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छोटे प्रयासों से पाएँ बड़ी सफलता…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Mar 23
  • 4 min read

Mar 23, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन में घटने वाली हर घटना को स्वीकार कर, अगर सकारात्मक और कभी हार ना मानने वाले नजरिये से आगे बढ़ा जाये, तो यकीनन मनचाहे लक्ष्य को पाया जा सकता है। जी हाँ, ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जीवन में घटने वाली हर घटना कहीं ना कहीं हमारे जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हम भविष्य में क्या बनेंगे, इसका आधार बन जाती है। आइए इस बात को हम एक अमेरिकी युवा की कहानी से समझने का प्रयास करते हैं।


अमेरिका के शहर हैमिल्टन में माइनर लीग बेसबॉल के खिलाड़ी के घर एक बच्चे ने जन्म लिया, जिसका नाम जेम्स रखा गया। अपने पिता को देख जेम्स ने बचपन में ही पेशेवर बेसबॉल खिलाड़ी बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। इसलिए हाईस्कूल तक पहुंचते-पहुंचते वह एक अच्छा खिलाड़ी बन गया था। लेकिन तभी उसके जीवन में एक भयानक हादसा हुआ। हाईस्कूल के दूसरे वर्ष के अंतिम दिन बेसबॉल खेलते समय सहपाठी के हाथ से छूटा बेसबॉल का बेट सीधा जेम्स के मुँह पर टकराया जिससे उनकी नाक ‘यू’ के आकार की हो गई और उसमें से ख़ून की धारा बहने लगी। इस चोट से उनके स्कल में कई फ्रैक्चर हो गए थे और उनकी आँखों के सॉकेट्स भी टूट गए थे।


इस दुर्घटना के कुछ ही मिनटों बाद जेम्स के पूरे सर पर सूजन बढ़ने लगी। जिसे देख एक बच्चे ने अपनी टीशर्ट जेम्स को दी और अन्य बच्चों व शिक्षकों की सहायता से उसे नर्स तक पहुँचाया। जब नर्स ने उनसे कुछ सवाल किए, तो वे ठीक से जवाब नहीं दे सके और बेहोश हो गए। जेम्स को तत्काल पास ही के अस्पताल पहुंचाया गया। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने महसूस किया कि उनकी स्थिति बहुत नाजुक है। धीमे-धीमे उनके शरीर के अंग काम करना भी बंद कर रहे हैं और उनके लिए साँस लेना और कुछ निगलना भी मुश्किल हो रहा है।


अभी डॉक्टर अगले स्टेप्स पर विचार कर ही रहे थे कि उन्हें एक भयानक दौरा पड़ा और उनकी साँस कुछ क्षणों के लिए रुक गई। डॉक्टरों ने तत्काल उन्हें ऑक्सीजन लगाई और बेहतर इलाज के लिए उनकी माँ के साथ हेलीकॉप्टर से सिनसिनाटी के बड़े अस्पताल भेजा। वहाँ पहुँचते समय तक उनके दिमाग की सूजन इतनी बढ़ गई कि बार-बार दौरे पड़ने लगे। इस स्थिति में डॉक्टर सर्जरी नहीं कर सकते थे, इसलिए तीसरे दौरे के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। इस वक्त वे कोमा की स्थिति में थे। अगली सुबह उनकी हालत में थोड़ा सुधार आया और डॉक्टरों ने उन्हें होश में लाने का फैसला किया।


कुछ दिनों में उनके स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार हुआ और डॉक्टर ने चेहरे पर कुछ चोटों के साथ उन्हें अस्पताल से छुट्टी देकर, घर जाने दिया। इस वक्त उनके माता-पिता इस बात से संतुष्ट थे कि उनका बेटा ज़िंदा है। आने वाले महीने उनके लिए बेहद कठिन थे। उन्हें दोबारा सामान्य तरीके से चलना और जीवन की मूलभूत चीजों को सीखना था। लेकिन परेशानी और निराशा भरे इस दौर में भी जेम्स ने हार नहीं मानी और बीतते समय के साथ खेल के मैदान में वापस आने का संकल्प लिया। बेसबॉल में उनकी वापसी आसान नहीं थी। जो खिलाड़ी बचपन से खेलता आ रहा था, वह अब टीम से बाहर कर दिया गया था। उन्हें एक बार फिर जूनियर्स के साथ खेलना पड़ा, और हाई स्कूल के अंतिम वर्ष में उन्हें केवल कुछ ही मैच खेलने के मौके मिले। इस सबके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी क्योंकि वे जानते थे कि अगर कोई उनकी ज़िंदगी बेहतर बना सकता है, तो वो खुद ही हैं!


