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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

खुल कर जीना हो तो अतीत में जीना छोड़ें !!!

Sep 16, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक छोटी सी लेकिन हमारी सोच, हमारे जीवन को नई दिशा देने वाली एक बहुत ही प्यारी कहानी से करते हैं।


बात कई साल पुरानी है, शहर में एक बहुत ही पहुंचे हुए संत आए हुए थे। एक दिन प्रवचन के दौरान उन्होंने सभी भक्तों से एक प्रश्न किया कि सबसे ज़्यादा बोझा कौन सा जीव उठा कर घूमता है। संत का प्रश्न सुनते ही भक्तों के जवाब आने शुरू हो गए। कोई कह रहा था कि गधा सबसे अधिक बोझ लेकर चलता है तो पहाड़ी इलाक़े में रहने वाले लोग खच्चर को सबसे अधिक बोझा उठाने वाला जीव बता रहे थे। इन दोनों के जवाब सुन राजस्थान से आया एक व्यापारी तो जोर-जोर से हंसने लगा। जब उससे उसकी हंसी के विषय में पूछा तो वह बोला इन्होंने शायद अभी तक ऊँट को नहीं देखा है। मेरे अनुसार तो सबसे अधिक बोझ वही उठा सकता है।


कोई हाथी को, तो कोई बैल को श्रेष्ठ बता रहा था। कुल मिलाकर कहा जाए तो जितने ज़्यादा भक्त थे, उतने ही तरह के उनके जवाब थे। लेकिन इस सब के बाद भी महात्मा पूरी तरह शांत बैठे-बैठे मुस्कुराते हुए भक्तों की बात सुन रहे थे। बीच-बीच में तो ऐसी स्थिति बनी कि सवाल-जवाब का यह दौर वाद-विवाद या आपसी झगड़े जैसा लगने लगा था। काफ़ी देर तक जब भक्तों के जवाब से हल नहीं निकला तो संत ने सभी को चुप करवाते हुए कहा, ‘भक्तों, तुममें से किसी के भी जवाब से मैं संतुष्ट नहीं हूँ क्यूँकि तुममें से किसी का भी जवाब सही नहीं है।’


संत का जवाब सुनते ही सभी भक्त एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि इतने सरल प्रश्न का जवाब वे गलत कैसे दे सकते हैं? सभी भक्त अब संत की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगे। संत ने सभी की आँखों में आँखें डालते हुए पूर्ण गम्भीर स्वर में कहा, ‘भक्तों, मेरी नज़र में तो इंसान वह जीव है जो सबसे ज़्यादा बोझा उठाए घूमता है।’


बात तो सही है दोस्तों, अगर आप थोड़ा गहराई से सोचेंगे तो पाएँगे कि जितने भी जीवों के नाम भक्तों ने लिए थे, वे अपने गंतव्य या लक्ष्य पर पहुँचकर अपना बोझा उतार देते हैं। लेकिन सिर्फ़ इंसान ही एकमात्र प्राणी है जो जीवन भर बोझा उठाए घूमता रहता है। हाँ, बस अंतर इतना है कि बाक़ी जानवर सामान के रूप में वज़नी बोझ उठा कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं। इसके विपरीत इंसान अपने मन और दिल के ऊपर जीवन में मिले नकारात्मक अनुभवों का बोझ उठाता है। जैसे, किसी के द्वारा की गई बुराई या किसी के द्वारा किया गया ग़लत व्यवहार या फिर खुद के द्वारा किया गया कोई पाप अथवा जाने-अनजाने में किसी और को पहुँचाया गया नुक़सान आदि और हाँ इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वह इस बोझे को उठा तो लेता है लेकिन इसे उतारना भूल जाता है। कहने का तात्पर्य है दोस्तों नकारात्मक अनुभवों, यादों अथवा भावों का बोझा लिए इंसान जीवन भर सुकून की तलाश में घूमता रहता है, अर्थात् नकारात्मक भावों के साथ दिल पर बोझ लिए जीवन जीता नहीं काटता रहता है।


दोस्तों, अगर आप अपना जीवन खुल कर जीना चाहते हैं तो सबसे पहले जीवन में अतीत में मिले नकारात्मक अनुभवों के बोझ को उतार फेंको। इसके बिना आप सही मायने में जीवन जीना सीख ही नहीं पाएँगे। याद रखिएगा, अतीत के नकारात्मक अनुभव भविष्य की सुखद आस को धूमिल करते हैं। इसीलिए कहता हूँ दोस्तों, पुराने अनुभवों से अपने वर्तमान को मत ख़राब करने दो। एक बार स्वयं को अपने अतीत से काटो और अपनी सम्पूर्ण शक्तियों की मदद से अपने वर्तमान को बेहतर बनाओ। हमेशा याद रखो, हर दिन शून्य से शुरू होता है और एक नया, अच्छा और सकारात्मक अतीत बनाने का मौक़ा देता है जो आपको बोझ रहित जीवन जीने में मदद करता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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