Dec 31, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, मनचाहा परिणाम ना मिलने पर मैंने अक्सर लोगों को भाग्य या क़िस्मत को दोष देते हुए देखा है। फिर चाहे बात परीक्षा, कैरियर, रिश्ते, धन-दौलत या फिर जीवन के किसी और पहलू से ही संबंधित क्यों ना हो। हाल ही में ऐसा ही एक मामला मेरे समक्ष आया। मैं अपने एक क्लाइंट के साथ कुछ गंभीर विषयों पर चर्चा कर रहा था कि तभी उनका बेटा वहाँ पहुँचा। उसे देखते ही वे थोड़ा अचरज के साथ बोले, ‘अरे तुम गये नहीं?’ बेटा थोड़ा लापरवाही से मुस्कुराते हुए बोला, ‘पापा, मैं ट्रेन चूक गया।’ बेटे का जवाब सुनते ही पिता थोड़े नाराज़ होते हुए बोले, ‘तुम ऐसी लापरवाही कैसे कर सकते हो? कल सुबह तुम्हें वहाँ इंटरव्यू के लिए पहुँचना था।’ पिता की बात सुन बेटा उसी लहजे में बोला, ‘पापा, शायद वह नौकरी मेरी क़िस्मत में नहीं थी, इसलिए भगवान ने मेरी ट्रेन चुकवा दी। आप रिलैक्स कीजिए, भगवान ने मेरे भाग्य में कुछ अच्छा ही लिखा होगा।’
वैसे, व्यक्तिगत तौर पर मुझे उस युवा का परिस्थितिवश मिले नकारात्मक अनुभव को सकारात्मक नज़रिये से देखने का तरीक़ा बहुत अच्छा लगा था। लेकिन साथ ही साथ मैं उसके कैजुअल एप्रोच याने ‘चलता है’ वाले नज़रिये को देख चिंतित भी था। उसे इस बात का भान ही नहीं था कि वह अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण पल या घटना को क़िस्मत के नाम पर ढोल कर ईश्वर प्रदत्त मौक़े को यूँ ही गँवा रहा है। वह भूल गया था कि ज़िंदगी और कुछ नहीं, ईश्वर द्वारा एक-एक कर दिये गये ऐसे ही पलों का नाम है।
जी हाँ दोस्तों, हमारी ज़िंदगी में ईश्वर का दिया हर क्षण मायने रखता है क्योंकि ईश्वर द्वारा दिये गये इन्हीं क्षणों को पूर्णता के साथ जीकर हम अपना भविष्य बनाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो हम सब सचेत और जागरूक रहते हुए वर्तमान को जी कर, अपनी क़िस्मत; अपना भाग्य बनाते हैं। सही कहा ना मैंने… इसीलिए तो कहा जाता है कि ‘आपकी जीवनशैली याने आपके द्वारा ईश्वर प्रदत्त पलों को जीने का तरीक़ा देखकर बड़े आराम से बताया जा सकता है कि आप अपने जीवन को कैसे संरचित कर रहे हैं।’ जी हाँ दोस्तों, आपकी जीवनशैली आपके भविष्य के बारे में बहुत कुछ भविष्यवाणी करती है।
वैसे दोस्तों, उपरोक्त घटना याने पिता-पुत्र की बातचीत से हम एक और महत्वपूर्ण बात सीख सकते हैं। बेटा जहाँ ‘चलता है’ वाले नज़रिए से घटना को देख रहा था, वहीं उसके पिता उसकी चूक पर पछता रहे थे। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें बच्चे को गलती के लिये डाँटना नहीं चाहिए था या फिर उनका टोकना ग़लत था। मैं तो सिर्फ़ आपको यह बताना चाहता हूँ कि जीवन जीने के लिए है, न कि पछताने के लिए। अर्थात् ना तो हमें जीवन को चलता है वाले नज़रिए से जीना है और ना ही हमें इसे अतीत की घटनाओं को देखते हुए पछतावे के साथ बिताना है। दोनों ही बातें हमारे अंतर्मन में नकारात्मक छवि बनाएगी याने उस घटना से बनने वाली छवि नकारात्मक होगी।
याद रखियेगा साथियों, हमारे द्वारा बिताया गया हर पल, अगले पल के लिए स्मृति बन जाता है। अर्थात् वर्तमान को जीने का हमारा तरीक़ा, अगले ही पल हमारे लिए एक स्मृति बनाता है। अगर हमने उस पल को नकारात्मक तरीक़े से जिया है, तो हम नकारात्मक स्मृति बनायेंगे और अगर सकारात्मक तरीक़े से जिया है, तो सकारात्मक स्मृति बनायेंगे। इसलिए हमें ईश्वर द्वारा दिये गये हर पल को पूर्णता के साथ जीना सीखना होगा। जिससे हम अपने वर्तमान को सुंदर बना कर, सकारात्मक और अच्छी स्मृतियाँ बना सकें।
तो आईए दोस्तों, आज हम इस साल के अंतिम दिन एक निर्णय लेते हैं कि आज से हम अपने हर पल का उपयोग सर्वोत्तम तरीके से करेंगे और अपने जीवन को और बेहतर बनाएँगे। क्योंकि, ईश्वर ने हमारे हाथ में इस ज़िंदगी को रोकने या रिवाइंड करने का कोई बटन नहीं दिया है। इसलिए हम अभी जो कर रहे हैं, वही फाइनल है। वही हमारी स्मृति बनेगा और आगे चलकर हमारे जीवन को अच्छा या बुरा बनायेगा। इसलिए दोस्तों, अपने आस-पास होने वाली हर घटना से खुशियाँ निकालना सीखें। जीवन से मिले कुछ अनुभव हमें आगे बढ़ाते हैं, तो कुछ अनुभव हमें सीखने का मौक़ा देते हैं। इसलिए अनुभव कोई सा भी हो हमारे लिए लाभप्रद ही रहता है। इसलिए, वर्तमान को शालीनता से स्वीकारें और अपने भविष्य को कलात्मक रूप से संवारते हुए अपने जीवन का आनंद लें, उसे यादगार यादें बनाएं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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