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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जैसा करेंगे कर्म, पाएँगे वैसा ही फल…

June 7, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक सच्ची घटना से करते हैं। ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ़्लेमिंग नाम का एक किसान अपने खेत पर कार्य कर रहा था। अचानक उसे एक बच्चे के चीखने की आवाज़ सुनाई दी। वह तुरंत उस दिशा में दौड़ा और जल्द ही उसने देखा कि एक बच्चा अपनी कमर तक दलदल में फँस गया है और बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए, बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है।


किसान ने बिना एक पल गँवाए एक लम्बी पेड़ की टहनी देखी और अपनी जान को दाँव पर लगाकर उस बच्चे को बचाने का प्रयास करने लगा। किसी तरह किसान फ़्लेमिंग ने बच्चे को दलदल से बाहर निकाला और डरे, सहमे बच्चे को प्यार के साथ सांत्वना देते हुए पहले शांत करा और फिर उसे उसके घर जाने दिया। अगले दिन किसान फ़्लेमिंग के घर एक बहुत ही बड़ी कार आकर रूकी और उसमें से क़ीमती वस्त्र पहने हुए एक सज्जन उतरे और फ़्लेमिंग के पास जाकर उसका शुक्रिया अदा करते हुए बोले, ‘मेरा नाम रूडोल्फ़ चर्चिल है और मैं उस बालक का पिता हूँ जिसकी जान आपने कल बचाई थी। मैं आपका शुक्रिया अदा करने के साथ इस एहसान का बदला चुकाना चाहता हूँ।’


किसान फ़्लेमिंग ने उन सज्जन का ऑफ़र यह कहते हुए ठुकरा दिया कि ‘इंसान की जान बचाना मानवता या इंसानियत के नाते मेरा कर्तव्य है और साथ ही मानवता और इंसानियत का कोई मोल नहीं होता।’ इसी वार्तालाप के दौरान रूडोल्फ़ की नजर किसान की झोपड़ी के दरवाज़े पर खड़े किसान के बच्चे पर गई। उसे देखते ही रूडोल्फ़ ने फ़्लेमिंग से पूछा, ‘क्या यह आपका बेटा है?’ फ़्लेमिंग के हाँ में सर हिलाते ही रूडोल्फ़ बोले, ‘आपने सही कहा इंसानियत या मानवता का कोई मोल नहीं होता। क्या मैं इंसानियत और मानवता के नाते ही आपके बेटे की शिक्षा, मेरे बेटे के साथ करवा सकता हूँ? यक़ीन मानिएगा, अच्छी शिक्षा उसे एक ऐसा इंसान बनाएगी जिस पर हम दोनों एक दिन गर्व कर सकेंगे।’


किसान अपनी सीमा जानता था अर्थात् उसे पता था कि वह अपने बेटे को उस स्तर की शिक्षा नहीं दिलवा पाएगा जो वह सज्जन उसे दिलवाने का कह रहे हैं। उसने बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए रूडोल्फ़ के प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार लिया। अब किसान फ़्लेमिंग का बेटा भी रूडोल्फ़ के बेटे के साथ उस समय के एक श्रेष्ठ स्कूल में पढ़ने लगा और आगे चलकर उसने सेंट मैरी मेडिकल स्कूल से स्नातक की डिग्री हासिल करी और आगे चलकर किसान फ़्लेमिंग के इसी बेटे ने पूरी दुनिया को पेनिसिलिन नामक दवाई बनाकर दी। जी हाँ साथियों, आप सही पहचान रहे हैं मैं पेनिसिलिन के अविष्कारक सर अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग की बात कर रहा हूँ।


लेकिन दोस्तों, यह कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती है। पेनिसिलिन के अविष्कार के कुछ वर्षों बाद उस अमीर इंसान रूडोल्फ़ के बेटे को निमोनिया हो गया और डॉक्टर द्वारा पेनिसिलिन का इंजेक्शन लगाकर ही उसकी जान बचाई। रूडोल्फ़ का यही बेटा जिसकी जान फ़्लेमिंग ने बचाई थी आगे चलकर दो बार ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना, जिन्हें हम विंस्टन चर्चिल के नाम से जानते हैं।


दोस्तों, आप इसे संजोग भी कह सकते हैं लेकिन मेरी नज़र में उपरोक्त कहानी प्रकृति के नियम ‘जो बोएँगे, वही काटेंगे!’ या ‘जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल पाएँगे!’, का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसीलिए कहा जाता है हमेशा अच्छे कर्म करते रहिए क्योंकि आपका किया हुआ एक अच्छा कर्म एक बार नहीं, पलट-पलट कर बार-बार आपके पास आता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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