Feb 6, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, इस कॉलम के ज़रिए में रोज़ आपके समक्ष ज़िंदगी को हसीन बनाने वाली कुछ दिलचस्प कहानियों और उनसे मिलने वाली गहरी सीखों को लेकर आता हूँ। ठीक उसी तरह मैं आज एक विशिष्ट कहानी लेकर आ रहा हूँ जो स्वादिष्ट पुलाव, कंकड़, और हमारी जिंदगी की एक अहम सच्चाई के बारे में है। एक बार, एक बड़े सेठ ने पारिवारिक समारोह का आयोजन किया। इस समारोह का माहौल बड़ा ही खुशनुमा था, और वहाँ मौजूद हर कोई स्वादिष्ट भोजन का इंतजार कर रहा था। शेफ़ और सेठ की पूर्व घोषणा के अनुसार इस भोज का मुख्य आकर्षण था, बासमती चावल का पुलाव, जिसकी खुशबू पूरे घर में फैली हुई थी। इसी वजह से वहाँ मौजूद सभी लोग अपनी भूख को काबू में रखते हुए भोजन शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। आखिरकार, सेठ के इशारे पर सभी लोगों को पुलाव परोसा गया। सब लोग अभी पुलाव को खाने की तैयारी ही कर रहे थे कि तभी, रसोइया आया और बोला, ‘आप सभी लोग पुलाव को संभलकर खाइएगा। वैसे तो मैंने चावल को अच्छी तरह से साफ किया है, लेकिन फिर भी संभव है कि इसमें एक-आध कंकड़ बच गया हो।’
इतना सुनते ही पारिवारिक समारोह का माहौल बदल गया। अब सभी लोग पुलाव के स्वाद पर ध्यान देने के बजाय, कंकड़ को लेकर सतर्क हो गए और पुलाव खाते समय हर कौर को ऐसे खाने लगे जैसे कंकड़ खोज रहे हों। इसी वजह से वहाँ हंसी-मजाक बंद हो गया था और सब लोग चुपचाप यह सोचते हुए खाना खा रहे थे कि कंकड़ कहीं उनके मुँह में न आ जाए।
खाना खत्म होने के बाद एक सज्जन रसोइए के पास पहुंचे और उससे प्रश्न करते हुए बोले, ‘तुमने ऐसा क्यों कहा कि पुलाव में कंकड़ हो सकते हैं? जबकि, यहाँ भोजन करने वाले किसी भी व्यक्ति के मुँह में कंकड़ नहीं आया?’ रसोइया मुस्कुराते हुए बोला, ‘वैसे तो मैंने चावल को बहुत अच्छे से साफ किया था। लेकिन चावल में कंकड़ ज्यादा होने के कारण मुझे लग रहा था कि इसमें शायद एक-दो कंकड़ बच गए होंगे। इसलिए मैंने सबको पहले ही सावधान कर दिया।’ इतना सुनते ही वहाँ मौजूद सभी लोग चुप हो गए। पुलाव वाक़ई बहुत स्वादिष्ट था, लेकिन कंकड़ की चिंता ने पुलाव खाने वालों से उनका पूरा मजा छीन लिया था।
दोस्तों, इस छोटी सी कहानी में एक बड़ी सीख छुपी है। हमारी जिंदगी में भी ऐसा ही होता है। कई बार, हम किसी समस्या की संभावना मात्र से इतना डर जाते हैं कि ज़िंदगी में ईश्वर द्वारा दिए गए हर पल का आनंद लेना भूल जाते हैं। सहमत ना हों तो जरा गहराई से सोच कर देख लीजियेगा। आपको एहसास हो जायेगा कि कितनी बार आपने किसी आने वाली समस्या के बारे में सोचकर अपने वर्तमान के सुख को बर्बाद किया है?
इस आधार पर सोचा जाये तो दोस्तों इस कहानी से हम निम्नलिखित बातें सीख सकते हैं-
1. सावधानी जरूरी है, लेकिन चिंता नहीं
दोस्तों सतर्क रहना अच्छा है, लेकिन सतर्कता के नाम पर हर छोटी बात की चिंता करना हमारे आनंद को छीन लेता है।
2. वर्तमान का आनंद लें
दोस्तों, जो पल अभी आपके पास है, उसे पूरी तरह जियें। भविष्य की अनावश्यक चिंता आपको खुशियों से दूर कर देती है।
3. जीवन को सरल बनाइए
दोस्तों जीवन के हर पल में कंकड़ों की तलाश न करें। ध्यान दें कि आपके पास क्या है, और उसका पूरा आनंद लें।
तो दोस्तों, अगली बार जब आप किसी स्वादिष्ट पुलाव का आनंद लें, तो कंकड़ों की चिंता में अपना मूड खराब मत कीजिएगा। याने अपने आने वाले जीवन को पूरी तरह खुल कर जीने का प्रयास कीजियेगा और इसके लिए अनावश्यक छोटी-छोटी चिंताओं से खुद को दूर रखियेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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