Dec 20, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, यकीन मानियेगा डर को अगर सकारात्मक शक्ति के रूप में देखा जाये तो यह हमें अंतर्मन की गहराइयों में छिपे लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पहचानने में मदद कर सकता है। इसके लिए सबसे पहले आपको अपनी धारणाओं के चक्रव्यूह को तोड़कर कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आना होगा। इसलिए डर की स्थिति में ख़ुद से पूछें, ‘इस स्थिति में मुझे क्या खोने या चूकने से डर लग रहा है?’ इससे आप अपने मूल्यों और इच्छाओं को थोड़ा गहराई से जान पायेंगे। इसके साथ ही डर को सकारात्मक रूप में स्वीकार कर एक प्रेरक के रूप में देखें। ऐसा करना आपको अधिक रचनात्मक बनाता है। यकीन मानियेगा, विन्सेंट वैन गॉग से लेकर माया एंजेलो तक कई प्रसिद्ध कलाकारों और लेखकों ने सकारात्मक नजरिये को रख कर अपने डर को प्रभावशाली कार्यों में बदला था। कल हमने दोस्तों डर से सफलता पाने के लिए आवश्यक नो सूत्रों में से डर को रचनात्मक स्रोत के रूप में बदलने वाले प्रथम 3 सूत्रों को सीखा था। आइए आगे बढ़ने के पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं-
पहला सूत्र - अपने डर को स्वीकारें
डर को स्वीकार कर उसके बारे में खुलकर चर्चा करने से आपको प्रामाणिक साक्ष्य मिलते हैं, जिससे आप अपने जैसे याने डर से लाभ लेने वाले दूसरे लोगों के साथ गहरे स्तर पर जुड़ पाते है।
दूसरा सूत्र - चुनौतियाँ तय करें
डर की वजह से उपजी नई चुनौतियों को स्वीकारें; उनका सामना करें। डर का बार-बार सामना करना आपको उसके प्रति सहज बनाता है।
तीसरा सूत्र - अपने लिए सुरक्षित स्थान बनाएँ
ऐसा वातावरण बनाएँ जहाँ आप अपने डर को रचनात्मक रूप से खोज सकें। अर्थात् ऐसी जगह खोजें जहाँ लोग आपको जज ना करें। यह जर्नलिंग, पेंटिंग या समान विचारों वाले समूह से जुड़ कर हो सकता है।
आइए दोस्तों अब हम अगले छह सूत्रों पर चर्चा कर लेते हैं-
चौथा सूत्र - विफलता को सीख के रूप में देखें
विफलता को देखने का नजरिया बदलना, इसे किसी सपने के अंत से एक नए सपने की शुरुआत बना देता है। एक रिसर्च बताती है कि लगभग 90% सफल उद्यमियों ने सफलता प्राप्त करने से पहले कम से कम एक महत्वपूर्ण विफलता का सामना किया है। इन रणनीतियों को लागू करके, आप डर के इर्द-गिर्द अपनी सफलता की कहानी को पुनः हकीकत में बदल सकते हैं। जी हाँ सही पढ़ा आपने दोस्तों, विफलता को सीख के रूप में देख कर हम इसे रचनात्मक स्व प्रेरणा के फव्वारे में बदल सकते हैं। इसके लिए आपको निम्न सूत्रों को अपनाना होगा-
पाँचवाँ सूत्र - व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए अनिश्चितता को अपनाना
अनिश्चितता रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा है, और इसे स्वीकार करने से गहन व्यक्तिगत संतुष्टि हो सकती है। जब हम जानते और स्वीकारते हैं कि भविष्य अप्रत्याशित है, तो हम खुद को विस्तृत योजनाएँ बनाने की आवश्यकता से मुक्त कर लेते हैं। यह स्वीकृति हमें अनिश्चितता को एक बाधा के बजाय अन्वेषण के एक मार्ग के रूप में देखने की अनुमति देती है। अनिश्चितता को प्रभावी ढंग से स्वीकार करने के लिए, निम्न सूत्रों को अपनाएँ-
छठा सूत्र - माइंडफुलनेस का अभ्यास करें
ध्यान या गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसे माइंडफुलनेस आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। शोध से पता चलता है कि माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से चिंता का स्तर 58% तक कम हो सकता है, जिससे आपको वर्तमान में स्थिर रहने में मदद मिलती है।
सातवां सूत्र - नए अनुभवों के लिए खुले रहें
अपनी दिनचर्या से अलग हटकर नए अवसरों की खोज करें। चाहे वह किसी नए शहर की यात्रा करना हो या कोई नया शौक अपनाना हो, प्रत्येक अनुभव एक नया दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।
आठवाँ सूत्र - लचीलापन विकसित करें
लचीलापन चुनौतियों का सामना करने के लिए ख़ुद को तैयार करता है। इसी तरह, पिछली स्थितियों पर चिंतन करना जहाँ आपने अनिश्चितता को सफलतापूर्वक पार किया था, आपको अपनी ताकत और क्षमता की याद दिला सकता है।
नवाँ सूत्र - लचीले लक्ष्य निर्धारित करें
कठोर लक्ष्य निर्धारित करने के बजाय, अपने लक्ष्यों में लचीलापन रखें। यह अनुकूलनशीलता आपको अनिश्चितताओं से निपटने और उन जुनूनों को तलाशने में मदद कर सकती है, जो आपको एक ही रास्ते तक सीमित रहने के डर के बिना आपके साथ प्रतिध्वनित करते हैं।
अनिश्चितता को स्वीकार करना आपको अपने मूल अस्तित्व को पहचानने में मदद करता हैं। यह मानसिकता आपको पारंपरिक आकांक्षाओं से आगे बढ़ने और वास्तव में अपने अंदर छिपी क्षमताओं को पहचानने की अनुमति देती है।
अंत में दोस्तों मैं सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूँगा कि डर, जिसे सामान्यतः नकारात्मक नजरिये से देखा जाता है, को अगर सकारात्मक रूप में ले लिया जाये तो यह हमें अधिक जुनूनी बना सकता है और हमें अपने सपनों को हक़ीक़त में बदलने में मदद कर सकता है। इसलिए दोस्तों डर से डरने के स्थान पर इसे स्पष्टता प्रदान करने वाली शक्ति के रूप में देखें। इसे स्वीकार कर रचनात्मक ऊर्जा में बदलें और जीवन की अनिश्चितताओं को स्वीकारें। यकीन मानियेगा ऐसा करना आपको अधिक संतोषप्रद जीवन जीने में मदद करेगा। जी हाँ दोस्तों, डर को अवरोध की जगह मार्गदर्शक के रूप में देखें। इसके लिए अपने कम्फर्ट ज़ोन को छोड़ें, अपनी कमजोरियों को स्वीकारें और डर की सहायता से सफलता का मार्ग प्रशस्त करें। रास्ता अनिश्चित हो सकता है, लेकिन यकीन मानियेगा, उन अनिश्चितताओं के भीतर आपके सच्चे जुनून और उद्देश्य को उजागर करने की क्षमता निहित है।
दोस्तों, अगर आप डर के साथ अपने रिश्ते को बदल लेते हैं, तो आप अपनी छिपी हुई क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं और पूर्णता के ऐसे रास्ते खोज सकते हैं जिनके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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