दो साल बाद जब उन्होंने डेनिसन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, तो उन्होंने इस नए अवसर का पूरा लाभ उठाने का निर्णय लिया। यही वह मोड़ था, जब उन्होंने छोटे-छोटे अच्छे बदलावों की शक्ति को पहचाना। अपने प्रयासों के कारण वे कॉलेज की बेसबॉल टीम में स्थान बनाने में सफल हो गए, लेकिन उन्हें तुरंत खेलने का मौका नहीं मिला। फिर भी, वे खुश थे क्योंकि वे अपने प्रयासों के कारण ‘कॉलेज एथलीट’ बन गए थे।इस वक्त उन्होंने एक नया निर्णय लिया कि जब तक उन्हें खेलने का मौका नहीं मिलता, तब तक वे अपनी ज़िंदगी को व्यवस्थित करेंगे। उन्होंने अपने दोस्तों के समान रात को देर तक जागने और वीडियो गेम खेलने के स्थान पर जल्दी सोना और कॉलेज की भागदौड़ के बीच अपने कमरे और सामान को व्यवस्थित रखना शुरू कर दिया। इन छोटे बदलावों ने उन्हें एहसास करवाया कि अब उनका जीवन उनके नियंत्रण में है। इससे उनका आत्मविश्वास काफ़ी बढ़ने लगा, जो अब खेल, पढ़ाई और उनकी जीवनशैली में साफ़ तौर पर देखा जा सकता था।


कॉलेज के दौरान वे लगातार छोटे लेकिन अच्छे बदलाव अपने जीवन में लाते रहे और ख़ुद को प्रतिदिन ख़ुद से बेहतर बनाते रहे। इससे उन्हें जीवन में चौंकाने वाले नतीजे भी मिले। छह सालों में अब वे डेनिसन यूनिवर्सिटी के टॉप मेल एथलीट बन गए थे और उन्हें ईएसपीएन अकादमिक ऑल-अमेरिका टीम में नामित किया गया था। आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि इसमें पूरे अमेरिका से मात्र 33 खिलाड़ियों को चुना जाता है। जेम्स ने खेल के साथ अपनी पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन किया और उन्हें विश्वविद्यालय के सर्वोच्च अकादमिक पुरस्कार प्रेसिडेंट मेडल से सम्मानित किया गया।


दोस्तों, आज हम सब जेम्स क्लियर को प्रसिद्ध किताब ‘एटॉमिक हैबिट्स’ के लेखक के रूप में जानते हैं। जेम्स टाइम मैगज़ीन, द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लिखते हैं बल्कि एक अच्छे स्पीकर के तौर पर भी बड़ी-बड़ी कंपनियों में बुलाए जाते हैं।


दोस्तों, जेम्स के जीवन से हम अपने जीवन को बेहतर बनाने की ढेरों सीख ले सकते हैं। जैसे, हम सभी को जीवन में कभी ना कभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उनसे कैसे उबरते हैं और अपने जीवन को कैसे आकार देते हैं। इसकी शुरुआत अपने जीवन में महत्वहीन लगने वाले छोटे बदलावों से होगी, जिन्हें सालों तक अपनाये रखना जीवन में असाधारण नतीजे लाएगा। जी हाँ दोस्तों, हमारे जीवन की गुणवत्ता, हमारी आदतों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। बेहतर आदतों के साथ जीवन में कुछ भी पाना संभव है क्योंकि दैनिक जीवन में लगातार किए गए छोटे प्रयास हमारी जीवनशैली बनाते हैं और हमारी जीवनशैली ही हमारी तक़दीर तय करती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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