Jan 25, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

‘ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र, कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं, है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं…’ आप भी सोच रहे होंगे आज क्या हो गया जो आज के लेख की शुरुआत एक उदास या सोचने को मजबूर करने वाले गाने से कर रहा हूँ। क्या करूँ दोस्तों, एक पाठक ने लेख को पढ़ने के बाद सवाल ही ऐसा कर लिया था। हुआ यूँ कि कल याने सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान एक सज्जन मेरे पास आए और बोले, ‘सर, मैं आपके लेख का नियमित पाठक और आपके रेडियो शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ का नियमित श्रोता हूँ। लेकिन बुरा मत मानिएगा सर!, आपके बताए ज़िंदगी को बेहतर बनाने वाले सूत्रों से मेरे जीवन में तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। कई बार तो ऐसा लगता है, जैसे ज़िंदगी समस्या से अधिक और कुछ नहीं है। इसे जितना समझने या सुलझाने जाओ ये और ज़्यादा उलझ जाती है।’
चूँकि वे सज्जन उस वक्त काफ़ी चिंतित और नकारात्मक विचारों से घिरे हुए थे, इसलिए मैंने तत्काल ज़्यादा समझाने के स्थान पर उन्हें रिलैक्स करना बेहतर समझा। लेकिन उस वक्त मुझे एक और गाना याद आ रहा था, ‘जिंदगी… कैसी है पहेली हाय…कभी तो हसाए, कभी ये रुलाए… कभी देखो मन नहीं जागे, पीछे-पीछे सपनों के भागे, हें... कभी देखो मन नहीं जागे, पीछे-पीछे सपनों के भागे, एक दिन सपनों का राही, चला जाये सपनों के आगे, कहाँ… जिंदगी…’ कहने का मतलब है दोस्तों, ज़िंदगी को समझने का प्रयास करना ही अपने आप में उलझन भरा होता है। क्योंकि ज़िंदगी ना तो समझने की चीज़ है, ना ही सुलझाने की और ना ही यह कोई प्रश्न या परीक्षा है, जिसे उत्तीर्ण कर आगे बढ़ा जा सकता है। ठीक इसी तरह ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ जैसे कार्यक्रम सुनने या ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है’ जैसे लेख पढ़ने भर से आपका जीवन बेहतर नहीं बनेगा, उसके लिए तो आपको सबसे पहले ज़िंदगी को ईश्वर का हमें दिया एक अनुपम उपहार मानना होगा और फिर उसके बाद ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ या ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है’ जैसे कार्यक्रमों या लेखों में बताए गए सुझावों को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर याने उसे अमल में लाकर अपने जीवन को बेहतर बनाना होगा। चलिए, आज हम बिना कहानी-क़िस्सों के ही जीवन को बेहतर बनाने वाले 7 सूत्र सीख लेते हैं-
पहला सूत्र - हर तरह की नकारात्मकता से बचें याने नकारात्मक माहौल, लोगों और सोच से बचें।
दूसरा सूत्र - याद रखें जैसा अन्न, वैसा मन इसलिए सिर्फ़ वही खाएँ जो आपको सुकून दे, खाते समय अच्छा लगे।
तीसरा सूत्र - दूसरों को नहीं, खुद को जानने का प्रयास करें। अपने अंदर झांकें क्योंकि जब आप दूसरों पर अधिक ध्यान देते हैं तब राग, द्वेष, मोह, तुलना जैसे भाव हमारे अंदर पैदा होते हैं, जो अंततः हमारी शांति और ख़ुशी को प्रभावित करते हैं।
चौथा सूत्र - ईश्वर पर पूर्ण आस्था रखें और हर पल, हर स्थिति में उसके आभारी रहते हुए सदैव मुस्कुराएँ क्योंकि ईश्वर ने जानवरों को मन का खाने, पहनने, हंसने, इच्छानुसार रहने का सुख नहीं दिया है।
पाँचवाँ सूत्र - जब आपको कपड़े, गाड़ी, घर या सभी चीज़ें नई चाहिए तो सिर्फ़ विचार क्यों पुराने लेकर बैठे हैं? देश, काल, परिस्थिति के अनुसार सोच बदलें और गुरु या ईश्वर के बताए मार्ग पर चलें।
छठा सूत्र - मूर्खों की प्रशंसा सुनने से अच्छा है, बुद्धिमानों की फटकार सुनना क्योंकि वे आपको जीवन का मूल्य समझाकर उसे उत्तम कार्यों में लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।
सातवाँ सूत्र - सबकी ग़लतियों को देखना, उसे बताना, उस पर चर्चा करना असल में उन सारी ग़लतियों को अपने भीतर लाना होता है।
अंत में इतना ही कहूँगा साथियों, अपने विचारों पर ध्यान दें क्यूँकि विचार पहले सोच, फिर कर्म और अंत में परिणाम बन आपके जीवन को दिशा देते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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