May 17, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अक्सर आपने सुना होगा, ‘नज़रिया सही रखे बिना नज़ारे सही हो नहीं सकते।’ अर्थात् जीवन में सकारात्मक बदलाव बिना सही नज़रिए के आना सम्भव नहीं है। इसीलिए मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर एवं ब्रांडिंग कोच श्री राजेश अग्रवाल ने भी कहा है, ‘सफलता प्रतिभा की अपेक्षा दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर करती है।’ वैसे यह कोई नई बात नहीं है और हम सभी इसे जानते हैं, लेकिन फिर भी कई लोग जीवन में पुराने नज़ारों को देखते हुए परेशान रहते हैं। आख़िर क्यों वे अपने दृष्टिकोण को सही समय पर बदल नहीं पाते हैं? वजह बड़ी साधारण सी है दोस्तों, ज़्यादातर लोग या तो अतीत में रहते हैं या फिर भविष्य में। अतीत, जहाँ ज़्यादातर लोग जीवन में घटी हज़ारों-लाखों सकारात्मक घटनाओं को छोड़ कर चुनिंदा नकारात्मक अनुभवों को तवज्जो दे कर रखते हैं और फिर कहते हैं, ‘हमारे साथ ही हमेशा ऐसा क्यों होता है?’, ‘लोग हमें हमेशा धोखा क्यों देते हैं?’, ‘हम तो सबका अच्छा करते हैं, लेकिन फिर भी हमारे साथ हमेशा ग़लत ही क्यों होता है?’ आदि… आदि…
हो सकता है आपमें से कुछ लोग मेरे इस कथन से सहमत ना हों तो मैं आपसे सिर्फ़ इतना ही कहूँगा कि कोई भी राय बनाने के पहले आज एक छोटा सा प्रयोग करके देख लीजिएगा। एक काग़ज़ पर उन सभी लोगों के नाम लिखिएगा जिन्होंने जीवन में आपके साथ किसी भी तरह का बुरा किया है। मेरा दावा है कि आप एक पेज भरकर भी उनके नाम नहीं लिख पाएँगे। इसके बाद आप उन सभी लोगों के नाम लिखिएगा जिन्होंने किसी भी रूप में आपकी मदद करी है। लिस्ट बनाते समय उस शिक्षक को भी याद करिएगा जिसने आपको उस वक्त माँ का प्यार दिया था जब आप रोते हुए विद्यालय पहुंचे थे। उस दोस्त को भी याद करिएगा जिसने आपको अपना खिलौना, पेंसिल, रबर, किताब या कोई अन्य सामान दिया, जिसने आपको कभी लिफ़्ट दी थी, प्यास लगने पर पानी पिलाया था, जिसने कभी ढाढ़स बँधाया तो कभी हौंसला बढ़ाया। उन्हें भी मत भूलिएगा जिनकी मदद से आज आप जहाँ पहुंचे हैं; जैसे हैं, वैसे बन पाए। यक़ीन मानिएगा यह सूची पिछली सूची के मुक़ाबले कई गुना बड़ी होगी। असल में दोस्तों, मानवीय स्वभाव के कारण हम नकारात्मक अनुभवों को ज़्यादा याद रखते हैं, इसीलिए अतीत में रहना हमारी ऊर्जा, हमारे मोटिवेशन को कम कर देता है।
यह तो बात हो गई अतीत की, चलिए अब थोड़ा भविष्य में रहने के विषय पर भी चर्चा कर लेते हैं। भविष्य, हमेशा अनिश्चित होता है और अनिश्चितता में रहना आपके भीतर तनाव पैदा करता है। इसलिए भविष्य में रहकर भी सकारात्मक ऊर्जा के साथ वर्तमान को जी पाना सम्भव नहीं है। इसलिए कहा जाता है, ‘जीवन सिर्फ़ वर्तमान में है।’ अगर आपने इस पल को खुल कर जिया, तो ही आप कह सकते हैं कि मैंने अपने जीवन को जिया है।
वैसे भी दोस्तों, मेरा मानना है कि भविष्य का डर केवल उन्हें ही सताता है या डराता है जो अपने वर्तमान से संतुष्ट नहीं है। आप स्वयं सोच कर देखिए, अगर वर्तमान में संतुष्टि का भाव होगा तो भविष्य की चिंता होगी ही क्यों? जी हाँ साथियों, हमारे जीवन की सारी चुनौतियाँ, सारी परेशानियाँ, सारी चिन्ताएँ, सारी प्रतिस्पर्धाएँ केवल वर्तमान जीवन के प्रति हमारी असंतुष्टि को ही दर्शाती हैं। जब आप अपने वर्तमान को संतोष पूर्ण बनाते हैं याने वर्तमान में अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए, ईश्वर के प्रति आभारी रहते हैं। तब आप सुखद भविष्य की नींव डालते हैं और बीतते समय के साथ एक सुकुन देने वाले अतीत का भी निर्माण करते हैं। जो आपके जीवन को सुखमय बनाता है।
लेकिन अक्सर लोग करते बिलकुल इसका उलट हैं, वे भविष्य को सुखमय बनाने के प्रयास में अपने वर्तमान को दुखमय बना लेते हैं। मैंने स्वयं ने यह गलती कई बार की है। इस गलती को करते वक्त अक्सर हम ईश्वर के बनाए इस साधारण से नियम को भूल जाते हैं कि भविष्य कभी आता ही नहीं है या दूसरे शब्दों में कहूँ तो भविष्य हमेशा वर्तमान के रूप में ही आपके पास आता है। इसलिए कहता हूँ दोस्तों, ‘जीवन तो सिर्फ़ वर्तमान में है’ या ‘जिया तो सिर्फ़ वर्तमान में जाता है।’ तो आईए दोस्तों, आज से अतीत के अंदर अपराध बोध ना हो और साथ ही हम भविष्य के भय से भी मुक्त हों, इसलिए पूर्ण कर्तव्यनिष्ठ बन वर्तमान को पूर्णता के साथ जीने का निर्णय लेते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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