Dec 10, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक मज़ेदार किस्से से करते हैं। बात कुछ दिन पुरानी है, रामू बाज़ार जाने के लिए घर से निकल ही रहा था कि उसकी पत्नी ने उसे पुराने पेंडिंग कार्य याद दिलाते हुए उन्हें आज ही पूरा करने का अल्टीमेटम दे दिया। रामू को पत्नी का घर से निकलते वक्त टोकना बिलकुल अच्छा नहीं लगा और इसी वजह से उसकी पत्नी से कहा-सुनी हो गई। उस वक्त रामू की इच्छा तो ऐसी हो रही थी कि बाज़ार जाए और सारा सामान लाकर पत्नी के मुँह पर मार दे लेकिन कार्य की अधिकता और समय की नज़ाकत को भाँप रामू चिड़चिड़ाता हुआ घर से निकल गया।
पूरे रास्ते रामू घर पर हुई बहस के विषय में ही सोचता रहा जिसके कारण उसके मन का चैन, ख़ुशी और शांति सब कुछ ग़ायब सी हो गई थी। रास्ते में रामू जिससे भी मिला, झल्लाता और चिड़चिड़ाता हुआ मिला। उसे इस बात का जरा सा भी एहसास नहीं था कि वह अब खुद के कंट्रोल में भी नहीं है। रामू इसी हालात में बैंक से पैसे निकालने पहुँच गया और ज़रा सा ज़्यादा समय लगता देख कैशियर पर चिल्लाने लगा। ख़ैर, कुछ देर में अपना नम्बर आने पर रामू ने झल्लाते हुए चेक कैशियर को दिया, जिसे कैशियर ने यह कहते हुए रामू को लौटा दिया कि बैंक में इतने पैसे नहीं हैं।
कैशियर से इतना सुनते ही रामू पैर पटकता और चिढ़ता हुआ बैंक मैनेजर के पास पहुँच गया और बोला, ‘अगर बैंक में 2 लाख रुपए भी नहीं हैं तो खोल कर क्यूँ बैठे हो?’ मैनेजर ने पहले तो रामू को शांत करवाने का प्रयास करा ताकि वह पूरा माजरा समझ सके, पर रामू तो उस वक्त कुछ सुनने को ही राज़ी नहीं था। वह तो बस बड़बड़ाए जा रहा था। हक़ीक़त जानने के लिए जब मैनेजर ने कैशियर से चर्चा करी तो पता चला कि बैंक में नहीं, रामू के खाते में उतने पैसे नहीं थे जो वो निकालना चाह रहा था। इसके बाद रामू के साथ क्या हुआ होगा दोस्तों, आप उसका अंदाज़ा बहुत अच्छे से लगा सकते हैं।
दोस्तों, अगर आप उपरोक्त स्थिति का गहराई से आकलन करके देखेंगे तो आप पाएँगे कि रामू एक छोटी सी बात या घटना की वजह से अशांत हो गया था। इसीलिए उसका विचार एवं बौधिक तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा था और वह बिना सोचे समझे रिएक्ट कर रहा था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो रामू बिना विषय, वस्तु, काल, देश, परिस्थिति को समझे प्रतिक्रिया दे रहा था। जिसकी वजह से वहाँ मौजूद सभी लोग परेशान थे। जी हाँ साथियों, अशांत व्यक्ति ना तो स्वयं संतुष्ट रहते हैं और ना ही दूसरों को संतुष्ट कर पाते हैं।
इसीलिए दोस्तों, कहा गया है कि शांति अमूल्य है और अगर कोई चीज़ अमूल्य है तो आपको उसे सम्भालना भी सीखना होगा अन्यथा उसका जाना आपका बड़ा नुक़सान करेगा। अगर आप शांत रहेंगे तो रिऐक्ट नहीं री-ऐक्ट करेंगे। अर्थात् आपकी प्रतिक्रिया या निर्णय परिस्थिति पर नहीं बल्कि चेतना पर आधारित होंगे और जो चेतना के साथ काम करता है वह ना सिर्फ़ खुद का बल्कि अपने आसपास मौजूद लोगों का भी ध्यान रख पाता है, उनकी मदद कर पाता है।
याद रखिएगा दोस्तों, निराश व्यक्ति जीवन के नकारात्मक अनुभवों के साथ अतीत में रहता हैं, चिंतित व्यक्ति भविष्य में अनिश्चिनतता के साथ रहता हैं और शांतचित्त व्यक्ति वर्तमान में रहता हैं। अगर आप शांतचित्त रहना चाहते हैं तो आपको अतीत के नकारात्मक अनुभवों को भूलकर, वर्तमान को आनंद से जीना शुरू करना होगा। क्यूँकि वर्तमान अच्छा रहेगा तो भविष्य अपने आप ही सुधार जाएगा। इसीलिए दोस्तों कहा गया है, ‘जिसका मन शांत और मस्त है, उसके पास समस्त है!!!’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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