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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

ज़िंदगी रेस नहीं…

Oct 1, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

चलिए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, कुत्तों के एक समूह ने मीटिंग कर यह घोषणा कर दी कि जंगल के सबसे तेज धावक हम हैं। जब इसका पता जंगल के दूसरे जानवरों को पता लगा तो उन्होंने इस पर विरोध दर्ज करवाते हुए, कुत्तों से इसे सिद्ध करने के लिए कहा। सियार, बंदर, भेड़ आदि जानवरों का विरोध करते हुए सभी कुत्तों ने कहा कि ‘सहमत नहीं हो तो एक दौड़ करा कर देख लो। दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।’ सभी जानवरों को कुत्तों का विचार भा गया और उन्होंने अगले रविवार को सुबह एक दौड़ का आयोजन किया।


तय दिन, तय समय पर सभी जानवर और काफ़ी सारे लोग भी जमा हुए थे। वे सब भी इस विशेष दौड़ को देखना चाहते थे। थोड़ी देर में जंगल के राजा शेर के इशारे पर सभी जानवर दौड़ शुरू करने वाले स्थान पर आकर खड़े हो गये और फिर राजा के अगले इशारे पर दौड़ शुरू हो गई। लेकिन वहाँ मौजूद सभी लोगों को उस वक़्त आश्चर्य हुआ जब दौड़ शुरू होने पर सभी कुत्ते तो तेज़ी से दौड़ने लगे लेकिन चीता अपनी जगह से हिला तक नहीं।


वहाँ मौजूद अन्य सभी जानवर चीते से विनती करने लगे कि वह दौड़ना शुरू करे अन्यथा कुत्ते विजेता घोषित कर दिये जाएँगे। लेकिन चीता अपनी जगह से हिलने तक को राज़ी नहीं था। ऐसा लग रहा था मानो वो इस रेस का हिस्सा ही नहीं था। अब वहाँ मौजूद लोगों में चीता एक कौतूहल का विषय था। वहाँ मौजूद हर कोई अब यह जानना चाहता था कि चीते को क्या हो गया है? वह दौड़ शुरू होने के बाद भी अपने स्थान पर ही रुका हुआ क्यों है? क्या उसे अपनी इज्जत याने सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर की पदवी की परवाह नहीं है?


वहाँ मौजूद सभी जानवरों और अन्य लोगों को दुविधा में देख जंगल का राजा शेर मुस्कुराते हुए तेज आवाज़ में बोला, ‘ये चीता नहीं दौड़ेगा!’ सारे जानवर आश्चर्य से भर, शेर का मुँह ताकने लगे। ऐसा लग रहा था मानो पूछ रहे हों, ‘क्यों नहीं दौड़ेगा?’ तभी शेर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला, ‘क्या आप लोगों को लगता है कि चीते को सच में ख़ुद को बेहतर साबित करने की आवश्यकता है? चीता अपनी गति का प्रयोग शिकार करने के लिए करता है, कुत्तों के सामने यह साबित करने के लिए नहीं कि वह तेज और ताकतवर है।’


मेरी नज़र में दोस्तों, जंगल के राजा शेर की बात तो सौ प्रतिशत सही है और मुझे लगता है आप सब भी इससे पूरी तरह सहमत होंगे। सही कहा ना मैंने? फिर दोस्तों, यह जानने के बाद भी हम में से ज़्यादातर लोग यह गलती अपने जीवन में क्यों करते हैं? ख़ुद को और अपने बच्चों को चूहा दौड़ में भागने के लिए क्यों मजबूर करते हैं? याद रखियेगा साथियों, जीवन एक दौड़ नहीं है और हमें इस ज़िंदगी में कुछ भी साबित करने की ज़रूरत नहीं है। हमें तो बस इस जीवन को पूरी तरह खुलकर जीना है।


मेरी नज़र में चूहा दौड़ का हिस्सा बनकर हम सब सिर्फ़ यह साबित करते हैं कि हम अपनी क्षमता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं और जो भी कर रहे हैं लोगों को सामने ख़ुद को साबित करने के लिए कर रहे हैं और इसका हमारी क्षमताओं और पसंद नापसंद से कोई लेना-देना नहीं है। यक़ीन मानियेगा, ऐसी दौड़ हमें कभी भी अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँचाती है। दोस्तों, याद रखियेगा अगर आप अपने जीवन को उच्चतम स्तर तक जीना चाहते हैं तो एक बात याद रखियेगा, ख़ुद को साबित करने के लिए मेहनत करने के स्थान पर अपनी यूनिक असीमित क्षमताओं पर विश्वास करते हुए पूर्ण आत्मविश्वास के साथ ज़िंदगी में आगे बढ़ियेगा और ख़ुद को ख़ुद से रोज़ बेहतर बनाइयेगा, फिर देखियेगा ज़िंदगी कैसे आपको सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचाती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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