Nov 28, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, हर इंसान अपने हिसाब से ज़िंदगी को देखता है, उसे महसूस करता है। इसीलिए तो कोई उसे लम्बी यात्रा, तो कोई उसे जुआँ तो कोई खेल, करतब, गीत जैसे ना जाने कितने उपनाम देता है। इन सभी उपमाओं के बारे में तो मैं बस इतना ही कहूँगा जिसने इसे जैसे देखा, जैसे जिया उसने उसे वैसा ही पाया। याने ज़िंदगी एक ऐसी अनोखी यात्रा या अनुभव है जिसे आप अपने फ़लसफ़े, अपने नज़रिए से जैसा चाहे बना सकते हैं, जी सकते हैं। अपनी बात को मैं आपको ताश के खेल से, यह मानते हुए कि आपने इसे निश्चित तौर पर कभी ना कभी खेला होगा या इसके बारे में बुनियादी जानकारी रखते हैं, समझाने का प्रयास करता हूँ-
ताश की गड्डी में 52 मुख्य पत्ते और 2 जोकर होते हैं। इन्हीं पत्तों के साथ कोई इससे जुआँ, याने परिवार और समाज के लिए हानिकारक खेल खेलता है तो कोई दिमाग़ को तेज बनाने, तार्किक आधार पर सोचने वाले तो कोई सिर्फ़ और सिर्फ़ मज़ा देने या टाइम पास करने वाले खेल खेलता है। पत्ते तो वही थे, लेकिन आपने अपनी सोच, अपनी आवश्यकता, अपनी प्राथमिकता, अपनी पसंद के आधार पर खेल चुना। ठीक इसी नज़रिए से जीवन को भी देखा जा सकता है।
आपने देखा होगा, ताश का खेल शुरू करने के पहले सामान्यतः ताश की गड्डी में से जोकरों को निकाल कर बाहर रख दिया जाता है। अर्थात् ताश के ज़्यादातर खेलों में उसकी अहमियत शून्य होती है। लेकिन अगर ताश की गड्डी में से एक भी पत्ता गुम हो जाए तो ताश खेलने वाले परेशान या चिंतित हो चिढ़ने नहीं लगते; ना ही वे खेल खेलना बंद कर देते हैं। वे तो बस गुमे हुए पत्ते के स्थान पर जोकर का प्रयोग यह मान कर करना शुरू कर देते हैं कि जोकर का मान, अब ताश के गुमे हुए पत्ते के सामान है। फिर चाहे वह पत्ता बादशाह या इक्का ही क्यों ना हो।
दूसरी नज़रों से देखा जाए दोस्तों, तो जोकर भी बादशाह बन सकता है, बस उसको उस नज़र से देखने वाला चाहिए। यही बात ज़िंदगी के विषय में भी सटीक बैठती है। हम ज़िंदगी को किस नज़रिए से देखते हैं, वही तय करता है कि ज़िंदगी कैसी है। नज़रिया सही ना होने पर कई बार परिस्थितियाँ या समय मनमाफ़िक ना होने पर लोग परेशान हो हार मानने लगते हैं। लेकिन सकारात्मक सोच या नज़रिया रखने वाले लोग ऐसी स्थितियों में भी चिंतित हो दुखी नहीं होते क्यूँकि वे जानते हैं कि समय सभी का आता है, दिन सभी के बदलते हैं, क़ीमत सभी की होती है।
जी हाँ साथियों, इसीलिए कहा जाता है कि ख़राब घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती है। याद रखिएगा, दुनिया में हर किसी की कुछ ना कुछ क़ीमत है, आपकी भी, मेरी भी, हम सब की, बस हमें उसको पहचानना होगा। दूसरे शब्दों में कहूँ दोस्तों, तो अगर आपका नज़रिया सकारात्मक है, आप धैर्य के साथ जीवन को स्वीकारते हुए अपना कर्म कर रहे हैं तो आप अपनी ज़िंदगी को सही मायने में जी रहे हैं। इसीलिए तो शायद अब्राहम लिंकन ने कहा है, ‘आप जीवन में कितने साल जिए, इसकी गिनती नहीं बल्कि कितने सालों में आपने जीवन जिया इसकी गिनती करें।’
तो आइए दोस्तों, आज से हम एक निर्णय लेते हैं कि अगर कभी भी ज़िंदगी हमें लम्बी यात्रा सी महसूस कराएगी तो हम उसके हर पड़ाव को हंसते हुए पूरा करेंगे। अगर यह खेल की भाँति लगी तो हम इसे जीतने के लिए आख़री साँस तक पूरे मनोयोग के साथ खेलेंगे, और अगर यह कर्तव्य की भाँति हुई तो हम उसे निभाएँगे, गीत हुई तो गुनगुनाएँगे। इसके लिए हमें पूरे आत्मविश्वास से अपने सपनों का पीछा करना होगा, उस जीवन को जीना होगा जिसकी कल्पना हम करते हैं और इस यात्रा में कभी भी आपका सामना हार से हो, तो कभी भी खुद को हारने ना देना।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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