Aug 28, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, चलिए आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। एक दिन एक बिल्ली बाज़ार जा रही थी, तभी अचानक से उसका सामना एक भयंकर ख़ूँख़ार कुत्ते से हो गया। जिसे देखते ही बिल्ली बुरी तरह डर गई। उसे एहसास हो गया था कि आज उसकी जान को ख़तरा है। इसलिए उसने तत्काल वहाँ से जान हथेली पर रख भागने की योजना बनाई। लेकिन तभी उसे ध्यान आया कि इस वक़्त वह एक मैदान के मध्य में खड़ी है और कुत्ता उससे कई गुना अधिक शक्तिशाली और फुर्तीला है, इसलिए भाग कर जान बचाना असंभव ही होगा और वह देर-सवेर कुत्ते द्वारा दबोच ली जाएगी।
बिल्ली ने तत्काल अपनी योजना को बदला और कुत्ते के सामने गिड़गिड़ाने लगी। लेकिन कुत्ता भी बड़ा कुत्ता था, उस पर बिल्ली के गिड़गिड़ाने का कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ रहा था। वह तो बस उसका शिकार करने के लिए तैयार था। तभी अचानक चालाक बिल्ली ने उसके सामने एक प्रस्ताव रखते हुए कहा, ‘मेरे पास आपके लिये एक प्रस्ताव है। अगर आप मेरी जान बख्श देंगे, तो कल से मैं रोज़ आपके लिये भोजन का प्रबंध करूँगी।’ कुत्ते ने सोचा, ‘विचार तो बिल्ली का है बड़ा अच्छा। यह मुझे अनावश्यक रूप से रोज़ भोजन की तलाश में भटकने से बचाएगा।’ विचार आते ही कुत्ते ने बिल्ली के प्रस्ताव को तत्काल यह कहते हुए स्वीकार लिया कि अगर उसने ज़रा सी भी चालाकी करने की कोशिश करी तो परिणाम अच्छा नहीं होगा।’ बिल्ली ने तुरंत उस कुत्ते के सामने क़सम खाई और कहा कि वह किसी भी सूरत में अपना वादा निभायेगी।
आश्वस्त होते ही कुत्ते ने बिल्ली को जाने दिया और अगले दिन से ही बिल्ली द्वारा लाये भोजन पर जीने लगा। अर्थात् अब वह कुत्ता दिनभर एक ही स्थान पर लेटा रहता और समय-समय पर बिल्ली द्वारा लाया गया भोजन कर लेता। ऐसे ही कई महीने बीत गये और कुत्ता कहीं भी नहीं जाने और किसी भी तरह की भागा-दौड़ी ना करने के कारण मोटा और थुलथुला होने के साथ बहुत भारी भी हो गया। एक दिन भूख से बेहाल कुत्ता जब रोज़ की ही तरह भोजन के लिए बिल्ली के आने का इंतज़ार कर रहा था, उस दिन बिल्ली वहाँ आई ही नहीं। काफ़ी देर तक प्रतीक्षा करने के बाद कुत्ता, बिल्ली को खोजने के लिए निकल पड़ा।
अभी वह कुछ ही दूर पहुँचा था कि उसकी निगाह बिल्ली पर पड़ी जो एक बहुत ही मोटे चूहे का शिकार कर रही थी। कुत्ता क्रोध से उस पर गुर्राया और बोला, ‘धोखेबाज़ बिल्ली, तूने अपना वादा तोड़ दिया। अब मेरे ग़ुस्से को झेलने और अपनी जान को बचाने के लिए तैयार हो जा।’ इतना कह कर वह बिल्ली पर लपका, लेकिन तब तक बिल्ली पूरी तरह चौकस हो गई थी और वह बिना एक पल भी गँवाये वहाँ से भाग गई। कुत्ते ने उसका पीछा करने का प्रयास किया, लेकिन मोटापे और काफ़ी दिनों तक शरीर से काम ना लेने के कारण वह ज़्यादा देर तक बिल्ली का पीछा नहीं कर पाया और थक कर बैठ गया। कुछ ही पलों में अपनी फुर्ती और चपलता के कारण बिल्ली उसकी आँखों से ओझल हो गई।
दोस्तों, हम सब की ज़िंदगी भी ऐसी ही है, अर्थात् जीवन अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच ही चलता है। लेकिन जो इन दोनों परिस्थितियों के बीच में स्वयं के अंतर्मन को नियंत्रित रखता है, वही हर हाल में जीतता है। इसीलिए हमारे यहाँ कहा जाता है, ‘आँधी में झुकने वाला पेड़ ही आँधी को झेल पाता है।’ इसलिए दोस्तों जीवन में जब कभी आपका सामना विपरीत परिस्थितियों से हो, तो थोड़ा सा झुककर, विषमताओं को स्वीकार कर परिस्थितियों के अनुकूल होने का इंतज़ार कीजियेगा, जल्द ही आप पाएँगे कि सब कुछ आपकी इच्छा के अनुरूप होने लगा है। याद रखियेगा दोस्तों, विषम स्थितियों में झुकने का अर्थ हारना नहीं, बल्कि जीत के लिए ख़ुद को तैयार करना है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comments