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जीवन जिएँ, सच में…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Apr 22
  • 3 min read

Apr 22, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, तेज़ी से बदलती इस दुनिया में ख़ुद को बनाए रखने और एक अच्छे जीवन की चाह में आजकल लोग भाग तो बहुत रहे हैं, पर शायद जी नहीं पा रहे हैं। हर कोई बस सब-कुछ जल्द से जल्द पा लेना चाहता है और इसी चक्कर में एहसास ही नहीं कर पाता है कि वो कब मृत्यु के द्वार तक पहुँच गया है। इसी बात को शायद बहुत पहले भाँपते हुए रोमन सम्राट और दार्शनिक मार्कस ऑरेलियस ने एक बहुत गहरी बात कही थी, “मनुष्य को मृत्यु से नहीं, बल्कि कभी जीवन शुरू न कर पाने से डरना चाहिए।” अर्थात् हमारे जीवन का असली उद्देश्य केवल साँस लेना और भौतिक संसाधनों और पैसों को इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि हर क्षण को सचेतन होकर जीना है।


जी हाँ दोस्तों, जब आप हर क्षण को सचेतन होकर जीने के लक्ष्य को भूल जाते हो, तो आप कहीं ना कहीं दिखावटी जीवन जीने लगते हो। इसी बात को जापानी दर्शन ने समझाते हुए कहा है, “हर व्यक्ति के तीन चेहरे होते हैं। पहला चेहरा, जो हम दुनिया को दिखाते हैं, एक सजग, नियंत्रित और सामाजिक मुखौटा। दूसरा चेहरा, जो हम अपने परिवार और घनिष्ठ मित्रों को दिखाते हैं, थोड़ा अधिक वास्तविक, किंतु फिर भी आंशिक रूप से सुसम्पादित और तीसरा चेहरा, जिसे हम कभी किसी को नहीं दिखाते, और हाँ, यही हमारा सबसे असली, सबसे खरा स्वरूप होता है।


दोस्तों, यही तीसरा चेहरा, जिसे हम अक्सर स्वयं से भी छुपाते हैं, हमारी सच्ची पहचान है। जब तक हम अपने इस आंतरिक चेहरे को नहीं पहचानते, तब तक जीवन केवल एक अभिनय बना रहता है। इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ, “खुद को जानना और स्वीकार करना ही जीवन को गहराई से जीने की पहली शर्त है।”


संभव है कि यह जीवनशैली शुरू में आपको कुछ बुरे और नकारात्मक अनुभव दे। लेकिन जरा भी डरियेगा मत, बस ऐसी स्थिति में ख़ुद को तुर्की की प्रसिद्ध कहावत याद दिलाइयेगा, “यदि आप बुरा सेब नहीं चखेंगे, तो आप कभी भी अच्छे सेब का स्वाद नहीं समझ पाएंगे।” अर्थात् जीवन में अच्छे-बुरे हर प्रकार के अनुभव आवश्यक हैं। हमारे जीवन को केवल सफलता या खुशी के पल नहीं गढ़ते, उसमें तो असफलता, पीड़ा और कठिनाइयों का भी अहम रोल होता है। जो व्यक्ति हर अनुभव को खुले दिल से स्वीकार करता है, वही जीवन के असली स्वाद को समझ पाता है।


इसलिए दोस्तों, जीवन के सही अर्थ को पहचानो और जीवन जीने की कला सीखो और इसके लिए सर्वप्रथम स्वीकारो कि जीवन को शुरू करने का अर्थ है, स्वयं से ईमानदार रहना, जोखिम उठाना, गलतियाँ करना, सीखना और आगे बढ़ना। जी हाँ दोस्तों, जीवन यकीनन एक निरंतर यात्रा है, जहाँ हम अपने भीतर के वास्तविक चेहरे को पहचानते हैं और उसे अपनाते हैं और यह तभी संभव हो पाता है जब हम यह समझ जाते हैं कि हर चुनौती, हर कठिनाई, हमें और अधिक परिपक्व और जागरूक बनाती है।


इसलिए दोस्तों, जीवन से और इससे मिलने वाले अनुभवों से डरिए मत, इन्हें तो खुले मन से अपनाइए। तभी आप अपने असली स्वरूप को बिना डर के स्वीकार पायेंगे। जब आप अपने तीसरे चेहरे के साथ ईमानदारी से जीना शुरू करते हैं, तभी आप सच में जीवन को जीते हैं, न कि केवल काटते या गुजारते हैं। याद रखियेगा, जीवन केवल एक अवसर है, हमें उसे पूरी चेतना, पूरी गहराई और पूरी सच्चाई के साथ ही जीना होगा। यही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, इसे स्वीकारिये और ख़ुद को रोज़ याद दिलाइये कि जीवन का अर्थ केवल सांस लेना नहीं है, बल्कि हर उस क्षण को पूरी सच्चाई और प्रेम से जीना है, जो हमें मिला है। उठिए, स्वयं से मिलिए और सच में जीना शुरू कीजिए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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