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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जियें कृतज्ञता के भाव के साथ…

Sep 23, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइये आज के लेख की शुरुआत एक कहानी के साथ करते हैं। रामपुर के राजा के पास एक बहुत ही विशाल फलों का बगीचा था। जिसमें राजा ने अपने सभी पसंदीदा फलों के पेड़ लगवा रखे थे। जैसे - आम, अंगूर, केला, पपीता, नारियल, अमरूद, नारंगी, संतरे आदि। अपने इस बगीचे की देखभाल के लिए राजा ने बड़े ही नेक दिल, धार्मिक और सुलझे हुए किसान को दे रखी थी। बगीचे की व्यवस्थित देखभाल के साथ किसान प्रतिदिन ताजे फल लेकर राजा के पास ज़ाया करता था।


एक दिन किसान जब बाग में राजा के लिए फल तोड़ने गया तो बड़ी दुविधा में पड़ गया क्योंकि उस दिन बाग में अंगूर, अमरूद, नारियल और अनार पककर तैयार हो गये थे। वह सोचने लगा कि आज राजा के लिए कौन सा फल तोड़कर ले जाया जाए। काफ़ी सोच-विचार करने के बाद किसान ने राजा के लिए अंगूर ले जाने का निर्णय लिया। किसान ने कुछ अंगूरों को तोड़ा और उसे टोकरी में रखकर राजमहल की ओर चल दिया।


राजमहल पहुँचने पर किसान को राजा थोड़े नाराज़ और विचारों में खोये दिखे। किसान ने राजा को डिस्टर्ब करने के स्थान पर उनके समक्ष रसीले अंगूरों की टोकरी रखी और पास में खड़े रहकर राजा की निद्रा के टूटने का इंतज़ार करने लगा। दूसरी ओर राजा ख्यालों में खोये-खोये अंगूर की टोकरी में से अंगूर उठाते और फिर उसमें से कुछ खाते और कुछ निशाना साधकर किसान के माथे पर मारते। राजा का अंगूर जब भी किसान को लगता किसान दोनों हाथ जोड़कर आसमान की ओर देखता हुआ बोलता, ‘भगवान बड़े दयालु हैं!’ काफ़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा और किसान हर बार अंगूर लगने पर हाथ जोड़कर बोलता रहा, ‘भगवान बड़े दयालु हैं!’


कुछ देर बाद राजा की निद्रा टूटी और उन्हें अहसास हुआ कि वे क्या कर रहे हैं और उस पर किसान क्या प्रतिक्रिया दे रहा है। वे तुरंत सचेत होकर बैठ गये और किसान की ओर आश्चर्य से देखते हुए बोले, ‘मैं तुम्हें पता नहीं कितनी देर से अंगूर मार रहा हूँ और तुम हर बार दोहरा रहे हो कि ‘भगवान बड़े दयालु हैं!’, यह क्या माजरा है?’ राजा की बात सुनकर किसान ने पहले तो उन्हें प्रणाम किया फिर बड़ी ही नम्रता से बोला, ‘राजा जी, फलों के बगीचे में आज नारियल, अनार, अमरूद आदि फल एकदम तैयार याने पके और खाने योग्य थे। पर मेरे मन में जाने क्या आया कि मैं उन सब को छोड़कर आपके लिए अंगूर लेकर आया।

सोचकर देखिए अगर मैं आज नारियल, अनार या अमरूद लेकर आया होता तो मेरा क्या हाल होता।? भगवान ने ही मुझे उस विचित्र स्थिति से बचाया है। इसीलिए मैं बार-बार कह रहा हूँ, ‘भगवान बड़े दयालु हैं!’


दोस्तों मुझे यह कहानी एक ऐसी ही घटना को देखकर याद आई। कुछ दिन पूर्व इंदौर से उज्जैन आते वक़्त एक सज्जन थोड़ा लापरवाही से अपनी कार का दरवाज़ा खोलकर बीच सड़क पर उतरने लगे। उनकी लापरवाही के कारण पीछे से आ रही एक बाइक उनकी कार के दरवाज़े से टकरा गई। बाइक सवार जब तक संभलकर प्रतिक्रिया दे पाता, उससे पहले ही वहाँ एक कार अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। उस पल मैं सोच रहा था कि अगर कार वाले सज्जन ने लापरवाही से कार का दरवाज़ा नहीं खोला होता तो निश्चित तौर पर बाइक वाले की टक्कर अनियंत्रित कार से हो जाती। ठीक इसी तरह दोस्तों भगवान हम सभी को जाने-अनजाने में छोटी तकलीफ़ देकर बड़ी तकलीफ़ों से बचाता है। याने जब हमारे ऊपर कोई भयानक विपत्ति या मुसीबत आने वाली होती है तब भगवान हमारी कई मुसीबतों को बहुत हल्का करके हमें उससे उबार लेते हैं। लेकिन अक्सर हम स्थिति को समझने के स्थान पर उन्हें ही दोष देने लगते हैं और उनसे प्रश्न करना शुरू कर देते हैं कि ‘ऐसा क्यूँ हुआ?’ या ‘मेरा क्या क़सूर था?’ आदि… याद रखियेगा दोस्तों भगवान हर पल हमारे साथ रहता है और जो हमारे लिये उचित होता है वही करता है। इसलिए दोस्तों हर पल भगवान का धन्यवाद देते हुए कृतज्ञता पूर्ण जीवन जियें…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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