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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जीवन में हमेशा खुश रहने के ग्यारह सूत्र…

Nov 30, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, हम अपने जीवन को पूर्णता के साथ खुल कर जी पायें इसलिए ईश्वर ने हमें इस दुनिया में साहस, सहानुभूति, शांति, खुशी, सच्चाई, विनम्रता, लव, केयर, पीस, आनंद और उत्सव मनाने की क्षमता आदि जैसे स्वाभाविक भावों के साथ इस दुनिया में भेजा है। लेकिन जीवन से मिले चंद नकारात्मक अनुभव और चकाचौंध भरी इस दुनिया का भटकाव अक्सर हमारे मन में अस्थिरता और उलझन पैदा कर देता है। यही नकारात्मकता और भटकाव हमें अक्सर अपनी असीमित क्षमताओं और जन्म के साथ ईश्वर द्वारा दिए गए उपरोक्त भावों को भूलने के लिए मजबूर कर देती है और हम जिन क्षमताओं और भावों के साथ इस दुनिया में आये थे, उन्हें ही फिर से पाने के रास्ते बाहरी दुनिया में उपलब्ध साधनों में खोजने लगते हैं। जीवन के इस भटकाव और उलझन से जन्मा ऐसा ही एक यक्ष प्रश्न है, ‘खुश रहते हुए जीवन कैसे जिएँ?’ आइये आज हम इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तेज़ी से अपनाए और आसानी से सीखे जा सकने वाले ११ सूत्रों से सीखते हैं।


पहला सूत्र - हमेशा याद रखें कि इस धरती पर ऐसा कोई नहीं है जिसके जीवन में समस्याएँ नहीं हैं। इनसे निबटने के लिए सबसे पहले ख़ुद को याद दिलायें कि यही समस्याएँ आपको ईश्वर प्रदत्त अपनी क्षमताओं को पहचानने में मदद करेगी।

दूसरा सूत्र - चुनौतियाँ जीवन का हिस्सा हैं। मेरी नजर में तो चुनौती रहित जीवन की परिकल्पना करना ही सही नहीं है। इस दुनिया में केवल मृत्यु ही आपको इससे निजात दिला सकती है। इसलिए चुनौतियों को जीवन के अनिवार्य हिस्से के रूप में स्वीकारें और हर पल अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें।

तीसरा सूत्र - किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं है। इसलिए समस्याओं के समाधान खोजने के स्थान पर उससे उत्पन्न हुई नकारात्मकता या उससे मिले दर्द का प्रबंधन करना सीखें। याद रखियेगा उचित नजरिया आपको अनावश्यक नकारात्मकता, परेशानी और दर्द से बचा सकता है क्योंकि इन सब बातों के समाधान हमारे पास हैं।

चौथा सूत्र- आप अपने मन में खुद को जिस तरह से चित्रित करते हैं या देखते हैं, वह आपकी खुशी को प्रभावित कर सकता है। इसलिए खुद को एक मूल्यवान और सुंदर व्यक्ति के रूप में चित्रित करें और हीन भावना और आत्मसम्मान की कमी से बचें।

पाँचवाँ सूत्र - इस बात की परवाह न करें कि लोग आपके बारे में क्या कहते हैं। उनकी सोच, उनकी राय, उनका दृष्टिकोण उनकी प्राथमिकताओं पर आधारित हो सकता है। कुछ लोग दूसरों के दुःख में ही अपना सुख खोजते हैं। इसलिए वे आपको दुखी करने के लिए बिना सोचे-समझे, ऐसे ही कुछ भी कह सकते हैं।

छठा सूत्र - दोस्ती के लिए ऐसे लोगों को चुनें जिनका साथ आपको ख़ुशी देता है। जो आपको, जैसे आप हैं, वैसे ही स्वीकारते हैं। बिना वजह नकारात्मक बातें कहने वाले, बेवजह मजाक उड़ाने वाले, आपकी क्षणिक असफलता पर हँसने वाले लोगों से दूर रहें।

सातवां सूत्र - अपने शौक के लिए समय निकालें। अपने ख़ाली समय को अपने पसंदीदा कार्य जैसे खेलना, पढ़ना, दोस्तों से मिलना, फ़िल्में देखना, इंटरनेट या कंप्यूटर पर गेम खेलना आदि में लगाना आपको व्यस्त रखने, कुछ नया सीखने, नेटवर्क बनाने के साथ-साथ आंतरिक ख़ुशी और सुकून देता है।

आठवाँ सूत्र - किसी को भी ख़ुद को डराने की इजाज़त ना दें। विशेषकर पैसे, पद या अन्य भौतिक चीजों से क्योंकि आज का ग़रीब, कल अमीर बन सकता है। आज का कमजोर कल का ताकतवर बन सकता है क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है, अर्थात् इस दुनिया में परिवर्तन निरंतर होता रहता है।

नवाँ सूत्र - आज आप चाहे जिस भी दौर से गुज़र रहे हों, हार न मानें। जब तक जीवन है, उम्मीद है।

दसवाँ सूत्र - हर पल प्रार्थना करें और ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहें। यकीन मानियेगा, जैसा जीवन आप जी रहे हैं, वह कई लोगों के लिए सपना है इसलिए हर पल ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव रखें और बिना रुके प्रार्थना करें। प्रार्थना एक उत्प्रेरक है, जो विषम परिस्थितियों में ईश्वरीय आशीर्वाद को आपके पास तेज़ी से लाता है।

ग्यारहवां सूत्र -. जो आप चाहते हैं उसके लिए आगे बढ़ने का साहस रखें। जीवन निश्चित तौर पर जोखिम के बारे में है। अगर आप जोखिम नहीं लेंगे, तो आप अपने दिल की इच्छाओं को पूरा नहीं कर पायेंगे।


इन ग्यारह सूत्रों के अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात जो हमेशा याद रखना है, वह है, दूसरों की ख़ातिर अपनी मौलिकता को कभी न बदलें क्योंकि कोई भी आपकी भूमिका को आपसे बेहतर नहीं निभा सकता है। वैसे भी इस जीवन का लक्ष्य दूसरों जैसा बनना नहीं अपितु अपने अंदर छुपी क्षमताओं और विशेष योग्यताओं को पहचानकर खुलकर जीना है। अगर आप उपरोक्त सभी बातों को रोजमर्रा के जीवन में काम में लायेंगे तो निश्चित तौर पर साहस, सहानुभूति, शांति, खुशी, सच्चाई, विनम्रता, लव, केयर, पीस, आनंद, उत्सव मनाने की क्षमता आदि जैसे स्वाभाविक भावों के साथ इस जीवन को जी पाएँगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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