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जीत या हार…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Mar 19, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, आप जीतेंगे या हारेंगे यह सबसे पहले आपकी सोच, आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। जी हाँ दोस्तों, इतिहास उठा कर देख लीजिए, आप पाएँगे कि जिन्होंने भी असंभव को संभव बनाया है सभी ने अदम्य इच्छाशक्ति का परिचय दिया है। चलिए अपनी बात को मैं आपको इतिहास के एक महान विजेता नेपोलियन बोनापार्ट के जीवन की एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ। नेपोलियन बोनापार्ट के बारे में कहा जाता था कि वे कभी भी जोखिम भरे कार्य को करने से डरा नहीं करते थे।


एक बार नेपोलियन अपनी सेना के साथ दुश्मनों का सामना करने जा रहे थे। तय स्थान तक पहुँचने के लिये नेपोलियन को अपनी सेना के साथ आल्प्स पर्वत को पार करना था। जो उस वक़्त तक बहुत मुश्किल या यूँ कहूँ असंभव माना जाता था। जब नेपोलियन ने जब इस बात को अपने सैनिकों को बताया तो शुरू में उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। लेकिन पार करने की संभावना को देख नेपोलियन ने पर्वत को पार करने का निर्णय लेते हुए सेना को इसे अंजाम देने का हुक्म दिया।


जब वे पहाड़ के एकदम नज़दीक पहुँचे तो नेपोलियन को पहाड़ की वास्तविक ऊँचाई और रास्ते में आने वाली मुश्किलों का एहसास हुआ। असल में उसे आल्प्स की चोटी बादलों से भी ऊपर जाती प्रतीत हो रही थी। चूँकि नेपोलियन ने निर्णय से पलटना याने पीछे मुड़कर देखना सीखा ही नहीं था इसलिए उसने इस असंभव से लगने वाले कार्य को करने का ना सिर्फ़ निर्णय लिया बल्कि अपने भय से काँपते साथी सैनिकों को भी इसके लिए राज़ी कर लिया।


नेपोलियन और उसकी सेना ने अभी आल्प्स पर्वत पर चढ़ना शुरू ही किया था कि पहाड़ की तलहटी से आती एक वृद्ध महिला ने उसे टोकते हुए कहा, ‘नेपोलियन! क्यों बिना वजह अपनी सेना के साथ मरना चाहते हो? आज तक जिसने भी इस पर चढ़ने का प्रयास किया है, वह मारा गया है। अगर तुम्हें अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो जहाँ से आए हो, वही लौट जाओ।’ वृद्ध की बात सुन सैनिक थोड़ा और घबराये लेकिन नेपोलियन ने अप्रत्यक्षित प्रतिक्रिया देते हुए ना सिर्फ़ खुदका बल्कि सैनिकों का भी जोश बढ़ा दिया। असल में उसने तुरंत अपने गले में पहना हीरों का हार उतारा और दुगने जोश के साथ बोला, ‘माँ! तुमने तो मेरा और मेरे सैनिकों का उत्साह दोगुना कर दिया है क्योंकि असंभव लक्ष्यों को संभव करने याने उन्हें पाने के कारण ही लोग मुझे नेपोलियन के नाम से जानते हैं।’


बूढ़ी महिला को नेपोलियन से ऐसे जवाब की आशा नहीं थी। वह महसूस कर पा रही थी कि नेपोलियन अपनी जीत के लिए पूरी तरह आश्वस्त है। इसलिए उसने मुस्कुराते हुए बोला, ‘नेपोलियन तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुन कर हतोत्साहित और निराश होने के स्थान पर प्रेरित हो रहे हो। अब मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम निश्चय ही इस पर विजय प्राप्त करोगे।


दोस्तों, अब आप स्वयं अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नेपोलियन के इस प्रयास का अंतिम परिणाम क्या रहा होगा। असल में साथियों ‘दृढ़संकल्प’ एक ऐसी शक्ति है जो असंभव को संभव बनाने की शक्ति या ऊर्जा देती है। इसलिए जीवन में जब भी आप कुछ बहुत बड़ा पाना चाहते हैं तो सबसे पहले उसे पाने का दृढ़संकल्प लें, उसे पाने के लिए पूरे आश्वस्त हो जाएँ क्योंकि जब आप पूर्ण आश्वस्त और सतर्क होकर मौन में बैठते हैं, तब आपका हृदय बोलता है और जब आप हृदय की बात को सुनते हैं, तब आप वास्तव में भ्रम और संशय के बजाय, पूर्ण आत्मविश्वास से भरे निर्णय ले पाते हैं। जब निर्णय आत्मविश्वास भरा होगा तब आप पाएँगे कि सफलता के लिए आवश्यक सभी शक्तियाँ याने सकारात्मक दृष्टिकोण, इच्छाशक्ति, साहस और आत्मविश्वास आपके अंदर अपने आप आ गया है। इसके पश्चात आपको बस अपनी शक्तियों को पहचान कर काम में लेते हुए लक्ष्य पाने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे अर्थात् कर्तव्य पथ पर चलना होगा। फिर देखियेगा सफलता किस तरह आपके कदम चूमती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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