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जो है, वही अपना है…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Oct 19, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइये दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। गाँव में रहने वाले सेठ अमीरचंद ने यूँ तो अपने जीवन में अथाह धन कमाया था, लेकिन उसके बाद भी वह सुखी जीवन नहीं जी पा रहा था। जवानी तो सारी उसकी धन कमाने में बीत गई थी और अब बुढ़ापा बिना वजह की चिंता में दुख और परेशानी के साथ गुजर रहा था। परिवार में भी अब कोई आगे पीछे नहीं था और जो भी उन्होंने इकट्ठा किया था, उसे अपने पूरे जीवन में ख़त्म करना सेठ के लिए संभव नहीं था। लेकिन उसके बाद भी चिंता उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। कुल मिलाकर कहूँ तो सब कुछ होने के बाद भी वह खुश नहीं था। इसलिए उसने साधु-महात्मा, पंडित, पुरोहित, ज्योतिष आदि सबके दरवाज़े खटखटाए, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ।


एक दिन उस सेठ को किसी ने एक साधु के विषय में बताते हुए कहा, ‘सेठ, उन साधु के तरीक़े थोड़े विचित्र होते हैं। उनके समझाने का तरीक़ा भी थोड़ा अजीब होता है। लेकिन उनके पास हर समस्या का समाधान होता है। इसीलिए वे सिर्फ़ उन्हीं लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं, जिन्हें कोई और हल नहीं कर पाता है। अगर तुम बिना चौंके उनके समाधान अपना सको तो वे निश्चित तौर पर तुम्हारी समस्या का समाधान कर देंगे।’


सेठ के पास कोई और उपाय तो था नहीं, इसलिए वो अपने हीरे-जवाहरातों को एक पोटली में बांधकर, पास ही के एक गाँव में पेड़ के नीचे बैठे साधु के पास पहुँच गया और पोटली उनके सामने रखते हुए बोला, ‘महात्मा जी यह देखो इतने हीरे-जवाहरात और ढेर सारी दौलत मेरे पास है। लेकिन इसके बाद भी ख़ुशी, सुख आदि मुझसे कोसों दूर है। अब आप ही बताइये मैं कैसे सुखी होऊँ?’ सेठ की बात पूरी होते ही साधु ने सेठ की हीरे-जवाहरात की थैली उठाई और दौड़ लगा दी। एक क्षण के लिये तो सेठ को समझ ही नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। साधु-महात्मा तो ऐसा नहीं करते? तभी उसे होश आया कि साधु उसकी ज़िंदगी भर की कमाई ले कर भाग गया है। अर्थात् साधु ने उसे लूट लिया है। विचार आते ही वह ज़ोर से चिल्लाया, ‘लुट गया… लुट गया… देखो वह साधु मेरी ज़िंदगी भर की कमाई लेकर भाग गया। मैं तो यहाँ सुख की तलाश में आया था लेकिन इसने तो मुझे और दुखी कर दिया।’ अब वह सेठ साधु चोर है, बेईमान है, आदि कहता हुआ साधु के पीछे भागा जा रहा था।


चूँकि साधु तो उसी गाँव का था और वहाँ के चप्पे-चप्पे से परिचित था इसलिए वह कभी एक गली में घुस जाता तो कभी दूसरी में। जल्द ही साधु ने सेठ को पूरे गाँव में दौड़ा दिया। अब तो आलम यह था कि साधु और सेठ के पीछे भीड़ भी हो ली। वो जानती थी कि आज फिर साधु कोई नया और महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाने वाले हैं, इसीलिए नया स्वाँग रच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सेठ आश्चर्यचकित था कि गाँव वाले उसकी मदद क्यों नहीं कर रहे हैं। कुछ ही देर में सेठ पसीना-पसीना हो गया। वह अपने जीवन में कभी इतना नहीं भागा था। पसीने से लथपथ हो अब साधु के पीछे भागते हुए; अब वो वहीं लौट आया था जहाँ से भागना शुरू किया था। तभी उसने देखा कि उसके घोड़े के पास ही उसकी हीरे-जवाहरात वाली पोटली पड़ी है। उसने तत्काल पोटली को उठाया और अपने सीने से लगाता हुआ बोला, ‘हे परमात्मा! तेरा बहुत-बहुत धन्यवाद! आज मुझ जैसा सुखी इस दुनिया में और कोई भी नहीं… मुझे मेरा धन वापिस मिल गया!’ तभी वृक्ष की ओट में खड़े साधु झांके और बोले, ‘क्या कहा? आज तेरे जैसा सुखी इस दुनिया में कोई और नहीं? कहाँ से मिला यह सुख? पहले भी तो यही पोटली तुम्हारे पास थी, जिसे लेकर तुम यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ घूम रहे थे और सुख का कोई पता नहीं था। अब भी वही पोटली तुम्हारे पास है और तुम कह रहे हो कि तुम ख़ुश हो। कहाँ से आई यह ख़ुशी?’ सेठ कुछ कहता उसके पहले ही साधु बोले, ‘असल में कुछ देर के लिए तुम्हारे और पोटली के बीच में फासला बन गया था। अर्थात् थोड़ी देर के लिए तुम पोटली से वंचित हो गये थे। इसने तुम्हें पोटली की सही क़ीमत का एहसास करवाया। इसलिए तुम अब कह रहे हो, ‘ हे प्रभु, धन्यवाद तेरा कि आज मैं खुश हूँ, आज पहली बार मुझे आनंद की थोड़ी झलक मिली।’


बात तो दोस्तों, साधु की ज़बरदस्त थी। सामान्यतः इस दुनिया में ज़्यादातर लोग गँवाने के बाद ही किसी भी चीज की सही क़ीमत को पहचान पाते हैं। भले ही वह चीज दौलत, शोहरत, सेहत, रिश्ते, उद्देश्य पूर्ण साथ या जीवन कुछ भी क्यों ना हो। सामान्य लोग ऐसे ही हैं। वे जब तक गंवाते नहीं हैं, तब तक उसका सही मूल्य पता नहीं कर पाते हैं। अगर आपका लक्ष्य खुश और सुखी रहना है तो अपनी इस आदत को आज ही बदलिए और ईश्वर से आपको जो भी मिला है उसकी कदर करना शुरू कीजिए। याद रखियेगा, जो जो खो गया है उसके लिये रोने से, उसके अभाव में अपने आज को खोने से कुछ मिलने वाला नहीं है। उसके खोने या जाने के बाद जो बचा है, उसकी कद्र कीजिए; उसके मूल्य को पहचानिए और जो है उसके साथ मस्त, खुश और सुखी रहिए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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