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जीवन को वीणा की तरह बजाने की कला…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Dec 10, 2023
  • 3 min read

Dec 10, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक बहुत ही प्यारी कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, राजू के घर पर उसकी दादी की एक वीणा रखी हुई थी। दादीजी और फिर दादाजी के जाने के बाद वह अनाथ सी हो गई थी और राजू के घर के अन्य सभी लोग उस वीणा और उसके उपयोग को लगभग भूल ही गए थे। यदा-कदा राजू का बेटा उसके तार छेड़ दिया करता था, तो घर के सभी लोग अनावश्यक आवाज़ याने शोर करने के कारण उसे डाँट दिया करते थे।


एक रात तो राजू के घर बड़ी विचित्र सी घटना घटी, आधी रात को एक बिल्ली ने खिड़की से राजू के घर के अंदर छलांग लगाई तो वह सीधी वीणा के ऊपर गिरी, जिसकी वजह से वीणा नीचे गिरी और उसके तार झनझना उठे। इस अनावश्यक शोर के कारण घर के सभी लोगों की नींद टूट गई। घर वालों को वह वीणा अब खलने लगी थी, वे सब उसे घर की शांति भंग करने वाला मानने लगे थे। एक दिन राजू के परिवार वालों ने वीणा को अटाला, कचरा, घर में अनावश्यक जगह घेरने वाली चीज आदि बताते हुए, तय किया कि हम इस वीणा को कचरे में फेंक देते हैं।


अपने निर्णय पर अमल में लाने अर्थात् वीणा को कचरे में फेंकने के बाद जब राजू के परिवार वाले वापस अपने घर की ओर लौट रहे थे, तभी एक भिखारी ने कचरे में पड़ी वीणा को उठा लिया और उसके तार छेड़ दिए। आज शोर मचाने वाली वीणा कानों और दिल को सुकून देने वाला मधुर संगीत बजा रही थी। जिसे सुनकर राजू के परिवार सहित सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के पैर ठिठक कर रुक गए। उस रास्ते से जो भी निकला, वह ठहर गया। आस-पास के घरों में भी जो लोग थे, वे सब भी बाहर आ गए और संगीत का मज़ा लेने लगे। थोड़ी ही देर में वहां भीड़ लग गई।


दूसरी ओर वह भिखारी अभी भी मंत्रमुग्ध हो उस वीणा को बजा रहा था। काफ़ी देर पश्चात जब वह भिखारी रुका तो लोगों ने उसकी काफ़ी तारीफ़ करी और उसे काफ़ी ईनाम दिया। आज पहली बार राजू के परिवार वालों को वीणा का स्वर और संगीत मालूम पड़ा था। सारे लोगों के जाने के पश्चात वे उस भिखारी के पास गए और उससे वीणा लौटाने के लिए कहने लगे। राजू के परिवार की बात सुन पहले तो भिखारी ज़ोर से हँसा, फिर बोला, ‘यह वीणा अब तुम्हारी कैसे? तुम तो इसे पहले ही कचरे में फेंक चुके थे। अब तो यह वीणा उसकी है, जो इसे बजाना जानता है।’ कुछ देर तक तो दोनों के बीच बहस चलती रही लेकिन जब राजू के परिवार वाले भिखारी से लड़ने लगे तो भिखारी एकदम गंभीर हो गया और बोला, ‘सोच लो! फिर कचरा इकट्ठा होगा, वीणा फिर जगह घेरेगी, फिर कोई बच्चा उसके तारों को छेड़ेगा और कई बार बिल्ली इसे गिरायेगी और तुम्हारे घर की शांति भंग होगी।’


बात तो दोस्तों, भिखारी की एकदम सटीक थी। अगर बजाना ना आता हो तो वीणा घर की सुंदरता और शांति दोनों को ख़त्म कर सकती है और अगर बजाना आता हो तो उसे बढ़ा भी सकती है। इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ वीणा से नहीं सारा फ़र्क़ तो बजाने की कला से आता है। सही कहा ना दोस्तों… अगर आप थोड़ा गहराई और गंभीरता के साथ सोचेंगे तो पाएँगे कि यही बात हमारे जीवन पर भी इतनी ही सटीक बैठती है। इसी बात को दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमारा जीवन भी एक वीणा है, जिसे अगर बजाना याने जीना सीखा तो यह वरदान है अन्यथा अभिशाप अथवा दुख, पीड़ा, उदासी या फिर परेशानी की वजह। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसे किस रूप में लेना चाहते हैं?, अगर बजाना ना सीखा तो आपको इस दुनिया में युद्ध, आपसी वैमनस्यता, शत्रुता, घृणा याने चारों ओर अंधेरा बढ़ता नज़र आएगा और अगर बजाना सीख लिया तो यह दुनिया आपके सपनों की दुनिया बन जाएगी जहाँ मज़े ही मज़े होंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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