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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

ज़िम्मेदार बनें और अपने सपनों की दुनिया बनायें…

Dec 17, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नजर में अपने जीवन में घटने वाली घटनाओं, असफलताओं और परेशानियों के लिए दूसरों को दोषी ठहराने से आसान कुछ नहीं है क्योंकि इसके लिए आपको सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक दिशा में कुछ दिमाग़ ही तो चलाना होता है। इसके ठीक विपरीत अपने जीवन को ईश्वर प्रदत्त विशेषताओं और योग्यताओं को पहचान कर निखारना हमेशा मुश्किल चुनाव नजर आता है। मेरी नजर में इसकी दो मुख्य वजह हैं। पहली, ख़ुद की क्षमताओं को और ज़्यादा निखारकर कर्म करने के लिए की जाने वाली मेहनत है और दूसरी, अंतिम परिणाम की जवाबदारी ख़ुद पर होना। जी हाँ दोस्तों, उपरोक्त दोनों कारणों के कारण ही सामान्य इंसान को दोष देना आसान नजर आता है। चलिए, इसी बात को हम कहानी के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं-


बात कई साल पुरानी है, एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक़्त बुदबुदाते हुए कहता है, ‘क्या थर्ड क्लास जगह है यह? यहाँ ना तो हरियाली है और ना ही कोई अन्य सुविधा। वैसे यह यहाँ हो भी कैसे सकता है, यहाँ तो पानी का नामो-निशान भी नहीं है।’ इन्हीं विचारों के साथ जैसे-जैसे वह रेगिस्तान में आगे बढ़ता जा रहा था वैसे-वैसे ही उसका गुस्सा और उसकी चिड़चिड़ाहट भी बढ़ती जा रही थी। जब वह आदमी इस माहौल से बहुत ज़्यादा परेशान हो गया तो वह आसमान की ओर झल्लाहट के साथ देखते हुए बोला, ‘भगवान आप यहाँ पानी क्यों नहीं देते? अगर यहाँ पानी होता तो कोई भी यहाँ पर पेड़-पौधे उगा सकता था। इससे यह जगह भी दूसरे इलाकों के समान खूबसूरत बन जाती।’


उस व्यक्ति के ऐसा कहते ही एक चमत्कार होता है और उसके नजर झुकाते ही उसे पानी से भरा एक कुआँ नज़र आ जाता है। चूँकि वह व्यक्ति उस इलाक़े से पहले भी कई बार गुजरा था और उसे वहाँ कभी कोई कुआं नजर नहीं आया था, इसलिए वह आश्चर्य में पड़ जाता है। पानी से लबालब भरे कुएँ को देख वह ईश्वर को धन्यवाद देने के स्थान पर दोष देते हुए कहता है, ‘पानी तो ठीक है भगवान जी, लेकिन इसे निकालने के लिए कोई साधन भी तो होना चाहिए।’


ऐसा कहते ही उस व्यक्ति की नजर कुएँ के बगल में पड़ी रस्सी और बाल्टी पर पड़ी। वह थोड़ी हड़बड़ाहट और घबराहट के साथ एक बार फिर आसमान की ओर देखते हुए बोला, ‘प्रभु इस पानी को मैं एक स्थान से दूसरे स्थान कैसे ले जाऊँगा।’ अभी उसकी बात ठीक से पूरी भी नहीं हुई थी कि उसे वहाँ अचानक ही ऊँट नजर आने लगा। अब वह आदमी बुरी तरह घबरा गया। उसे लगने लगा कि कहीं ईश्वर उसे रेगिस्तान में हरियाली लाने के काम में ही ना फंसा दे और उसके सारे अरमान, सारे सपने यूँही अधूरे रह जाएँ। यह विचार आते ही वह व्यक्ति बिना आसमान की ओर देखे आगे बढ़ने लगता है।


अभी वह दो-चार कदम ही चला था कि एक उड़ता हुआ पेपर का टुकड़ा उससे आकर चिपक जाता है। वह उस टुकड़े को खोलकर देखता है तो पाता है उसपर उसके नाम से एक पत्र है, जिसमें लिखा है, ‘मैंने तुम्हें पानी दिया, बाल्टी और रस्सी दी, पानी ढोने का साधन भी दिया। दूसरे शब्दों में कहूँ तो इस रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के लिए तुम्हें जो भी चाहिए था मैंने सब कुछ तुम्हें दिया। अब तुम्हारे पास हर वो चीज है, जिससे तुम इस रेगिस्तान के रूप को बदल सकते हो। अर्थात् अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है।’ चिट्ठी पढ़ वह व्यक्ति एक पल के लिए ठिठका फिर आगे बढ़ गया और वह रेगिस्तान कभी भी हरा-भरा नहीं बन पाया।


दोस्तों, अक्सर लोग चीजों के मन मुताबिक न होने पर दूसरों को दोष देते हैं। जैसे परीक्षा में परिणाम अच्छा ना आने पर शिक्षकों को, ट्रैफ़िक नियमों का पालन ना होने पर अन्य चालकों और पुलिसवालों को, व्यवस्थाओं के लिए सरकार को, करप्शन के लिए नेताओं को, अवसर ना भुना पाने पर जिम्मेदारियों या परिवार के बुजुर्गों को, रिश्ते ठीक ना होने पर सामने वाले को और इतना ही नहीं कई बार तो भगवान को। अपनी कमियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराने याने दोषारोपण की आदत के इस चक्कर में हम यह भूल जाते हैं कि ईश्वर ने हमें मनुष्य रूप में जन्म देकर अपनी असीमित क्षमताओं से नवाज़ा है, जिसकी सहायता से हम अपने सभी सपने पूरे कर सकते हैं।


हो सकता है आप में से कुछ लोगों को मेरी बात असंभव लग रही होगी और आप मन ही मन सोच रहे होंगे कि सलाह देना आसान है। मेरी परिस्थितियाँ थोड़ी भिन्न है, तो मैं आपसे कहना चाहूँगा कि जिस तरह किसी ने भी बिना चाबी के आजतक कोई ताला नहीं बनाया है, ठीक वैसे ही ईश्वर ने आज तक बिना समाधान करने की शक्ति दिए किसी को चुनौतीपूर्ण स्थिति में नहीं डाला है। याद रखियेगा, जब आप शिकायत करने या दोष देने के स्थान पर प्रयास करना शुरू कर देते हैं तब आप अपने लक्ष्य को पाने के सारे उपाय खोज लेते हैं। तो आइए साथियों, आज से शिकायत करने और दोष देने की आदत को छोड़ कर, जिम्मेदारी लेना शुरू करते हैं और अपनी सपनों की दुनिया बनाना शुरू करते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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