Oct 1, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, अक्सर बचपन में बड़े लोग समझाया करते थे कि समय, इच्छा और सपने कभी किसी के नहीं होते, वो तो बस हाथ में बंधी घड़ी के समान होते हैं जो हाथ से उतार देने के बाद भी सतत् चलती रहती है अर्थात् आप चाहकर भी अपने समय, सपने और इच्छा पर लगाम नहीं लगा सकते हैं; उसे अपनी इच्छानुसार रोक नहीं सकते हैं। जी हाँ दोस्तों, समय, इच्छा और सपने कभी किसी के लिए नहीं रुकते। उन्हें अपना समझना जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है। अपनी बात को मैं आपको एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ।
हाल ही में एक सज्जन मेरे पास आये और अपनी क़िस्मत व समय को दोष देते हुए बोले, ‘सर, जब समय बुरा होता है ना तब हाथ आए खाने को भी इंसान अपने मुँह तक नहीं ले जा पाता है।’ उन सज्जन की निराशा भरी आवाज़ सुन मैंने कहा, ‘भाई हो क्या गया ज़रा विस्तार से बताओ। पहेलियाँ बुझाने से समस्या सुलझ नहीं पाएगी।’ मेरे इतना कहते ही उन सज्जन ने एक गहरी साँस ली और फिर एकदम से ठंडी आवाज़ में बोले, ‘सर, जब लगने लगा था कि सब कुछ ठीक हो चला है। घर-परिवार के लिए भी आवश्यकतानुसार सारी व्यवस्थाएँ लगभग जुटा ली थी, बस तभी अचानक से ही व्यापार में ज़बरदस्त घाटा हुआ और देखते ही देखते परेशानियों के बीच परिवार भी बिखरने लगा। समस्याओं के इस दौर में समझ ही नहीं आ रहा है किस पर विश्वास करो, किस पर नहीं।’
हालाँकि मैं इन सज्जन की बात से बिलकुल भी सहमत नहीं था क्योंकि इनकी समस्या की मुख्य वजह क़िस्मत का ख़राब होना नहीं अपितु समय पर सही चीजों पर ध्यान नहीं देना था। ऐसा मैं उनसे और उनके परिवार से व्यक्तिगत रूप से परिचित होने के कारण कह सकता हूँ। मैंने बहुत क़रीब से देखा था कि जब उनका व्यवसाय अच्छा चल रहा था, उस वक़्त उनके लिए पार्टियाँ, दिखावा और ‘बाज़ारू सम्मान’ ज़रूरी हो गया था। जिसके कारण वे ना तो अपने घर पर और ना ही अपने परिवार पर ध्यान दे पा रहे थे। असल में साथियों जब सब अच्छा चल रहा था तब उन सज्जन ने समय को अपनी मुट्ठी में मान अपनी इच्छाओं और सपनों के आधार पर जीना शुरू कर दिया था। उस वक़्त वे भूल गए थे कि इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता और जो समय का मूल्य नहीं समझता है, समय उसे अपना मूल्य याद दिला देता है।
जी हाँ साथियों, जीवन में अवसर बार-बार नहीं मिला करते इसीलिए उन्हें सजग रहते हुए पकड़ना आवश्यक है। इसीलिए मेरा मानना है कि दिमाग़ी तौर पर सजग रहते हुए मौक़ों को पहचानने की हमारी क्षमता को ही क़िस्मत कहते हैं। अगर आप क़िस्मत वाले बनना चाहते हो तो सजग रहते हुए समय पर कार्य करने की अपनी आदत बनाओ। याद रखना घड़ी को ख़रीदकर अपना बनाना संभव है, लेकिन समय को नहीं। ठीक इसी तरह घड़ी को रोका जा सकता है; वह बंद हो सकती है; उसे हाथों में बांधा जा सकता है लेकिन समय का रोकना या बांधना असंभव है। ठीक इसी तरह साथियों घड़ी को पीछे घुमाया जा सकता है, लेकिन समय को नहीं। घड़ी बंद भी हो सकती है लेकिन समय चक्र नहीं, वह तो क्षण-क्षण करते हुए बीतता रहता है। इसीलिए दोस्तों कहा जाता है, ‘जो वक्त का सम्मान नहीं कर पाता, एक दिन वक्त भी उसका सम्मान नहीं करता है।’
इसलिए हमेशा याद रखियेगा, आज तक जीवन में जिसने भी ऊँचा मुक़ाम पाया है अपनी मेहनत और समयबद्धता के कारण ही पाया है। इसलिए हमें अपने समय का उपयोग ‘क़िस्मत ख़राब है’ या ‘वक़्त ख़राब है’ जैसी चिंताओं में बर्बाद करने के स्थान पर उसे चिंतन और मेहनत करने में लगाना चाहिए क्योंकि चिंता नहीं, चिंतन आपको सही राह दिखायेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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