top of page
Search

खुल के जीना हो तो दिखावे से बचें…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Feb 3, 2024
  • 4 min read

Feb 3, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करना चाहूँगा। बात कई साल पुरानी है, सुंदरवन में बंदरों का एक बड़ा झुंड वहाँ मौजूद घने फलदार पेड़ों पर बड़े आराम से संतुष्टि के साथ रहा करता था। एक बार शोध करने के उद्देश्य से एक वैज्ञानिक अपनी छोटी सी लड़की को लेकर सुंदरवन आए और कुछ दिनों तक वहीं एक तंबू में रहे।

लगभग पंद्रह दिन तक जंगल में शोध पूर्ण करने के पश्चात वे कुछ पौधे लेकर वापस शहर की ओर लौट गये। लेकिन जल्दबाज़ी में अपनी बच्ची के खिलौनों में से एक, नक़ली सफ़ेद सेव फल, वहीं भूल गए। यह सेब दिखने में बहुत ही खूबसूरत, रसीला और मनमोहक लग रहा था। इस तरह का सेब बंदरों ने कभी देखा ही नहीं था, इसलिए वे सभी उसे बड़ी ललचाई नज़रों से देख रहे थे। तभी एक युवा बंदर ने अचानक ही पेड़ की सबसे ऊपरी शाख़ से ज़मीन पर छलांग लगाई और वह सुंदर सफ़ेद सेब लेकर वापस से पेड़ पर चढ़ गया।

चोर बंदर अब ख़ुद को सबसे समझदार, बुद्धिमान और अनोखे फल का स्वामी मान रहा था। उसने ऊपरी शाख़ पर बैठे-बैठे ही सभी बंदरों को वह अनूठा सेब दिखाना शुरू कर दिया। सभी बंदर हैरत और ललचाई नज़रों से उसे देखते हुए अपेक्षा कर रहे थे कि शायद वह युवा बंदर उन्हें भी इस अनूठे सेब को देखने और चखने का मौक़ा देगा। लेकिन इन सब की आशा के विपरीत चोर बंदर ने सबको फटकार लगाकर वहाँ से भगा दिया और ख़ुद उस कृत्रिम सेब को खाने का प्रयास करने लगा। कृत्रिम सेब किसी बहुत ही ठोस पदार्थ का बना था, इसलिए उसे चबाने के प्रयास में बंदर के दांत दुखने लगे। लेकिन बंदर भी कहाँ हार मानने वाला था, वह बार-बार प्रयास करने लगा जिसके कारण उसके दांतों का दर्द काफ़ी बढ़ गया। उस दिन बंदर पूरे दिन भूखा ही रहा।

अगले दिन बंदर वह कृत्रिम सेब एक हाथ में लिए पेड़ की सबसे ऊँची शाख़ से यह सोचते हुए नीचे उतरा कि चलो दूसरे पेड़ों से फल तोड़कर खा लेते हैं। तभी उसने देखा कि आज भी बाक़ी सभी बंदर उस कृत्रिम सेब की ओर ललचाई नज़रों से और उस युवा बंदर को सम्मान भरी नज़रों से देख रहे हैं। दूसरे बंदरों से मिलने वाले सम्मान को देखकर चोर बंदर ने सेब पर पकड़ मज़बूत बना ली। कुछ देर तक तो ऐसा ही चला, युवा बंदर उस सेब पर मज़बूत पकड़ बनाए नीचे ज़मीन पर बैठा रहा और बाक़ी बंदर उसे निहारते रहे। कुछ देर बाद दूसरे बंदर फलों की तलाश में निकले और एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक कूद कर फल तोड़ तोड़कर खाने लगे।

चोर बंदर के एक हाथ में अभी भी कृत्रिम सेब था, इसलिए वो स्वयं पेड़ पर चढ़ कर फल नहीं खा पा रहा था। इसलिए वह आज भी दिनभर भूखा-प्यासा रहा और यही सिलसिला अगले कुछ और दिनों तक चलता रहा। हालाँकि कई दिन गुजर जाने के बाद भी दूसरे बंदर उसके हाथ में कृत्रिम सेब देखकर उसका सम्मान करते थे, लेकिन वे भी उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं देते थे। भूख की वजह से अब चोर बंदर एकदम निढाल हो गया था। उसे लगने लगा था कि अब उसका आख़िरी वक़्त नज़दीक आ गया है, लेकिन उसके बाद भी वह ख़ुद को कृत्रिम सेब के मोह से अलग नहीं कर पा रहा था। उसने एक बार फिर उस सेब को खाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी नतीजा वही था याने इस बार भी उसके दांत दर्द कर रहे थे। चोर बंदर को सामने के पेड़ों पर फल लटके हुए नज़र आ रहे थे, लेकिन अब उसके शरीर में इतनी भी ताक़त नहीं बची थी कि वह पेड़ पर चढ़कर उन्हें तोड़ सके।


धीरे-धीरे उसकी आँखें हमेशा के लिए बंद हो गई। जैसे ही उसकी जान निकली कृत्रिम सेब पर पकड़ ढीली होने से वो उसके हाथ से बाहर लुढ़क गया। शाम को बाकी बंदर, उस मरे हुए बंदर के पास आए, कुछ आंसू बहाये और उसके शरीर को पत्तों से ढक दिया। जब वो यह कर रहे थे तब एक और बंदर को वह कृत्रिम सेब मिल गया और अब उसने अपना हाथ ऊँचा कर के सभी बंदरों को वह सेब दिखाना शुरू कर दिया।


दोस्तों, असल में इस दुनिया की भौतिक चीजें इस कृत्रिम सेब की तरह है। हर कोई इन्हें पाने का प्रयास करता है जबकि वह जानता है कि उसे अंत में इससे कुछ मिलने वाला नहीं है। इसके बाद भी थोड़े बहुत लोग किसी तरह इसे पा लेते हैं और दूर से इन लोगों और भौतिक चीजों को देखने वाले प्रेरित होते रहते हैं। अंत में दुनिया को हाथ में रखने का दावेदार आख़िर में ख़ाली हाथ ही इस दुनिया से चला जाता है और कोई और आकर उसकी दुनिया पर क़ब्ज़ा कर लेता है। इसीलिए दोस्तों कहा जाता है कि ‘झूठा दिखावा इंसान को पहले थका देता है और फिर मार डालता है।’ अगर आप इस दुनिया और जीवन का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं तो स्वयं को इस झूठे दिखावे से बचाना शुरू कर दीजिए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

Comments


bottom of page