Sep 20, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत मेरी व्यक्तिगत, लेकिन मानवता के लिए व्यापक नज़रिया रखने वाली सोच से करना चाहूँगा। मेरी नज़र में दोस्तों हिंदुत्व, धर्म नहीं जीवनशैली है। जी हाँ, पहली नज़र में आपको मेरी बात थोड़ी ग़लत या अटपटी लग सकती है लेकिन मेरा मानना है कि अगर आप लेख को पूरा पढ़ेंगे, तो संभवतः मेरी बात से सहमत हो जाएँगे। लेकिन उसके बाद भी कहीं आपको कुछ ग़लत लगता है, तो मैं शुरुआत में ही आपसे माफ़ी माँगता हूँ। वैसे माफ़ी माँगने का एक और कारण है, आज जिस विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं, मैं उस विषय का ज्ञानी या विशेषज्ञ नहीं हूँ। इसलिए कुछ ग़लत कह जाने की संभावना और ज़्यादा बढ़ जाती है। लेकिन यक़ीन मानियेगा आज मैं आपसे जो भी कह रहा हूँ, वह अपने जीवन के अनुभव और व्यवहारिक तौर पर अच्छी जीवनशैली के आधार पर कह रहा हूँ। तो चलिए शुरू करते हैं-
दोस्तों, आज सामाजिक तौर पर कहीं ना कहीं लोग धर्म के आधार पर यह कहते हुए बंटते जा रहे हैं कि मेरा धर्म सबसे बेहतर है और सभी को उसे मानना चाहिए। लेकिन मेरा मानना है कि धर्म कभी भी बाँटता नहीं है, वह तो हमें जात-पात, ऊँच-नीच से ऊपर उठकर मानवता और इंसानियत के आधार पर जीना सिखाता है। इसीलिए मैंने पूर्व में कहा था, ‘मेरी नज़र में हिंदुत्व धर्म नहीं जीवनशैली है।’ जी हाँ दोस्तों, अगर आप सामान्य धारणाओं से ऊपर उठकर व्यवहारिक तौर पर देखेंगे तो पायेंगे कि इस सनातन धर्म ने हमें हमेशा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का भाव सिखाया है। आईए, आज हम हिंदुत्व या सनातन धर्म को जीवनशैली मान कर इससे जीवन को बेहतर बनाने वाले सात सूत्र सीखते हैं-
पहला सूत्र - ज़िंदगी एक अनजान किताब है, जिसका अंत कहाँ होगा पता नहीं
हमारी जिंदगी एक अनजान किताब जैसी है। जिसके अगले पन्ने पर क्या लिखा है, किसी को नहीं पता है। इसलिए यह किताब कब ख़त्म होगी या कब हाथ से छूट जाएगी कहना असंभव है। इसलिए हमें इस किताब के हर पन्ने को अंतिम पन्ना मान कर पढ़ना चाहिए। याने ईश्वर से ‘आज’ के रूप में मिले हर दिन को जीवन का अंतिम दिन मान कर पूर्णता के साथ जीना चाहिये।
दूसरा सूत्र - मृत्यु शाश्वत सत्य है
ज़िंदगी के विषय में एक ही बात गारंटी से कही जा सकती है कि एक दिन वह निश्चित तौर पर ख़त्म हो जाएगी अर्थात् मृत्यु, शाश्वत सत्य है। इस बात को हमेशा याद रखें और जीवन में आगे बढ़ें।
तीसरा सूत्र - आप अपने साथ सिर्फ़ अच्छे कर्म ले जा पायेंगे
आज तक इस दुनिया में कोई भी अपनी दौलत, अपनी जायदाद मृत्यु के समय अपने साथ नहीं ले जा पाया है और एक ना एक दिन ऐसा ही आपके साथ भी होगा। इसलिए हमेशा दौलत के पीछे ना भागें, इसके स्थान पर अच्छे कर्मों को प्राथमिकता दें क्योंकि इस ज़िंदगी के बाद सिर्फ़ कर्मों का फल ही आपके साथ जाता है।
चौथा सूत्र - जो करेगा, वो भरेगा
भगवान के यहाँ हिसाब आपकी हैसियत से नहीं, बल्कि आपके किए कर्मों के हिसाब से किया जाता है। अगर आप अच्छे कर्म करेंगे तो आपको उसके हिसाब से फल मिलेगा और अगर आपके कर्म दूसरों को नुक़सान पहुँचाने वाले होंगे तो उसका हिसाब भी आपको यहीं चुकता करना होगा। इसलिए हमेशा याद रखें, जो करेगा, वो भरेगा।
पाँचवाँ सूत्र - जहाँ उलझो, वहीं सुलझो
जीने के लिहाज़ से देखा जाये तो यह ज़िंदगी बहुत छोटी है। इसको नकारात्मक बातों या घटनाओं में बर्बाद करना कहीं से भी उचित नहीं है। इसलिए इसे बदले का भाव रखने, बाद में देख लेने, जैसे दावों या वादों में बर्बाद करने के स्थान पर तत्काल निर्णय लेकर सुलझा लेना उचित है।
छठा सूत्र - जो है उसमें संतोष करो
याद रखो, ईश्वर मेरे बिना भी ईश्वर ही है, मगर मैं ईश्वर के बिना कुछ भी नहीं। "ज़िन्दगी" तस्वीर भी है और तक़दीर भी। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है, ‘तस्वीर’ में हम अपनी मर्ज़ी से रंग भरते है और ‘तक़दीर’ में ऊपर वाला अपनी मर्ज़ी से रंग भरता है। अर्थात् तक़दीर में जो है, वो तो आपको मिल ही जाना है और तस्वीर को सिर्फ़ उतना ही सुंदर बनायें जीतने का मज़ा आप ख़ुद उठा पाएँ क्योंकि अतिरिक्त सब कुछ यहीं रह जाना है। इसलिए ज़रूरत से ज़्यादा इकट्ठा करने का क्या फ़ायदा? इससे बेहतर है कि इकट्ठा करने में लगाये जाने वाले समय को हम जीवन जीने में लगायें, यह तभी संभव होगा जब हम जो है, उसमें संतोष करना सीख जाएँगे।
सातवाँ सूत्र - सबसे ताकतवर प्रेम है
सब को इकट्ठा रखने की ताकत प्रेम में है और सब को अलग करने की ताकत भ्रम में है। इसलिए भ्रम में अपने जीवन को ना जियें। जिस तरह मकड़ी अपने बुने जालों में कभी नहीं उलझती, ठीक वैसे ही हमें अपने बुने सपनों या ख़यालों के मकड़ जाल में उलझने से बचना होगा। ख़यालों या सपनों के इस जाल में फँसने से बचने के लिए आपको अपने अंदर दो शक्तियों को विकसित करना होगा पहली सहनशक्ति और दूसरी समझ शक्ति।
दोस्तों उपरोक्त सात सूत्र आपको सनातन धर्म से संबंधित हर धार्मिक ग्रंथ में मिल जाएँगे। इसीलिए मैंने पूर्व में कहा था कि हिंदुत्व या सनातन सिर्फ़ धर्म नहीं जीवनशैली है। याद रखियेगा, जिस तरह कंधों से ऊंची कभी छाती नही होती ठीक उसी तरह मानवता और इंसानियत से ऊपर कोई जाति नही होती और यही बात कहीं ना कहीं हिंदू या सनातन धर्म हमें सिखाता है। इसलिए दोस्तों, अपने धर्म को ज़्यादा बेहतर और ख़ुद को उसका सबसे बड़ा समर्थक सिद्ध करने के स्थान पर उपरोक्त जीवनशैली को अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बनाओ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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