Apr 18, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, इस दुनिया में एक तरफ़ जहाँ कुछ लोग जिन परिस्थितियों के कारण सफल नहीं हो पाते हैं या अपने सपनों को बीच में ही छोड़कर समझौता करते हुए जीवन जीते हैं, वही दूसरी तरफ़ कुछ लोग उन्हीं सब कारणों को अपने सफल होने की वजह बना लेते हैं। चलिए एक ऐसे ही शख़्स की कहानी से मैं आपको अपनी बात समझाने का प्रयास करता हूँ। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में गैस सिलेंडर डिलीवरी का कार्य करने वाले श्री खानचंद्र सिंह एवं गृहणी श्रीमती वीना देवी के यहाँ 14 अक्टूबर 1997 को एक लड़के ने जन्म लिया।
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण इस बच्चे का जीवन आसान नहीं था। बात चाहे शिक्षा की हो या खेल की पारिस्थितिक कारणों से इस बच्चे को हर स्तर पर संघर्ष करना पड़ता था। हर भारतीय बच्चे की ही तरह इस बच्चे को भी क्रिकेट खेलना काफ़ी पसंद था। ख़ाली समय और मौक़ा मिलते ही यह बच्चा क्रिकेट खेलने पहुँच ज़ाया करता था। थोड़ा बड़ा होने पर जब यह बच्चा क्रिकेट को अधिक समय देने लगा तो इसके पिता इसे खेलने से रोकने का प्रयास करने लगे। लेकिन जब उनके रोकने के बाद भी इसने खेलना बंद नहीं करा तो कई बार वे इसे छड़ी से मारा भी करते थे। हालाँकि उनके बड़े भाई जीतू सिंह उनकी इसमें मदद किया करते थे।
परिवार की स्थिति इतनी ख़राब थी कि कई बार खेलने के लिए बॉल ख़रीदने के लिए पैसे ना होने पर कुछ लोग उनकी मदद किया करते थे। गली में खेलना शुरू करने वाले इस बच्चे ने जल्द ही घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट खेलना शुरू कर दिया। एक बार इस बच्चे के विद्यालय ने क्रिकेट वर्ल्ड कप टूर्नामेंट करवाया, जिसमें पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश की टीमें खेलने आईं। इस टूर्नामेंट में इस बच्चे ने 354 रन बनाए और आठ विकेट झटके थे। इसलिए इस लड़के को ‘मैन ऑफ़ द सीरीज़’ का ख़िताब मिला। इस दिन संयोग से उनके माता-पिता भी मैच देखने के लिए आए थे। उसी दिन मैन ऑफ़ द सीरीज़ के अवार्ड स्वरूप इस युवा को एक मोटरसाईकिल ईनाम में मिली, जिसे इस खिलाड़ी ने अपने पिता को इसलिए दे दिया ताकि वे थोड़ा आरामदायक तरीके से गैस सिलेंडर की डिलिवरी कर सकें।
बच्चे का खेल के प्रति जुनून की हद तक दीवानापन और नैसर्गिक प्रतिभा को देखने के बाद पिता ने उस दिन के बाद इस बच्चे को कभी खेलने से रोका नहीं। पिता का सहयोग मिलने के बाद भी इस युवा की मुश्किलें खत्म नहीं हुई क्यूँकि उनका परिवार आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा था और क्रिकेट को आगे जारी रखने के लिए इस युवा को पैसे की सख़्त ज़रूरत थी। ऐसी स्थिति में इस युवा के भाई, जो साफ़-सफ़ाई करने का काम करते थे ने पैसे कमाने का सुझाव दिया और अपने सम्पर्क से इस युवा को एक कोचिंग सेंटर में झाड़ू-पोछे का काम दिलवा दिया।
अब यह युवा अपने दिन की शुरुआत उस कोचिंग में साफ़-सफ़ाई करने से करने लगा। लेकिन इसे इस कार्य में बिलकुल मज़ा नहीं आ रहा था। उसने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी इस कार्य को छोड़ अपने पेशन; क्रिकेट में ही समय लगाने और कैरियर बनाने का निर्णय लिया। अंडर 16 टीम के ट्रायल के दौरान भी इस युवा को दो बार असफलता हाथ लगी और उन्हें पहले राउंड में ही बाहर निकाल दिया। ऐसी स्थिति में मदद के लिए श्री मोहम्मद जीशान आगे आए और उन्हें मसूद अमीन से कोचिंग दिलवाना शुरू किया। कोचिंग से खेल में आए सुधार का परिणाम उन्हें जल्द ही मिलने लगा और इस युवा ने जल्द ही उन्होंने अंडर -16, अंडर -19 और अंडर -23 स्तरों पर उत्तर प्रदेश का और अंडर -19 स्तर पर सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व किया है। 5 मार्च 2014 को, उन्होंने 16 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था, जहां उन्होंने 87 गेंदों में 83 रन बनाए।
उन्होंने साल 2018 में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए आईपीएल में अपना डेब्यू किया था। लेकिन उनकी आई॰पी॰एल॰ यात्रा भी आसान नहीं थी, उन्होंने वहाँ भी कई चुनौतियों का सामना किया। जैसे इस युवा ने वर्ष 2018 के अपने पहले आईपीएल में 4 मैचों में 29 रन बनाए। वर्ष 2019 के आईपीएल में 5 मैचों में 37 रन और वर्ष 2020 के आईपीएल में 1 मैच में 11 रन बनाये और वर्ष 2022 के आईपीएल में 7 मैचों में 174 रन बनाए। इतने वर्षों की तपस्या, सफल होने के जज़्बे और ज़िद के कारण 2023 के आईपीएल में 9 अप्रैल को हुए मैच में इस खिलाड़ी ने मैच के आखिरी ओवर में अंतिम 5 बॉलों पर लगातार 5 छक्के लगाकर गुजरात टाइटंस को हरा, अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर को अप्रत्याक्षित जीत दिलायी।
जी हाँ दोस्तों, आप सही पहचान रहे हैं मैं क्रिकेटर रिंकू सिंह की बात कर रहा हूँ। याद रखिएगा, परिस्थितियाँ, संसाधन, पैसा या पॉवर नहीं अपितु किसी लक्ष्य को पाने की ज़िद, जीत का जज़्बा और हार के बाद भी स्वयं पर पूर्ण विश्वास रख कर पूरे दिल से किया गया एक और प्रयास आपको सफल बनाता है।
Comments