जियो जी भरके…
- Nirmal Bhatnagar
- Dec 19, 2022
- 3 min read
Dec 19, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक काल्पनिक कहानी के साथ करते हैं। एक सज्जन सुबह-सुबह कहीं जाने के लिए तैयार हो रहे थे। जब उनकी पत्नी ने उनसे इस विषय में पूछा तो वे बोले, ‘कल पंडित जी से बात हुई थी, उन्होंने बताया था कि अगर में आज सुबह साढ़े सात बजे तक शनि मंदिर दर्शन कर लूँगा, तो मेरी क़िस्मत पर लगा ग्रहण समाप्त हो जाएगा।’ पत्नी मन ही मन मुस्कुराई, मानो कह रही हो, ‘भला क़िस्मत भी ख़ाली भगवान के दर्शन करने से बनती है भला?’ ख़ैर! उसने स्वयं को संयमित रखते हुए पति से कहा, ‘शनि मंदिर तो बहुत दूर है, पैदल जाओगे तो एक घंटा लग जाएगा और तुम वहाँ 8 बजे से पहले नहीं पहुँच पाओगे।’ उन सज्जन ने थोड़ा झल्लाते हुए जवाब दिया, ‘मुझे पता है, मैं पैदल नहीं स्कूटर से जाऊँगा।’ सज्जन की बात सुन पत्नी बोली, ‘तुम भूल गए क्या? कल बाज़ार से लौटते वक्त तुम्हारे स्कूटर का पेट्रोल ख़त्म हो गया था।’ पत्नी की बात सुन वे सज्जन थोड़ा भड़क गए और लगभग चिढ़ते हुए बोले, ‘पता है…, पता है कि स्कूटर में तेल नहीं है। इतना भुलक्कड़ नहीं हूँ मैं। आज मैं स्कूटर में पेट्रोल के स्थान पर पानी डालूँगा और उसे ले जाऊँगा।’
क्या हुआ? सुन कर कुछ अटपटा लगा… सोच रहे हैं ना, ‘स्कूटर में पेट्रोल की जगह पानी होगा तो फिर वह चलेगा कैसे? इंजन पेट्रोल को जला कर ऊर्जा पैदा करता है, पानी को नहीं। बिना ऊर्जा वह हिल भी नहीं पाएगा। भाई साहब, क्या फ़ालतू की बातें कर रहे हो।’ तो दोस्तों, मैं आपको बता दूँ कि ना तो मैंने ऊपर कहानी गढ़ते समय कोई गलती की है और ना ही मैं यह भूल गया हूँ कि स्कूटर पानी से नहीं पेट्रोल से चलता है। मैंने तो बस एक सामान्य सी बात पर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए उदाहरण के तौर पर उपरोक्त चूक को जानबूझ कर किया है।
जिस तरह स्कूटर को चलाने के लिए इंजन पेट्रोल में आग लगाकर ऊर्जा पैदा करता है, ठीक उसी तरह इंसान को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपने अंदर सपनों की आग जलाना पड़ती है जो आशा और सकारात्मक ऊर्जा के बिना सम्भव नहीं है। हो सकता है आपमें से कुछ लोग कहें, ‘यह तो मुझे पता है, इसमें कौन सी नई बात है?’ तो मैं उन सभी लोगों से पूछना चाहूँगा कि अगर पता है तो फिर आप क्यूँ नकारात्मक अनुभवों और ऊर्जाओं को अपने अंतर्मन में इकट्ठा कर रहे हैं?
जी हाँ साथियों, जिस तरह स्कूटर पानी से नहीं चल सकता है, ठीक उसी तरह इंसान भी जीवन में नकारात्मक अनुभवों, नकारात्मक ऊर्जाओं और नकारात्मक भावों जैसे, क्रोध, मोह, लोभ, अभिमान, जलन आदि जैसी भावनाओं के साथ जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता है। हमारा अंतर्मन कोई कचरे-कूड़े का डिब्बा या डस्टबीन नहीं है, जिसमें दुनिया की तमाम नकारात्मकताएँ रखी जाएँ। यह तो उन सभी बातों और अनुभवों को रखने की जगह है जिनसे हमारे अंदर ऊर्जा का संचार हो सके। जैसे, प्यार, केयर, सम्मान, साहस, ज्ञान, विज्ञान, मानवता, दया, सहानुभूति, समानुभूति, हर्ष, ख़ुशी, अचीवमेंट आदि।
याद रखिएगा दोस्तों, पूर्वजन्म के बारे में आपको कुछ पता नहीं है और ना ही आपको पुनर्जन्म का भान है। आपके पास जो भी है वह सिर्फ़ यही जीवन है अर्थात् आपको एक ही जीवन मिला है, अब यह आपके हाथ है कि आप इसे समझौता करते हुए गुज़ारते हैं या खुलकर जीते हुए।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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