Dec 26, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, इस दुनिया में ज़्यादातर लोग विपरीत परिस्थितियों, चुनौतियों, रोज़मर्रा के जीवन में आने वाली बाधाओं, पूर्व में मिली असफलताओं को अपने जीवन में इतना ज़्यादा महत्व दे देते हैं कि उन्हें लगने लगता है कि परिवर्तन उनके लिए सपने से अधिक कुछ भी नहीं है। ऐसे लोग अपनी क़िस्मत या भाग्य को ख़राब या खोटा मान हार मान लेते हैं और निराश व मायूस रहते हुए अपना जीवन जीने लगते हैं।
दोस्तों, क्या आपको भी कभी लगा है या अभी भी लगता है कि हम कितनी भी मेहनत क्यूँ ना कर लें हमारे जीवन में कुछ बदलने वाला नहीं है। नित नई बाधाएँ या चुनौतियाँ आपको आगे बढ़ने नहीं देंगी। तो मैं आपसे कहना चाहूँगा कि एक बार सोच कर देखिए आपके और आपकी सफलता के बीच असली बाधा है क्या? मैंने अपने जीवन के अनुभवों से पाया है कि हमारी सफलता की राह का सबसे बड़ा रोड़ा या बाधा, हम खुद ही होते हैं। जी हाँ साथियों, हमारे पास अपने और अपनी सफलता के बीच रोड़ा या बाधा बनने की असीम शक्ति है। यह शक्ति हमें नकारात्मक विचारों से मिलती है। जैसे यह सोचना, ‘अब कुछ बदलने वाला नहीं है…’, ‘मेरी तो क़िस्मत फूटी है…’, ‘मुझे अच्छी शिक्षा नहीं मिली…’, ‘मैं अपने कार्य में उतना अच्छा नहीं हूँ…’, आदि।
एक आँकड़ा बताता है कि एक दिन में हमारे मन में 60000 से अधिक विचार आते हैं और इन 60000 विचारों में से मात्र 10000 विचार अर्थात् 17 प्रतिशत विचार सकारात्मक होते हैं। हम अपना 83 प्रतिशत समय सामान्यतः नकारात्मक विचारों के साथ गुज़ारते हैं। अगर आप गहराई से इस विषय पर सोचेंगे तो आप पाएँगे कि उपरोक्त विचार आपको, आपकी क्षमताओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं। यह आपको खुद को असफल, हारा हुआ मान लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। याद रखिएगा, जो हम सोचते और महसूस करते हैं वह हमें शारीरिक और भावनात्मक दोनों रूप से प्रभावित करता है। इसलिए अगर हम सकारात्मक बातों और विचारों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर देंगे, तो हम नकारात्मक विचारों के परिणाम को प्रभावित करने से रोकने लगेंगे।
इसके लिए हमें चिंता, ग्लानि, अपराध बोध, बेचैनी जैसे नकारात्मक भावों पर क़ाबू पाना सीखना होगा। अन्यथा यह हमें हमेशा हमारे लक्ष्य या सफलता अर्थात् डेस्टिनी से दूर रखेंगे, हमें जीवन में आगे बढ़ने से रोकेंगे। अगर आप अभी भी मेरी बात से सहमत नहीं हैं, तो एक बार सोच कर देखिएगा, ‘क्या होगा अगर…’, ‘लोग क्या सोचेंगे…’, ‘अगर ऐसा नहीं हुआ तो…’, ‘अगर वे बुरा मान गए तो…’, ‘उसका क्या होगा…’, आदि जैसे साधारण विचारों के प्रभाव के विषय में सोच कर देख लीजिएगा। असल में यह ही वे बाधाएँ है जो आपको सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने और खुद व दूसरों पर भरोसा करने से रोकती हैं।
दोस्तों, अगर आप सकारात्मक सोच के साथ खुद पर भरोसा करना शुरू कर दें और नकारात्मक विचारों को नज़रंदाज़ करते हुए अपने लक्ष्य की ओर छोटे-छोटे कदम उठाने लगते हैं तो आप सफल होने लगते हैं, अपने लक्ष्य पाने लगते हैं। याद रखिएगा अपने जीवन को बदलने के लिए हमें सही दिशा में मेहनत तो करना ही होगी। इसकी शुरुआत अपनी भावनाओं को तार्किक रूप से प्रबंधित या मैनेज करने से होगी। सीधे शब्दों में कहा जाए तो साथियों, आपको सकारात्मक सोच और विश्वास को अपना नेतृत्व करने देना होगा और इसकी शुरुआत बाज़ जैसी निगाहों से अपने विचारों को देखने से होगी। अर्थात् हर पल हमें पूरी तरह से वर्तमान में सजग रहते हुए अपने विचारों को देखना होगा। यह हमारे अंदर आत्म-जागरूकता अर्थात् सेल्फ़-अवेयरनेस लेकर आएगा। यही सेल्फ़-अवेयरनेस आपके अंदर विज़न और क्षमता का विकास करेगी। जब विज़न होगा तो आप सही बातों पर फ़ोकस करना सीखेंगे। जव फ़ोकस होगा तो आप भावनाओं को नियंत्रित कर सही चुनौतियों को पहचान पाएँगे और जब सही चुनौतियाँ पता होंगी तो सही योजना बनेगी। सही योजना होगी तो सही दिशा में मेहनत होगी और मेहनत सही दिशा में होगी तो मनचाहा परिणाम भी मिलेगा। दोस्तों, कल हम सेल्फ़-अवेयरनेस बढ़ाने और बाधाओं को दूर कर, अपना जीवन बदलने के 6 आसान सूत्र सीखेंगे…
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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