जीवन है तो अच्छा-बुरा चलता ही रहेगा…
- Nirmal Bhatnagar
- Mar 18
- 3 min read
Mar 18, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन है तो अच्छा-बुरा चलता ही रहेगा। अर्थात् जीवन में अच्छे और बुरे दोनों समय आते जाते रहेंगे क्योंकि यह हमारे जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसे आप एक ही सिक्के के दो पहलू या एक किताब के दो अलग-अलग अध्याय मान सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो सुख और दुःख हमारे जीवन की किताब के दो अलग-अलग अध्याय हैं। जिस तरह किताब पढ़ते समय मन को अच्छा ना लगने वाला अध्याय सामने आने पर हम किताब बंद करने के स्थान पर दूसरा अध्याय पढ़ना शुरू कर देते हैं, ठीक वैसे ही जीवन में जब कुछ बुरा हो तो हमें जीवन की किताब को बंद करने की बजाय, पेज पलटकर एक नया अध्याय शुरू करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यही सकारात्मक सोच हमें जीवन की कठिनाइयों से उबरने में मदद करती है।
जी हाँ दोस्तों, जीवन में कई बार मुश्किल और चुनौती भरे दौर में ऐसा लगता है जैसे, ‘अब तो सब कुछ ख़त्म हो गया है।’ लेकिन हक़ीक़त में ऐसा कुछ होता नहीं है। ऐसे समय में हमें बस ख़ुद को इतना याद दिलाना होता है कि कठिनाइयों भरा यह दौर बस कुछ दिनों का है, लेकिन सुख भरे जीवन का दौर, इस बुरे समय से कई गुना बड़ा है। इस स्थिति को भी आप किताबों की दुनिया से जोड़ कर देख सकते हैं। जब कोई कहानी दिलचस्प मोड़ पर आती है, तो हम उसे पढ़ना बंद नहीं करते, बल्कि आगे बढ़ते हैं यह देखने के लिए कि आगे क्या होता है। ठीक वैसे ही, जब जीवन में कोई कठिनाई आती है, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे पार करने का प्रयास करना चाहिए। बुरे समय का मतलब यह नहीं है कि सब कुछ समाप्त हो गया है, बल्कि यह एक नए अवसर की शुरुआत हो सकती है।
इस आधार पर कहा जाए तो हमारे विचारों का सही प्रबंधन असलियत में सफल जीवन की कुंजी है। अर्थात् हमारा जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने विचारों को कैसे नियंत्रित करते हैं। जब हम अपने विचारों को सही दिशा में ले जाते हैं, तो जीवन की यात्रा आसान और सुखद हो जाती है। इसका अर्थ हुआ जब कभी हम नकारात्मक विचारों की अधिकता के कारण दुखी और निराश महसूस कर रहे हों, तब अगर हम अपने विचारों को सही दिशा में मोड़ने में सफल हो जायें तो हम जीवन के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल सकते हैं।
इसी बात को अगर मैं आपको दूसरे शब्दों से समझाने का प्रयास करूँ तो, सकारात्मक सोच और संयम से हम किसी भी मुश्किल घड़ी में खुद को सम्भाल सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए आपको ज्ञानी नहीं, बुद्धिमान बनने की यात्रा तय करना होगी। अर्थात् आपको सुनी और सीखी गई बातों को जीवन में उतारना सीखना होगा। आपको समझना होगा कि बुद्धिमानी सिर्फ ज्ञान नहीं, बल्कि सही समय पर ज्ञान का सही उपयोग करना है, जिससे आप दुख और मुश्किल भरे दौर में अपनी सोच को सही बनाए रख सकें और अंतिम परिणाम को अपने पक्ष में मोड़ सकें।
इस दुनिया में बहुत से लोग पढ़ाई करके ढेर सारा ज्ञान तो अर्जित कर लेते हैं, लेकिन वे उसका सही समय पर, सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते हैं और अपने सारे ज्ञान को व्यर्थ कर दुख और परेशानी भरा जीवन जीते हैं। दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य सुखी और अच्छा जीवन जीना है तो आपको दुख, परेशानी और चुनौती भरे दौर को अपने सकारात्मक विचारों, संयम और ज्ञान की सहायता से बदलना सीखना होगा। याद रखियेगा, जीवन में सफलता पाने के लिए जरूरी है कि हम न केवल सीखें, बल्कि अपने ज्ञान को व्यवहार में भी लाएं। इसी बात को समझाते हुए महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा था, ‘बुद्धिमानी केवल ज्ञान प्राप्त करने में नहीं होती, बल्कि उसे सही तरीके से प्रयोग करने में होती है।’ इसलिए दोस्तों, अच्छे और बुरे समय को जीवन का हिस्सा मानें और इन्हें सहज रूप से स्वीकारें। जब बुरा समय आए, तो उसे अंत नहीं बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत मानें। अपने विचारों को सही दिशा में रखें और ज्ञान का सही उपयोग करें। यही जीवन को सफल और सुखद बनाने की कुंजी है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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