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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जीना हो ज़िंदगी तो ध्यान रखें…

July 4, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अंधी दौड़ का हिस्सा बन कर जीवन को गँवाना समझदारी है या बेवक़ूफ़ी; यह एक ऐसा यक्ष प्रश्न बन गया है जिसका जवाब देना और उसे मानना शायद किसी के लिये संभव नहीं है। इसकी मुख्य वजह ज़िंदगी की सच्चाई, ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा और ज़िंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी का भान ना होना है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात कई साल पुरानी है एक बार वज़ीर ने राजा के सामने अपनी इच्छा ज़ाहिर करते हुए कहा कि ‘महाराज, आपकी सल्तनत को देख कर, कई बार मैं सोचता हूँ कि इसके दसवें हिस्से का भी मैं राजा होता तो शायद मैं इस दुनिया का सबसे ख़ुशनसीब इंसान होता।’ प्रश्न सुन महाराज को एहसास हो गया कि वज़ीर सच्चाई को भूलकर मोह का शिकार हो गया है। महाराज ने मुस्कुराते हुए वज़ीर से कहा, ‘आप मेरे राज्य के १० प्रतिशत हिस्से के नहीं, ५० प्रतिशत हिस्से के मालिक बन सकते हैं। बस आपको मेरे तीन प्रश्नों के उत्तर 1 माह में देना होंगे और अगर आप उन प्रश्नों के उत्तर 1 माह में नहीं दे पाए तो मैं आपके सिर को धड़ से अलग करवा दूँगा।’


महाराज की बात सुन वज़ीर थोड़ा घबरा गया, वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या प्रतिक्रिया दे? इतने में ही महाराज ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘मेरा पहला प्रश्न है, इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई क्या हैं?, मेरा दूसरा प्रश्न है, इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा धोखा क्या हैं? और मेरा तीसरा और अंतिम प्रश्न है, इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी क्या हैं?’


तीनों प्रश्न पूछने के बाद एक पल शांत रहने के बाद राजा बोले, ‘वज़ीर आपका समय अब शुरू होता है। आज से ठीक तीस दिन बाद हम यहीं पर मिलेंगे।’ वज़ीर ने राजा को प्रणाम किया और तीनों सवालों के जवाब खोजने के लिए दरबार से निकला और संत, महात्मा, साधु, फ़क़ीर, अमीर, ग़रीब, अज्ञानी, ज्ञानी आदि जो भी मिला उससे उन सवालों के जवाब पूछने लगा। लेकिन इनमें से किसी का भी बताया जवाब उसे संतुष्ट नहीं कर रहा था। लेकिन इस प्रयास में कब वह कई गाँव भटक लिया और उसके कपड़े व जूते फट गए, उसे पता ही नहीं चला।


माह के अंतिम दिन वज़ीर हार मान, गाँव के बाहरी इलाक़े में एक पेड़ के नीचे बैठ गया। वह जानता था कि अगले दिन उसका सर कलम कर दिया जाएगा। तभी उसकी नज़र सामने बनी एक छोटी सी कुटिया पर पड़ी, जिसमें एक फ़क़ीर अपनी मौज में बैठा सुखी रोटी को पानी से लगा बड़े चाव से खा रहा था और कुटिया के बाहर उसका कुत्ता मज़े से दूध पी रहा था। वज़ीर कुछ कहता उससे पहले ही फ़क़ीर बोला, ‘आओ वज़ीर, तुम सही जगह पहुँच गये हो। मैं तुम्हें तुम्हारे तीनों प्रश्नों के सही उत्तर दे सकता हूँ। वज़ीर ने बड़े आश्चर्य से पूछा, ‘क्या सच में आप मेरे तीनों प्रश्नों के जवाब दे सकते हो?’ फ़क़ीर ने हाँ में सिर हिलाया और बोला, ‘मैं आपके दो सवाल के जवाब मुफ्त में दूँगा मगर तीसरे सवाल के जवाब में आपको उसकी कीमत अदा करनी पड़ेगी।’ वज़ीर के हाँ कहते ही फ़क़ीर बोला, ‘पहले सवाल का जवाब है, ‘मौत!’, याने ज़िंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई मौत है। तुम्हारे दूसरे सवाल का जवाब है, ‘ज़िंदगी!’ याने इंसान की ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा, ‘ज़िंदगी’ ही है। इंसान ज़िंदगी की चाह में ही झूठ-फ़रेब और बुरे कर्म करके, इसके धोखे में आ जाता है।’


इतना कहकर फ़क़ीर शांत हो गये। वज़ीर ने अपने वायदे के मुताबिक़ जब फ़क़ीर से तीसरे प्रश्न का जवाब देने की क़ीमत पूछी तो फ़क़ीर ने उसे कुत्ते के प्याले से उसका जूठा दूध पीने के लिए कहा। शुरू में तो वज़ीर ने आना-कानी की, लेकिन तभी उसे तीनों प्रश्नों के जवाब ना देने पर राजा द्वारा सर धड़ से अलग किए जाने के आदेश की याद आ गई। इस डर की वजह से उसने बिना कुछ सोचे समझे कुत्ते के प्याले का झूठा दूध एक ही सांस में पी लिया। इसे देख फ़क़ीर बोले, ‘तुम्हारे तीसरे सवाल का जवाब हैं "गरज"। इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी हैं "गरज"। गरज इंसान को न चाहते हुए भी वह काम करने को मजबूर करती है, जो इंसान कभी नहीं करना चाहता हैं। जैसे तुमने अभी मौत से बचने के लिए एक कुत्ते के प्याले का झूठा दूध पिया। गरज इंसान से सब कुछ करा देती है।’ फ़क़ीर की बात सुन वज़ीर अब बहुत खुश था। उसने उसी पल एक सैनिक की सहायता से राजा को सही जवाब भिजवा दिए और फ़क़ीर की झोपड़ी के पास ही एक झोपड़ी बना कर रहने लगा।


वैसे दोस्तों, फ़क़ीर की बात सौ प्रतिशत सही थी। ज़िंदगी की सच्चाई मौत, ज़िंदगी का सबसे बड़ा धोखा; ज़िंदगी, और ज़िंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी गरज का भान ना होना ही इंसान को मोह के जाल में फँसाकर अंधी दौड़ का हिस्सेदार बना देता है। इसलिए दोस्तों हर पल मौत, ज़िंदगी और गरज के आपसी रिश्ते को ध्यान में रखना हमें अनावश्यक परेशानियों से बचा एक अच्छी ज़िंदगी जीने का मौक़ा देता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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