Nirmal Bhatnagar
जीतना है मन को तो अपनाएँ यह तरीक़ा…
Nov 14, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक काल्पनिक स्थिति से करते हैं। मान लीजिए किसी कार्य के सिलसिले में आपको एक ऐसे इलाक़े में जाना पड़ता है जहाँ कार्यालयीन समय के अलावा आपको अकेले ही रहना है। इतना ही नहीं आपके घर और आस-पास के इलाक़े में भी कोई और इंसान नहीं रहता है। शुरुआती दिनों में तो आपको अकेले रहने में कोई दिक्कत नहीं होती है और आपको अकेले, अपनी इच्छानुसार ख़ुद के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता है। लेकिन इसके बाद आप थोड़ा-थोड़ा अकेलापन महसूस करने लगते हैं। शुरुआती कुछ दिनों तक आप अपना मन घर में मौजूद भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ बहलाने का प्रयास करते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद यह भी आपका अकेलापन दूर करने में असफल हो जाते हैं।
काफ़ी दिनों तक सोच विचार करने के बाद आप एक पालतू कुत्ता पालने का निर्णय लेते हैं। चूँकि वहाँ कोई पेट शॉप तो थी नहीं इसलिए आप कार्यालय से घर जाने वाले रास्ते से दो पिल्लों को उठा लाते हैं और उनके साथ खेलने का प्रयास करते हैं। लेकिन जल्द ही आप महसूस करते हैं कि दोनों पिल्ले आपके साथ असहज महसूस करते हैं और मौक़ा पाते ही वापस अपने इलाक़े की ओर भाग जाते हैं।
चूँकि आपको अकेलेपन से निपटने का कोई और उपाय नज़र नहीं आता है। इसलिए आप दोनों पिल्लों को एक बार फिर रोड से उठाकर लाते हैं और अपनी ओर से उनको सहज बनाने का प्रयास करते हैं। इसलिए आप उन्हें कभी दूध-रोटी, तो कभी अंडा-ब्रेड खिलाते हैं, लेकिन उसके बाद भी मौक़ा मिलते ही पिल्ले बार-बार अपने इलाक़े की ओर भाग जाते थे। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, फिर एक दिन आप निर्णय लेते हैं और आप उन्हें ज़बरदस्ती रोकना शुरू कर देते हैं। इसके बाद आप पूरे सप्ताह पिल्लों की देखभाल घर के एक सदस्य की भाँति करते हैं। जल्द ही इसका प्रभाव पिल्लों पर पड़ने लगता है। कुछ ही दिनों में स्थिति ऐसी हो जाती है कि अब भगाने पर भी पिल्ले भागने के लिए राज़ी नहीं हैं और अब वे हर पल आपके आगे-पीछे घूमते हैं।
अब दोस्तों अगर हम पलटकर पूरे घटनाक्रम को एक बार फिर दोहराते हैं और ध्यान से इसे देखते हैं, तो बहुत आसानी से समझ सकते हैं कि समय, प्यार और ध्यान देकर हमने पिल्लों को अपने साथ जोड़ा था। ठीक इसी तरह दोस्तों हम समय, प्यार और ध्यान देकर हम विपरीत स्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ सकते हैं, जैसा कि हमने उपरोक्त उदाहरण में देखा था। अब हो सकता है आपके मन में नया प्रश्न आ गया हो कि अगर स्थितियाँ विपरीत ना हों तो क्या करें? अरे भाई कुछ नया नहीं करना है, बस इसी चीज को नये नज़रिए के साथ दोहराना है। चलिए इसे थोड़ा विस्तार से बता देता हूँ। अगर स्थितियाँ सामान्य होंगी तो आप निश्चित तौर पर कम्फर्ट ज़ोन में होंगे और यही कम्फर्ट ज़ोन आपकी ग्रोथ को प्रभावित करता होगा। ऐसे मैं आपको इससे बाहर निकलना ही होगा, जो एक चुनौतीपूर्ण स्थिति ही है। इस आधार पर देखा जाए तो कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर अपने मन को साधने का उपरोक्त से बेहतर कोई और उपाय हो ही नहीं सकता। याने आप समय, प्यार और ध्यान के प्रयोग से इस स्थिति का सामना भी बहुत अच्छे से कर सकते हैं।
दोस्तों जीवन में जब भी आपका सामना चुनौतीपूर्ण स्थितियों से हो तो सबसे पहले चिंतन कर उससे बाहर निकलने का सबसे बेहतर रास्ता खोजें और निर्णय लेकर उसपर पूरी क्षमता के साथ तब तक कार्य करें, जब तक आप सफल ना हो जाएँ। जी हाँ दोस्तों, किसी भी क्षेत्र में सफल होने का इसके अलावा और कोई रास्ता है ही नहीं। सफलता की इस यात्रा के दौरान बस एक बात याद रखियेगा, आपका चंचल मन आपको बार-बार अपने कम्फर्ट ज़ोन में लौटने के लिए प्रेरित करेगा। अर्थात् वह आपको दूसरे रास्ते को चुनने के निर्णय को बदलने के लिए कहेगा और साथ ही अपनी बात के समर्थन में आपको पचास नए, अच्छे लगने वाले कारण बतायेगा। लेकिन उस वक़्त आपको ख़ुद को उपरोक्त क़िस्सा याने कुत्तों के पिल्लों को रोकने के लिए किए गए प्रयासों को याद दिलाना होगा और ख़ुद को ज़बरदस्ती अपने निर्णय के साथ; किए जाने वाले कार्यों के साथ जोड़ कर रखना होगा, फिर देखियेगा, सफलता यकीनन आपके कदम चूमेगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com