अर्थात् आप अपना रास्ता बना ही लेते हैं और तब सफलता आपके कदम चूमती है। लेकिन हाँ, एक बात याद रखिएगा! जब आप जुनून की राह पर आगे बढ़ेंगे तो रास्ते में चुनौतियाँ आएँगी, लोग हतोत्साहित भी करेंगे, पर आपको अपने जुनून की आग को जलाये रखना होगा क्योंकि, ‘जो अपने दिल की सुनते हैं, वही सच में अपनी जिंदगी जीते हैं।’ तो चलिए दोस्तों, आज खुद से एक वादा करते हैं, हम प्रति पल सीखेंगे, नया, अच्छा और बड़ा सोचेंगे, और अपने जुनून को अपना रास्ता बनाएंगे क्योंकि जिंदगी एक बार मिलती है, हमें इसे अपनी शर्तों पर जीना सीखना होगा। इसलिए साथियों, खुद की सुनो, खुद की राह बनाओ और उड़ान भरो!


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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