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जो जानते हैं, उसे अमल में लाना बनाता है आपको ज्ञानी…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

May 14, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, किसी बात को जानना और उसे अमल में लाकर जीवन को बेहतर बनाना दो बिलकुल अलग-अलग बातें हैं। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ। बात कई साल पुरानी है, रामपुर के राजा का बाग अपने समय का सर्वश्रेष्ठ बाग माना जाता था, जिसकी देखभाल रामू माली दिन-रात मेहनत कर किया करता थे। राजा के इस बाग में दुनिया भर से लाए गए बेहतरीन फूलों और फलों के पौधे थे। इन्हीं पौधों में एक अंगूर की बेल भी थी, जिस पर मौसम के अनुरूप ढेर सारे अंगूर लगे हुए थे।


एक दिन कहीं से एक चिड़िया आई और अंगूर की बेल पर बैठ कर अंगूर खाने लगी। मीठे अंगूर का स्वाद उसे इतना ज़्यादा पसंद आया कि अब वह दिन में कई बार बाग में आकर चुन-चुन कर अंगूर खाने लगी। चिड़िया के इस प्रयास में कई सारे पके-अधपके अंगूर नीचे गिर जाते थे। अंगूरों की इस तरह बर्बादी देख रामू माली दुखी और परेशान हो गया। उसने चिड़िया को भगाने का हर तरीक़ा अपनाया लेकिन वह हर बार असफल रहा। इसलिए परेशान होकर एक दिन वह राजा के पास मदद माँगने के लिये गया और उन्हें पूरी बात बताते हुए बोला, ‘महाराज, अब उस चिड़िया को बस में करना मेरे बूते की बात नहीं है। अब आप ही कुछ कीजिए।’


रामू माली की सारी बात सुन राजा ने ख़ुद चिड़िया से निपटने का निर्णय लिया और अगले दिन सुबह बाग पहुँचकर अंगूर की बेल के नीचे छुप कर बैठ गया। कुछ देर बाद रोज़ की ही तरह वह चिड़िया आई और अंगूर खाने लगी। राजा ने मौक़ा पाते ही चिड़िया को अपने पंजे में दबोच लिया। चिड़िया ख़ुद को राजा की पकड़ से छुड़ाने का प्रयास करने लगी। लेकिन जब उसे काफ़ी देर तक सफलता हाथ नहीं लगी तो वह याचक भाव के साथ बोली, ‘राजन, अगर तुम मुझे आज़ाद कर दोगे तो मैं तुम्हें ज्ञान की चार बातें बताऊँगी।’


राजा को चिड़िया पर क्रोध तो आ रहा था लेकिन ज्ञान के विषय में सुनकर चिड़िया की बात को मानने के लिए राज़ी होता हुआ बोला, ‘देखो चिड़िया रानी, पहले तुम्हें मुझे वो चार ज्ञान की बातें बतानी होगी, उसके बाद मैं निर्णय लूँगा कि तुम्हें छोड़ना है या नहीं?’ कोई और उपाय ना देख चिड़िया तुरंत राज़ी हो गई और बोली, ‘ठीक है राजन! तो सुनो पहली बात, कभी किसी हाथ आये शत्रु को जाने मत देना। दूसरी बात, कभी किसी असंभव बात पर यकीन मत करना। तीसरी बात, बीती बात पर कभी पछतावा मत करना।’


इतना कह कर चिड़िया एकदम चुप हो गई और बेचैनी से अपनी गर्दन इधर-उधर हिलाने लगी। राजा ने उसकी परेशानी को नज़रंदाज़ करते हुए कहा, ‘चिड़िया रानी, तुमने अभी चौथी बात नहीं बताई है।’ चिड़िया थोड़ा धीमे, लेकिन गंभीर स्वर में बोली, ‘राजन! चौथी बात बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर है। मैं उसे तुम्हें बताना तो चाहती हूँ लेकिन तुम्हारी पकड़ के कारण मेरा दम घुट रहा है। इसलिए मैं ढंग से बोल नहीं पा रही हूँ। तुम ज़रा अपनी पकड़ थोड़ी ढीली करो ताकि मैं तुम्हें सबसे महत्वपूर्ण बात बता सकूँ।’ चिड़िया की बात सुन राजा ने तुरन्त पकड़ थोड़ी सी ढीली करी, जिसका फ़ायदा उठाकर चिड़िया तुरंत उड़ गई और पास ही मौजूद पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर जाकर बैठ गई। राजा अब उस चिड़िया को ठगी हुई सी निगाह से देख रहा था।


कुछ पलों बाद ऊँची डाल पर बैठी चिड़िया ज़ोर से बोली, ‘राजन, सबसे महत्वपूर्ण और गंभीर चौथी बात यह है कि ज्ञान की बातें सुनने भर से कोई ज्ञानी नहीं हो जाता है। उसके लिए हमें ज्ञान की सुनी हुई बातों पर मनन करना पड़ता है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने तुम्हें तीन ज्ञान की बातें बताई थी, जिन्हें सुनकर भी तुमने अनसुना कर दिया था। मैंने तुम्हें कहा था कि हाथ आए शत्रु को कभी छोड़ना मत और असंभव बात पर कभी यक़ीन मत करना। लेकिन मेरी असंभव सी बातों में उलझकर तुमने पकड़ ढीली कर और मुझे छोड़ दिया। अब बस तुम तीसरी बात को याद कर लो और उसे अमल में लाओ। याने अब आप बीती बात पर पछतावा न करें और खुश रहें।’ इतना कहकर चिड़िया वहाँ से उड़ गई और राजा हाथ मलता रह गया।

चिड़िया की कही चारों बातें दोस्तों वाक़ई बड़ी महत्वपूर्ण और जीवन को बेहतर बनाने वाली थी। वाक़ई में किसी चीज को जान लेने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता है। उसके लिए तो सुनी हुई बातों याने अर्जित जानकारी को अमल में लाना पड़ता है। साथ ही हमेशा याद रखियेगा दोस्तों, बीती हुई बातों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है, इसलिए उस पर पछतावा करके हमें अपने वर्तमान को बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर हमें बीती हुई बातों को भूलकर, अपने वर्तमान को सर्वोत्तम तरीक़े से उपयोग करना चाहिये। जिससे हम सुनहरा और उज्ज्वल भविष्य बना सकें। तो आईए दोस्तों, हम अपने वर्तमान में रहकर, योजनाबद्ध तरीक़े से अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं याने कर्म करते हैं और अपना भविष्य बेहतर बनाते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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