Dec 03, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, जीवन में आने वाली समस्याएँ या सकारात्मक रूप में कहूँ तो चुनौतियाँ अकसर उतनी मुश्किल या परेशानी दायक नहीं होती हैं, जितनी वो लगती है। यह स्थिति ठीक उस कोहरे वाली सुबह के समान होती है, जिसमें दूर तक देखो तो कुछ नज़र नहीं आता, लेकिन अगर एक-एक कदम चलते हुए देखा जाए तो उसके पार आराम से जाया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो मुश्किल, परेशानी, समस्या अथवा चुनौतियों को जटिल नज़रों से देखने और उसे एक साथ योजनाबद्ध तरीक़े से सुलझाने के स्थान पर मूलभूत समाधान के रास्तों को रचनात्मक सोच के साथ चुना जाए, तो उससे पार पाना आसान हो जाता है। अपनी बात को मैं आपको एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कुछ साल पुरानी है, मेन्सा, जो कि 140 या उससे अधिक के आईक्यू वाले लोगों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, का अंतराष्ट्रीय सम्मेलन सैन फ़्रांसिस्को में चल रहा था। बौद्धिक सत्र के बाद, लंच ब्रेक के दौरान संस्था के कुछ सदस्यों ने दोपहर के भोजन के लिए पास ही के एक कैफ़े में जाने का निर्णय लिया। भोजन के दौरान संस्था के एक सदस्य ने देखा कि टेबल पर रखी एक नमक दानी में काली मिर्च रखी हुई है और काली मिर्च दानी में नमक रखा हुआ है।
यह सभी दिमागदार याने इंटेलीजेंट लोगों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का एक ज़बरदस्त मौक़ा था। वे सभी सदस्य इस बात पर चर्चा करने लगे कि सिर्फ़ दोनों हाथों का उपयोग करते हुए, बिना सामग्री को नीचे गिराए किस तरह नमक दानी में नमक और काली मिर्च दानी में काली मिर्च पहुँचा दी जाए। काफ़ी देर तक विचार विमर्श करने के बाद, सभी सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखे और अंत में एक नैपकिन, एक स्ट्रॉ, एक खाली तश्तरी को शामिल करते हुए एक शानदार समाधान निकाला।
इस अनूठे और अनोखे समाधान की खोज के बाद सभी सदस्यों ने विजयी मुस्कान के साथ एक दूसरे की और देखा और आँखों ही आँखों में इसे लोगों के सामने प्रदर्शित करने का निर्णय लिया। सर्वप्रथम मेन्सा के सदस्यों ने वेट्रेस को बुलाया और उसे नमक दानी में काली मिर्च और काली मिर्च दानी में नमक होने के विषय में बताया और साथ ही वेट्रेस को यह भी बताने का प्रयास करने लगे कि वे इस समस्या का हल बड़े ही रचनात्मक तरीक़े से, बिना सामान गिराए कर सकते हैं। वे अपनी बात खत्म कर पाते उससे पहले ही वेट्रेस ने बीच में रोकते हुए कहा, ‘गलती के लिये हमें माफ़ कीजिएगा; मैं अभी ठीक कर देती हूँ।’ इतना कहते हुए वेट्रेस नीचे झुकी और दोनों बोतलों के ढक्कन, जिन पर काली मिर्च और नमक लिखा था, आपस में बदल दिया।’
वेट्र्स के एक्शन को देख मेन्सा के समूह में एकदम सन्नाटा छा गया। वे सब एक दूसरे का मुँह इस तरह देख रहे थे कि मानो कह रहे हों कि इतना सीधा सा समाधान हमारे किसी के दिमाग़ में क्यों नहीं आया। असल में दोस्तों, हम सभी अपने जीवन में कई बार साधारण सी बातों पर इतना सोच-विचार कर लेते हैं कि वह सिर्फ़ और सिर्फ़ उलझ कर रह जाती है। इस स्थिति को हम ‘एनालिसिस पेरेलिसिस’ भी कहते हैं।
जी हाँ दोस्तों, हमारे जीवन में अधिकांश समस्याओं के लिए सरल समाधान होते हैं, लेकिन यह हमारा ‘शानदार’ दिमाग है, जो हर सरल समाधान को जटिल बनाता है। तो फिर ऐसी स्थिति में किया क्या जाए? तो मेरा सुझाव है, ‘ढक्कन बदलिए और मज़े से रहिए और जीवन का आनंद उठाइये!!!’ इसके लिए आपको कई बार अपने शानदार दिमाग़ को आराम देते हुए दिल और अंतर्मन की बातों को सुनना सीखना होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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