Nov 6, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कौन कहता है कि ख़ुशियाँ, आत्मा या रूह को गरमाहट देने या फिर तृप्त करने वाली बातें या बहुमूल्य चीज़ें बहुत महँगी होती हैं। अरे ज़रा आप अपने आस-पास ध्यान से तो देखिए, पता नहीं कौन सी बात या घटना आपके दिल को ख़ुश कर जाएगी। जी हाँ साथियों, जीवन में अक्सर जो घटनायें आपके दिल को छू लेती हैं, आत्मा को प्रसन्न करती हैं, वे दिखने में बड़ी सामान्य सी लेकिन व्यापक असर रखने वाली होती हैं। हाल ही में ऐसी ही एक घटना का साक्षी होने का मौक़ा मुझे दो दिन पूर्व दिल्ली एयरपोर्ट पर मिला।
अपना व्यवसायिक कार्य पूर्ण कर मैं नई दिल्ली एयरपोर्ट से इंदौर की फ़्लाइट बोर्ड करने के पूर्व अपना सामान बैगेज़ ड्रॉप करने के उद्देश्य से काउंटर पर खड़ा था। उसी पल पास ही के काउंटर पर मेरा ध्यान एक बहुत ही बुजुर्ग दम्पत्ति पर गया। दोनों के हाव-भाव देख साफ़ समझ आ रहा था कि वे पहली बार हवाई यात्रा कर रहे हैं और उन्हें फ़्लाइट बोर्ड करने की पद्धति या स्टेप्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। इसके साथ ही मुझे यह भी एहसास हुआ कि अंग्रेज़ी ना आने के कारण उन्हें वहाँ मौजूद लोगों से संवाद करने में भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। मैं उनकी मदद करने के बारे में सोच ही रहा था कि काउंटर पर अपना नम्बर आने की वजह से थोड़ा व्यस्त हो गया।
चेक-इन की प्रॉसेस पूर्ण करने के पश्चात जैसे ही मैंने उक्त दम्पत्ति की ओर देखा, तो आशा के विपरीत एक युवा को उनकी मदद करता हुआ पाया। उस युवा ने ना सिर्फ़ चेक-इन अपितु सुरक्षा जाँच से लेकर बोर्डिंग तक उनकी पूरी मदद करी। इतना ही नहीं उस युवा ने नई दिल्ली से कानपुर तक की फ़्लाइट के दौरान भी उनका पूरा ध्यान रखा। जैसे, उसने उन्हें फ़्लाइट में सुरक्षा बेल्ट बांधने, उनकी फ़ोटो लेकर उसे उनकी बेटी को whatsapp पर भेजने में मदद करी। इतना ही नहीं इस युवा ने जब उस दम्पत्ति को संकोच और अंग्रेज़ी ना आने के कारण भूखा होने के बाद भी भोजन ना लेते हुए देखा, तो उसने एयर होस्टेस को बुलाकर उसे भुगतान कर पनीर सेंडविच और फल का रस देने का निवेदन किया। साथ ही उससे यह भी कहा कि वो उस दम्पत्ति को इस बात का एहसास ना होने दे कि उसने यह सब उनकी मदद करने के उद्देश्य से किया।
इस युवा से ऑर्डर ले एयर होस्टेस उक्त दम्पत्ति के पास गई और उनसे बोली के आप हमारी आज की फ़्लाइट के लकी विनर हैं और आपको हम सबकी ओर से यह भोजन फ़्री में मिला है। दोस्तों, आप सोच रहे होंगे कि अधूरी घटना देखने के बाद भी मुझे इतनी विस्तार से पूरी बात कैसे पता है, तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि अमिताभ शाह, जो उक्त दम्पत्ति की मदद कर रहे थे ने स्वयं इसे लिंकेडिन पर साझा किया था और उसी से ही मुझे उनके नाम और बाक़ी बातों का पता चला।
ख़ैर, उत्तर प्रदेश के दूरदराज़ गाँव से आठ घंटे की बस यात्रा करने के पश्चात नई दिल्ली से कानपुर की हवाई यात्रा करने वाले इस दम्पत्ति के चेहरे पर सुखद अनुभूति या तृप्ति साफ़ देखी जा सकती थी क्यूँकि आशा के विपरीत एक युवा ने इंसानियत को प्राथमिकता देते हुए उनके अनुभव को दिल को छू जाने वाला बना दिया था। इसीलिए तो दोस्तों, मैंने पूर्व में कहा था कि असली ख़ुशी या आत्मा को तृप्त करने वाली बातें बहुत महँगी नहीं होती। उन्हें तो बस इंसानियत और मानवता की दृष्टि से किए गए कार्य के मार्फ़त आसानी से पाया जा सकता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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