top of page
Writer's pictureNirmal Bhatnagar

जो होता है अच्छे के लिए होता है…

Aug 30, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों हमारे जीवन में कई बार ऐसे पल आते हैं जब जीवन में घटने वाली कुछ घटनाएँ हमारी उम्मीदों, हमारे दिल को तोड़ देती हैं और हमें अपने चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है। हम खुद को चारों ओर दुःख-दर्द से घिरा हुआ पाते हैं और जीने से ज़्यादा मरना आसान लगता है। लेकिन दोस्तों यही वह समय होता है जब ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रख अगर धैर्य से काम लिया जाए तो आप मनचाहे लक्ष्यों को तमाम असफलताओं के बाद भी पा सकते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक सच्ची घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ-


बात कई साल पुरानी है, केरल के एक सरकारी विद्यालय के शिक्षक बच्चों को हवाई जहाज़ के उड़ने की प्रक्रिया के बारे में समझा रहे थे। लेकिन उनके बार-बार प्रयास करने पर भी बच्चे उसे समझ नहीं पा रहे थे। शिक्षक सभी बच्चों को समुद्र तट पर लेकर गए और एक बार फिर से उड़ती हुई चिड़िया दिखाकर, बच्चों को समझाने का प्रयास करा। उनके इस अनूठे प्रयास का प्रभाव इतना गहरा था कि उनकी कक्षा के एक बच्चे ने अपने जीवन का लक्ष्य ही पायलट बनना, बना लिया।


इस लक्ष्य पूर्ति के लिए उस बालक ने एन॰डी॰ए॰ का रास्ता चुना और स्कूली शिक्षा पूर्ण कर एन॰डी॰ए॰ की प्रवेश परीक्षा का फ़ॉर्म भर दिया। लेकिन राह इतनी भी आसान नहीं थी क्योंकि इस युवा को देहरादून जाकर परीक्षा देने के लिए आने-जाने का खर्च जुटाना था। परिवार में जब यह बात उस युवा की बहन को पता चली तो उसने तुरंत अपने कंगन के एवज़ में कुछ रक़म का इंतज़ाम कर उस युवा को दे दिया।


हालाँकि यह रक़म भी बच्चे की आवश्यकता से काफ़ी कम थी क्योंकि इससे देहरादून जाने का टिकिट तो लिया जा सकता था, लेकिन लौटना सम्भव नहीं था। उस युवा को अपनी तैयारी पर पूर्ण भरोसा था । उसने सोचा ‘परीक्षा तो मैं हर हाल में उत्तीर्ण कर ही लूँगा और फिर सब-कुछ आसान हो जाएगा।’ लेकिन कहते हैं ना हर बार सब-कुछ आपकी इच्छा के अनुसार ही नहीं होता , प्रवेश परीक्षा का परिणाम इस युवा की उम्मीद के ठीक विपरीत आया। अर्थात् यह बच्चा एन॰डी॰ए॰ की प्रवेश परीक्षा पास नहीं कर पाया।


इस असफलता से बच्चा पूरी तरह टूट गया, उसके पास ना तो घर लौटने के लिए टिकिट के पैसे बचे थे और ना ही कोई उम्मीद। उसके मन में तो एक ही विचार बार-बार आ रहा था, ‘ऐसे जीवन से तो मर जाना ही बेहतर है।

’उक्त विचार के साथ वह युवा ऋषिकेश में माँ गंगा के किनारे पहाड़ियों पर घूम रहा था कि तभी मां गंगा के किनारे आश्रम बनाकर रहने वाले शिवानंद स्वामी की नजर उस पर पड़ गई। वे अपने अनुभव से तत्काल उस युवा की मनोदशा को भाँप गए। अर्थात् वे समझ गए कि इस समय युवा नदी में कूद कर आत्महत्या करने के बारे में विचार कर रहा है।


स्वामी जी ने तत्काल उस युवा को अपने पास बुलाया और पूछा, ‘कहाँ से आए हो?’ केरल से, सुनकर स्वामी जी बोले, ‘अच्छा तो तुम जगत गुरु शंकराचार्य जी की भूमि से आए हो। फिर तो तुम हमारे मेहमान हो, बताओ क्या समस्या है?’ युवा ने परीक्षा की असफलता से लेकर लौटने के पैसे ना होने तक की पूरी बात स्वामी जी को कह सुनाई। युवा की समस्या को सुन स्वामी जी ने ना सिर्फ़ उसके लौटने के लिए पैसों का इंतज़ाम किया बल्कि उसके रुकने व खाने का भी उचित प्रबंध किया।


अगले दिन इस युवा ने घर जाने से पहले स्वामी जी से एक प्रश्न पूछा, ‘आप तो अंतर्यामी हैं, सब कुछ जानते हैं। क्या आप बता सकते हैं कि परीक्षा में मेरा सिलेक्शन क्यों नहीं हुआ?’ स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘वत्स, ईश्वर तुम्हें किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुरक्षित रखना चाहता है।’


स्वामी जी के इन शब्दों ने उस युवा पर जादू कर दिया और आगे चलकर यही युवा मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध हुआ। जी हाँ दोस्तों, आप बिलकुल सही पहचान रहे हैं, मैं हमारे देश के सबसे लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में बात कर रहा हूँ। डॉक्टर कलाम ने ही उक्त घटना को अपनी आत्मकथा ‘विंग्स ऑफ़ फ़ायर’ में साझा किया है।


शायद अब आप समझ गए होंगे की पूर्व में मैंने आपको धैर्य के साथ ईश्वर पर विश्वास करने के लिए क्यों कहा। वैसे भी अगर देखा जाए तो हम सब उस ईश्वर की ही संतान हैं और हमें पता है कि इस सृष्टि में पत्ता भी उनकी इच्छा के बिना नहीं हिलता है। इसका अर्थ यह हुआ कि वे ही हमारे पालनहार हैं और अगर वे हमारे पालनहार हैं तो, निश्चित तौर पर हमारी परेशानियों, हमारे डर, तथा हमारे आँसू सभी के बारे में जानते होंगे। अगर वे जानने के बाद भी आपको दुःख दे रहे हैं तो वो निश्चित तौर पर उनकी किसी बड़ी योजना का हिस्सा होगा। दोस्तों आज के बाद जब भी आपका सामना विपरीत परिस्थितियों या असफलता से हो तो स्वामी शिवानंद के यह शब्द याद कर लीजिएगा, ‘ ईश्वर हमें किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुरक्षित रखना चाहता है, उस लक्ष्य की तैयारी के लिए ही उसने यह शुरुआती असफलता दी है।’’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

9 views0 comments

Comments


bottom of page