Aug 31, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, कोच या ट्रेनर के अपने लंबे करियर में मैंने लोगों को सबसे ज़्यादा जिस चीज के लिए परेशान देखा है, वह अपने सपनों को पूरा करने की चाह है। जिसे आप उस व्यक्ति विशेष की सफलता से जोड़ कर देख सकते हैं। लेकिन रिसर्च का एक आँकड़ा बताता है कि इस दुनिया में मात्र दस प्रतिशत लोग ही अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये, तो 90 प्रतिशत लोग कभी अपने सपनों का जीवन जी नहीं पाते हैं, जो वाक़ई एक बहुत बड़ा आँकड़ा है।
इस आँकड़े को देख सामान्यतः हर इंसान यही सोचेगा कि सफल होना, अपने सपनों को पाना या अपने सपनों का जीवन जीना बहुत मुश्किल या यूँ कहूँ असंभव ही है। लेकिन मेरा मत इसके इतर है दोस्तों, क्योंकि इस दुनिया में दस प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जो अपने सपनों का जीवन जी पाते हैं। इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ, उन 10 प्रतिशत लोगों ने ऐसा कुछ किया है, जो बाक़ी 90 प्रतिशत लोग नहीं कर पाये। अर्थात् इन 90 प्रतिशत लोगों की जीवनशैली अगर उन 10 प्रतिशत लोगों के समान होती तो निश्चित तौर पर यह लोग भी अपने सपनों को पूरा कर पाते।
अगर उपरोक्त तर्क सही है, तो मन में प्रश्न उठता है कि फिर वह कारण कौनसा है, जिसकी वजह से यह अंतर आता है और इंसान पूरे जीवन परेशान रहता है। तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ साथियों कि किसी भी इंसान को; और कोई इतना परेशान नहीं करता जितना उसकी स्वयं की कमजोरी, गलत आदतें, व्यसन, उसके स्वयं के दुर्गुण करते है। अर्थात् दुनिया भर की सारी बाधाओं ने मिलकर भी आदमी को उतना दुखी या परेशान नहीं किया होगा जितना उसकी स्वयं की कमज़ोरियों ने।
वैसे मैं जो कह रहा हूँ, वह आप नहीं जानते होंगे ऐसा संभव ही नहीं है। अर्थात् हम सब ना सिर्फ़ अपनी कमज़ोरियों को जानते हैं बल्कि कहीं ना कहीं अपने अंतर्मन से यह भी स्वीकारते हैं कि हमारी असफलता, परेशानी या दुख का कारण यही कमज़ोरियों हैं। लेकिन कहीं ना कहीं चुनौतियों को ना स्वीकारने की अपनी आदत के कारण हम इस बात को पूर्णतः स्वीकार नहीं पाते हैं और इसी वजह से कई बार दूसरों द्वारा अपनी कमज़ोरियों का ध्यान दिलाने पर हम उनका आभार मानने के स्थान पर उस पर क्रुद्ध हो जाते हैं अर्थात् हम अपने हितैषी पर ही चिढ़ने और ग़ुस्सा करने लगते हैं। कुछ लोग तो इस स्थिति से भी एक कदम आगे निकल जाते हैं और अपने हितैषी को अपना शत्रु, अपना दुश्मन मान लेते हैं।
दोस्तों, अगर आप वाक़ई जीवन में सफल होना चाहते हैं; अपने सपनों, अपने लक्ष्यों को पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आत्ममंथन, चिंतन, मनन कर ख़ुद को और बेहतर तरीक़े से पहचानने का प्रयास करें। जिससे आप अपनी कमज़ोरियों, गलत आदतों, व्यसनों और दुर्गुणों को पहचान सकें। लेकिन यह आसान नहीं होगा क्योंकि इस दुनिया का सबसे मुश्किल कार्य अपनी स्वयं की कमज़ोरियों को पहचान कर स्वीकारना है क्योंकि आत्मनिरीक्षण करना और उससे प्राप्त तथ्यों को स्वीकारना वाक़ई बहुत कठिन कार्य है और इस कार्य को अंजाम याने स्वयं के दोषों को दूर करने का काम कोई साहसी ही कर सकता है।
अंत में मैं इतना ही कहना चाहूँगा दोस्तों कि ज़िंदगी जीने के लिए है और इसके लिए आपको अपने हर आज को बीते हुए कल से बेहतर बनाना होगा। अगर आप मेरी इस बात से सहमत हैं, तो सबसे पहले अपनी कमज़ोरियों, बुरी आदतों, व्यसनों और दुर्गुणों की सूची बनाइये और आज से ही प्रतिबद्ध हो उन्हें दूर करने पर कार्य कीजिए ताकि आप अपने जीवन को सफलता और आनंद की ओर ले जा सकें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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