Mar 1, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों यक़ीन मानियेगा एक छोटी सी आदत ऐसी भी है जो हमारे शरीर के लिए वरदान भी है और हमारे दिमाग़ के लिए रामबाण। चौंक गए ना कि ऐसी कौन सी आदत है जो हमारे शरीर और हमारे दिमाग दोनों के लिए लाभप्रद है। चलिए पहेलियों में बात करने के स्थान पर मैं आपको सीधे-सीधे बता देता हूँ। मैं बात कर रहा हूँ तेज चलने यानी ब्रिस्क वॉक की। अब आप निश्चित तौर पर सोच रहे होंगे, "चलना तो रोज़ ही होता है, इसमें नया क्या है?” तो दोस्तों, यकीन मानियेगा फर्क है! रोज़मर्रा की हड़बड़ी में जो चलना होता है, वो सिर्फ एक काम निपटाने जैसा होता है। लेकिन जब आप सजग होकर तेज़ चलते हैं, तो न सिर्फ आपके पैर चलते हैं, बल्कि आपका मन भी हल्का होता है और दिल भी खुश हो जाता है।
सहमत ना हों तो सोच कर देखिए आज आप तेज कब और क्यों चले थे? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा, ‘कहीं पहुँचने में देर हो रही थी, इसलिए।’ इससे काम नहीं चलेगा दोस्तों! आपको तो तेज इसलिए चलना है क्योंकि आप अपने दिल और पैरों का ख्याल रखना चाहते हैं। दोस्तों, जब आप तेज़ चलते हैं, तो आपकी धड़कनें तेज़ होती हैं; आपका रक्त संचार बेहतर होता है, और आपके शरीर में ताजगी की लहर दौड़ जाती है।
लेकिन दोस्तों, तेज चलने से होने वाले फायदों की बात यहीं खत्म नहीं होती! तेज़ चलने के साथ एक और जादू होता है – सोच का जादू! जब आप चल रहे होते हैं, तो आपके मन में कई विचार आते हैं। कुछ मीठे, कुछ पुराने, कुछ हल्के-फुल्के, तो कुछ परेशान करने वाले। इस स्थिति को डील करने के लिए हमें अपने अंतर्मन को ट्रेन करना होगा और ऐसा बनाना होगा जो इन विचारों को आने भी दे और जाने भी दे। अर्थात् हमें उस सोच में उलझने से बचना होगा और बस मुस्कुराते हुए चलते रहना होगा। फिर देखियेगा कि कैसे आपके विचार धीरे-धीरे सकारात्मक बनते चले जाएंगे।
इसमें हैरानी की बस एक बात होगी, जितना तेज़ आपकी चाल होगी, उतनी ही धीमी और गहरी आपकी सोच बनेगी। जी हाँ, तेज़ चलना, साथ में धीमी सोच होना और गहरा आत्म-विश्लेषण करना, यह एक अजीब लेकिन खूबसूरत विरोधाभास है! इसलिए ही कहते हैं, “अगर कोई हल ढूँढना हो, तो बस चल पड़ो। रास्ते अपने आप दिखने लगेंगे।” तो दोस्तों, अगली बार जब भी आप किसी समस्या में उलझे हों या किसी विषय में नए विचार चाहते हों, तो मोबाइल पर स्क्रॉल करने या रील देखने की बजाय जूते पहनिए और निकल पड़िए और तेज़ चलिए, खुली हवा लीजिए, और देखिए कैसे क्रिएटिव आइडिया खुद-ब-खुद आपके दिमाग में आने लगेंगे।
वैसे भी दोस्तों ज़िंदगी कितनी भी उलझी हुई क्यों ना हो या लग रही हो, आपको उसका हल सादगी में ही मिलेगा और हाँ उपरोक्त बातों के आधार पर कहा ही जा सकता है कि तेज़ चलना ही तो सबसे आसान तरीका है, अपने शरीर और मन दोनों का ख्याल रखने का। इसके लिए ना तो आपको किसी जिम की फ़ीस देना होगी और ना ही जिम मशीनों का कोई झंझट होगा। बस आप होंगे, आपके जूते होंगे और होगा खुला नीला आसमान। सही कहा ना मैंने? हमारी ज़िंदगी वाक़ई इतनी सरल ही होनी चाहिए।
तो दोस्तों, आज ही एक वादा ख़ुद से कीजिए कि मैं अब हर दिन कम से कम 20 मिनट तेज़ चलूँगा, अपनी सोच को सरल और हल्का रखूँगा और अपने दिल को ख़ुश रखूँगा क्योंकि चलना सिर्फ एक व्यायाम नहीं, यह तो जीवन को महसूस करने का तरीका है; अपने भीतर की आवाज़ सुनने का जरिया है। तो दोस्तों चलते रहिए और मुस्कुराते रहिए क्योंकि जब आप तेज़ चलते हैं, तो ज़िंदगी भी आपको खुशियों की ओर तेज़ी से ले जाती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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