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ख़ुद की क्षमता पर संशय ना करें…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

July 17, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, सच-सच बताइएगा, आपने कभी अपनी क्षमताओं पर शक करा है? मैंने तो कई बार किया है और उसके गंभीर परिणाम भी भुगते हैं। मैं सही कह रहा हूँ दोस्तों, साधारण सी लगने वाली इस बात के परिणाम हमेशा गंभीर ही होते हैं। इस विषय पर आगे बढ़ने से पूर्व मैं आपसे एक उदाहरण साझा करता हूँ। आपने देखा होगा कि महावत अपने हाथी को बांध कर रखने के लिए एक पतली सी चैन या रस्सी का उपयोग करता है। अगर मैं आपको विस्तार से बताऊँ तो वह इतने विशाल और बलशाली हाथी को बांध कर रखने के लिये उसके एक पैर में चैन या रस्सी बांधता है और उसके दूसरे सिरे को पेड़ या खूँटे से बांध देता है। हाथी की शक्ति के मुक़ाबले यह चैन बड़ी कमजोर होती है यानी अगर हाथी ज़ोर से एक झटका दे दे, तो यह चैन टूट सकती है। लेकिन वह हाथी जीवन भर उस चैन को तोड़ कर आज़ाद नहीं हो पाता है।


जानते हैं क्यों? क्योंकि जब वह हाथी बहुत छोटा था तभी से वो चैन उसके पैर में बांधी जाती थी। उस वक़्त वह छोटा सा हाथी इससे छूटने की बहुत कोशिश करता था, लेकिन वह उसे तोड़ नहीं पाता था। इस प्रयास में कई बार उसके पैर में घाव हो ज़ाया करते थे और उसे काफ़ी कष्ट सहना पड़ता था। समय के साथ यह दर्दनाक अनुभव हाथी के अंतर्मन में हावी हो जाता है और बीतते समय के साथ हाथी यह मान लेता है कि वह इस चैन को कभी तोड़ नहीं पाएगा। उसे इस बात का एहसास ही नहीं होता है कि गुजरते समय के साथ वह बहुत शक्तिशाली हो गया है और वह उस चैन को एक झटके में तोड़ सकता है।


ठीक ऐसा ही कुछ दोस्तों इंसान के साथ भी होता है। चौंकिए मत, चलिए इसे मैं आपको विस्तार से बताता हूँ। अक्सर आपने देखा होगा जब भी इंसान किसी बड़े लक्ष्य का पीछा करता है या पीछा करने के बारे में विचार भी करता है तो उसके मन में अनजाने डर के कारण ढेरों शंकाएँ जन्म ले लेती हैं। यह डर और शंकाएँ बीतते समय के साथ इंसान के मन में ढेरों नकारात्मक विचारों और भावों को जन्म देती है, जो सीधे तौर पर उस इंसान की निर्णय क्षमता को प्रभावित करते हैं और इंसान ख़ुद की क्षमता, शक्ति और योग्यता पर ही संशय करने लगता है। ख़ुद पर शक करने की यह आदत उस इंसान को बीतते समय के साथ एक ऐसे कुचक्र में फँसाती है, जो सब कुछ होने के बाद भी उस इंसान को समझौता करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ने को मजबूर कर देती है। ऐसे लोग कभी भी अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं; वे अपने जीवन को जीते नहीं, काटते है।


जी हाँ दोस्तों, ख़ुद की क्षमता पर संशय करने का परिणाम वाक़ई इतना गंभीर होता है। यह आपसे आपके जीवन भर की ख़ुशियाँ छीन सकता है; आपकी मानसिक शांति और ख़ुशी को भंग कर सकता है। दोस्तों, अगर आप शंका, सेल्फ डाउट, नकारात्मक भाव और अनजान डर के कुचक्र से बचना चाहते हैं और अपने बीते हुए नकारात्मक कल को पीछे छोड़ कर सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले ख़ुद की क्षमता, शक्ति और योग्यता पर शक करना बंद कीजिए। यह आपके लिए उस वक़्त और आसान हो जाता है जब आप इस कार्य के लिए किसी विशेषज्ञ याने कोच, काउंसलर या गुरु की मदद ले लेते हैं। लेकिन अगर ऐसा करना आपके लिए संभव ना हो तो सिर्फ़ एक काम कीजियेगा, आप अपने जीवन में क्या-क्या नहीं कर पाये, किन-किन चीजों में असफल हुए उन्हें याद करने के स्थान पर आपने कब-कब अच्छा प्रदर्शन किया; कब-कब आपको सफलता, ख़ुशी और शांति मिली, उन्हें याद करना शुरू कर दीजियेगा। ऐसा करना आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर देगा और आप अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पाना शुरू कर देंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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