top of page

जिएँ जीवन मानवता का मिसाल बनकर...

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Sep 2, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन में घटने वाली कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं, जो मानवता और इंसानियत पर आम इंसान का भरोसा कई गुना बढ़ा देती है। अपनी बात को मैं हाल ही में घटी एक घटना के माध्यम से बताने का प्रयास करता हूँ। लेकिन आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि सामने वाले की गोपनीयता और निजता का सम्मान करते हुए मैं यहाँ उनका नाम नहीं लिख रहा हूँ।


कुछ दिन पूर्व एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एक महिला सूरत गई। वहाँ पहुँचकर सबसे पहले उन्होंने अपने लिए एक साधारण और छोटे लेकिन आरामदायक और साफ़ सुथरे होटल में एक कमरा लिया। कुछ देर के आराम के पश्चात यह महिला कार्यक्रम स्थल के लिए निकल गई। ट्रेन यात्रा और दिनभर की भागदौड़ ने इस महिला को बुरी तरह थका दिया था, इसलिए शाम ७ बजे के लगभग कार्यक्रम पूर्ण होते ही इस महिला ने ऑटो लिया और होटल जाने के लिए निकल पड़ी।


चूँकि होटल एक पतली गली में था इसलिए उक्त महिला ने लगभग चालीस मिनट की यात्रा के पश्चात ऑटो को होटल वाली गली के क़रीब छोड़ दिया और आगे की यात्रा के लिए एक रिक्शा कर लिया। रिक्शा की सवारी के दौरान गली में थोड़ा अंदर जाने पर उक्त महिला को एहसास हुआ कि जल्दबाज़ी में वह होटल का पूरा पता लेना भूल गई। होटल के नाम के आधार पर महिला ने होटल को खोजने का काफ़ी प्रयास करा, लेकिन उसे सूरत की तंग गलियों के अंदर और गलियाँ ही नज़र आ रही थी और अब तो उसे इस बात का भी पता नहीं चल रहा था कि वह किस दिशा में जाकर होटल खोजे।


गहराते रात के अंधेरे और बीतते समय के कारण महिला की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अंतिम प्रयास के रूप में महिला ने रिक्शा वाले को होटल का नाम आदि बता कर, रास्ता पता करने के लिए कहा। लेकिन उसे भी उस इलाक़े की ज़्यादा जानकारी नहीं थी। अंत में उस महिला ने रिक्शा वाले को उतार देने के लिए कहा और पैदल ही होटल ढूँढने का प्रयास करने लगी। कुछ दूर चलने के बाद महिला को एहसास हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने पलटकर देखा तो पाया कि वही रिक्शावाला थोड़ी दूरी बनाकर उसके पीछे-पीछे चल रहा है।


महिला अपने अंदाज़े की पुष्टि करने के लिए एक जगह रुक गई, महिला को रुका देख वह रिक्शावाला भी कुछ दूरी पर रुक कर इंतज़ार करने लगा। इस बात ने महिला को काफ़ी असहज और बेचैन कर दिया था। उन्हें लगने लगा था कि कुछ ना कुछ ग़लत हो रहा है, इसलिए उन्होंने और तेज चलना शुरू कर दिया। उनके ऐसा करते ही रिक्शावाला भी तेज चलने लगा। इस बात से परेशान होकर महिला ने हिम्मत जुटाई और वे रिक्शावाले के पास पहुँच गई और ग़ुस्से से उससे बोली, ‘तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’ रिक्शावाले ने एकदम शांत भाव के साथ कहा, ‘आप रास्ता भटक गई हैं। इसलिए मैं सिर्फ़ यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा हूँ कि आप सुरक्षित सही स्थान तक पहुँच जायें।’ रिक्शेवाले के जवाब ने ना जाने क्यों उस महिला का ग़ुस्सा बढ़ा दिया और वे लगभग चिल्लाते हुए बोली, ‘इससे आपको क्या? चलिए जाइए यहाँ से और मुझे अकेला छोड़ दीजिए।’ रिक्शावाला पूर्व की ही तरह शांत भाव के साथ बोला, ‘माफ़ कीजियेगा! हम कहीं नहीं जाएँगे। रात का समय है और आप इस शहर से अनजान लगती हैं। मुझे पैसे की चिंता नहीं है, बस यही खड़ा रहूंगा या आपके पीछे तब तक आऊँगा, जब तक आपको आपका होटल नहीं मिल जाता है।’


इस बार उस महिला को इस रिक्शेवाले की आवाज़ में सच्चाई नज़र आई। इसलिए महिला ने विरोध करने के स्थान पर धीमे-धीमे आगे बढ़ने का निर्णय लिया और उसके पीछे-पीछे रिक्शे वाले ने। कुछ ही देर में भटकते-भटकते महिला को अपना होटल दिख गया। उन्होंने राहत के साथ चैन की साँस ली और इशारे से रिक्शे वाले को अपने पास बुलाया और उसे पास ही की दुकान से इनाम स्वरूप मिठाई लेकर दी और साथ ही विपरीत स्थिति में साथ देने के लिए उसका शुक्रिया अदा किया। इस पर वह रिक्शावाला पहली बार मुस्कुराया और बोला, ‘मेरी दो बेटियां हैं, जिनमें से एक की उम्र तुम्हारे बराबर है। इसलिए मुझे तुम्हारी परेशानी समझ आ रही थी और मैं तुम्हारे पीछे चला, ताकि तुम सुरक्षित रहो।’ उसकी बात सुनकर महिला का दिल भर आया और वह तब तक रिक्शेवाले को जाता देखती रही जब तक वह आँखों के सामने से ओझल नहीं हो गया।


असल में दोस्तों, रिक्शे वाले की बातों और व्यवहार ने महिला के दिल को गहराई से छू लिया था। उस महिला ने इस घटना को साझा करते हुए बताया था कि उस रात उन्होंने महसूस किया कि ईश्वर वास्तव में हर पल हमारे साथ रहता है; हमारे साथ सड़कों पर चलता है और भटकने पर हमें वह सही राह दिखाता है। इसी बात को दूसरे शब्दों में कहा जाये तो रिक्शा वाला उस महिला के लिए देवदूत समान था, जिसने ना सिर्फ़ उसकी चुनौती भरे समय में मदद करी बल्कि इंसानियत पर उसके विश्वास को कई गुना बढ़ाया। इसीलिए दोस्तों मैंने लेख की शुरुआत में कहा था कि 'कुछ घटनाएँ मानवता और इंसानियत पर हमारे विश्वास को कई गुना बढ़ा देती हैं।’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

7 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page