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जीवन को संजोएँ ख़ुशी भरी अच्छी यादों से…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Nov 13, 2024
  • 3 min read

Nov 13, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइए साथियों, आज के लेख की शुरुआत एक ऐसे किस्से से करते हैं जो निश्चित तौर पर आपकी सोच, आपके नजरिये और आपके जीवन को हमेशा के लिए सकारात्मक दिशा देने की ताक़त रखता है। हालाँकि मैं सीधे तौर पर इस किस्से के नायक और इस किस्से को पहली बार लिख कर दुनिया से साझा करने वाले लेखक को नहीं जानता हूँ। लेकिन जीवन को हमेशा के लिए सकारात्मक रूप से बदल देने वाले इस किस्से के नायक और इसके लेखक को धन्यवाद देते हुए, इसे अपने शब्दों में आपके साथ साझा करता हूँ।


रोज की ही तरह आज भी सुबह 8 बजे 92 वर्ष के दुबले-पतले युवा दाढ़ी बनाकर, नहा-धोकर, अपने बालों को सलीके से सँवार कर पूरी तरह तैयार बैठे थे। उनके पुराने जूते भी इस तरह चमक रहे थे मानो अभी दुकान से लेकर आए हैं। कुछ ही मिनिटों बाद उन्हें लेने के लिए एक गाड़ी आई और वे गर्व के साथ पूरी तरह संतुलित अवस्था में जाकर उसमें बैठ गए। असल मैं इन सज्जन की पत्नी का ७० वर्ष की आयु में हाल ही में देहांत हुआ था और इसीलिए इन्होंने अपना बचा हुआ जीवन ओल्ड ऐज केयर सेंटर में बिताने का निर्णय लिया था और आज वे हमेशा के लिए अपना घर छोड़कर, वहाँ शिफ्ट हो रहे थे। वैसे उनके लिए यह कदम उठाना आवश्यक भी हो गया था।


खैर कुछ मिनिटों की ड्राइव के पश्चात गाड़ी ओल्ड एज होम में पहुंच गई और यह सज्जन बड़े गरिमामय तरीके से गाड़ी से उतर कर लॉबी में स्थित वैटिंग लाउंज में बैठ गए। कई घंटों तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने के बाद उन्हें बताया गया कि उनका कमरा तैयार है, खबर सुनते ही वे सज्जन मुस्कुराए। इसके पश्चात ओल्ड एज होम के कर्मचारी ने उन सज्जन को उनके छोटे से कमरे का वर्णन एक दृश्य के रूप में किया क्योंकि बुजुर्ग सज्जन उम्र के साथ अपनी देखने की क्षमता को खो चुके थे। कमरे के संदर्भ में शुरुआती बातचीत पूर्ण होने के पश्चात बुजुर्ग सज्जन बेंच से उठे और धीमे लेकिन सधे हुए कदमों से लिफ्ट की ओर चल पड़े।


कमरे में पहुंचने के पश्चात साथ आए ओल्ड एज होम के कर्मचारी ने एक बार फिर उन सज्जन को उनके छोटे से कमरे का एक दृश्य के रूप में वर्णन किया, जिसमें उस कमरे की खिड़की पर लटकी हुई आईलेट शीट भी शामिल थी। इतना सुनते ही बुजुर्ग सज्जन आठ साल के उत्साही बच्चे के समान ख़ुश होते हुए बोले, ‘वाह! मुझे यह बहुत पसंद है।’ इतना सुनते ही ओल्ड एज होम का कर्मचारी बोला, ‘मिस्टर जोन्स, आपने अभी अपना पूरा कमरा नहीं देखा है। थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए…’ अभी कर्मचारी की बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि बुजुर्ग सज्जन बीच में ही टोकते हुए बोले, ‘उससे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि ख़ुशी एक ऐसी चीज है जिसके विषय में आप बहुत पहले ही निर्णय ले लेते हैं। मुझे अपना कमरा पसंद आएगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि कमरा कितना बड़ा है और उसका फर्नीचर कितना व्यवस्थित है। पसंद आना ना आना, अच्छा लगना ना लगना तो इस बात पर निर्भर करता है कि मैं अपने दिमाग़ को कैसे व्यवस्थित करता हूँ।’


इसके पश्चात बुजुर्ग सज्जन एक पल के लिए शांत हुए फिर गंभीर लेकिन दृढ़ भाव के साथ अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोले, ‘मैंने पहले ही तय कर लिया था कि यह ओल्ड एज होम और यहाँ मिला कमरा मुझे पसंद आएगा। यह एक ऐसा निर्णय है जो मैं हर सुबह उठने पर लेता हूँ। प्रतिदिन उठने के पश्चात मेरे पास दो विकल्प होते हैं। पहला मैं बिस्तर पर लेटे-लेटे अपने शरीर के उन अंगों के बारे में सोचता रहूँ जो आज ठीक नहीं हैं या दूसरा बिस्तर से उठ कर उन सभी अंगों के लिए आभार व्यक्त करूँ जो आज भी अच्छे से मेरा साथ दे रहे हैं। याद रखना, हर दिन एक उपहार है और जब तक मेरी आँखे खुली है, तब तक मैं ईश्वर द्वारा दिए गए हर नए दिन को सुखद यादों पर केंद्रित करूँगा।’


बात तो दोस्तों, उन सज्जन की सौ टका सही थी क्योंकि मेरी नजर में बुढ़ापा एक बैंक खाते की तरह है जिसमें से वह ही निकाला जा सकता है, जो उसमें पूर्व में डाला गया है। इसलिए दोस्तों, मेरी सलाह है कि प्रति पल ख़ुशी भरी अच्छी यादों को संजोने का प्रयास करें, जिससे आवश्यकता पड़ने पर आप अपने बैंक खाते से ख़ुशियाँ बाहर निकाल सकें। इसके लिए आप खुश रहने के पाँच सरल नियम याद रख सकते हैं-


पहला - अपने दिल को नफरत से मुक्त करें

दूसरा - अपने दिमाग को चिंताओं से मुक्त करें

तीसरा - सरलता से जिएँ

चौथा - ज़्यादा दें और

पांचवा - कम उम्मीद करें


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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