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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

तनाव व दबाव को सम्भालने के 10 प्रभावी सूत्र - भाग 2


May 11, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


भागदौड़ भरी इस ज़िंदगी में जहाँ हर कोई एक दूसरे से बेहतर करना चाहता है या सीधे शब्दों में कहूँ तो आगे निकलना चाहता है। ऐसे में तनाव और दबाव होना स्वाभाविक ही है। अब यह हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन गया है, फिर भले ही आप छात्र, नौकरी पेशा, व्यवसायी या कला साधक ही क्यूँ ना हो। एक रिसर्च बताती है कि आज तनाव और दबाव से हमारे समाज का लगभग हर वर्ग किसी ना किसी रूप में प्रभावित है। हालाँकि हम सब जानते हैं कि तनाव और दबाव किसी भी सूरत में हमारे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन इसके बाद भी बिना अथवा कम तनाव या दबाव वाला कार्य खोज पाना लगभग असम्भव ही है। अपितु जीवनशैली में छोटे-मोटे बदलाव व प्रभावी रणनीतियों के साथ यथार्थवादी दृष्टिकोण की सहायता से हम इसे कम या प्रबंधित करके अपने जीवन के लिए लाभप्रद बना सकते हैं। कल हमने तनाव व दबाव को कम करने या उन्हें डील करने की अपनी क्षमता बढ़ाने के 10 प्रभावी सूत्रों में से पहले 4 सूत्र सीखे थे। आईए, आगे बढ़ने से पहले उन्हें दोहरा लेते हैं-


पहला सूत्र - धीमी और स्वस्थ शुरुआत करें

सुबह परिवार के साथ चाय, व्यायाम, पौष्टिक नाश्ते आदि को नज़रंदाज़ करते हुए, भागते दौड़ते कार्यालय पहुँचना और दिन की शुरुआत तनाव और दबाव के साथ करना, हमें तनाव के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील बनाता है। इसके विपरीत सुबह थोड़ा जल्दी उठकर उपरोक्त कार्यों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ करते हुए, दिन की धीमी, स्वस्थ, समयानुकूल, सकारात्मक शुरुआत करना, अनावश्यक तनाव व दबाव को कम करता है।


दूसरा सूत्र - प्राथमिकताएँ तय करने की आदत बनाए

सामान्यतः हम लोग अपना ज़्यादातर समय, ऊर्जा और दिमाग़ उन कार्यों में लगाते हैं जो हमें जीवन में ना तो आगे बढ़ाते है और ना ही ज़रूरी होते है। समय और ऊर्जा का सही तरीक़े से प्रबंधन ना कर पाना हमारे जीवन में दबाव और तनाव को बढ़ा देता है। इसके स्थान पर अपनी प्राथमिकताएँ तय करते हुए, प्रतिदिन सबसे पहले उन कार्यों को पूर्ण करें जो हमें जीवन में आगे बढ़ाते हैं। उसके बाद प्राथमिकता उन कार्यों को दें जो आपको जीवन में आगे तो नहीं बढ़ाते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करना ज़रूरी होता है।


तीसरा सूत्र - शांत रहें

हर हाल में शांत रहना आसान तो नहीं है लेकिन निश्चित तौर पर फ़ायदेमंद है। इस लक्ष्य को दैनिक अभ्यास के साथ पाया जा सकता है। शांत रहकर ही विपरीत और मुश्किल परिस्थितियों में जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है। यह हमें विपरीत परिस्थितियों और नकारात्मक भावों के बीच संतुलित रहकर, उत्पादकता बरकरार रखने में मदद करता है।


चौथा सूत्र - फ़ोकस्ड रहें

प्राथमिकताओं के अभाव में कई बार हम अपना समय, ऊर्जा और क्षमता को तात्कालिक अनुपयोगी लक्ष्यों की पूर्ति में अक्सर बर्बाद कर, अपने ऊपर तनाव और दबाव बढ़ा लेते हैं। इसके ठीक विपरीत, नकारात्मक भावों के बीच अर्थात् विपरीत और मुश्किल परिस्थितियों में अपने मुख्य लक्ष्य के प्रति फ़ोकस्ड रहना आपको दृढ़ बनाकर, उत्पादकता बरकरार रखने या बढ़ाने में मदद कर, तनाव और दबाव को सकारात्मक रूप से डील करने में मदद करता है।


चलिए दोस्तों, अब हम तनाव व दबाव को सम्भालने के अगले 3 प्रभावी सूत्र सीखते हैं-


पाँचवाँ सूत्र - खुद के लिए समय निकालें

आज जब दबाव और तनाव हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है ऐसे में हमें इससे उबरने या इसे लाभदायक बनाने के लिए खुद को रीचार्ज करना होगा। जिस तरह बैटरी से चलने वाले डिजिटल उपकरणों को समय-समय पर चार्ज करना पड़ता है ठीक उसी तरह अपने पसंदीदा कार्य, परिवार, अथवा व्यक्तिगत ज़रूरतों के लिए छोटा ब्रेक लेना या समय निकालना आपको दबाव व तनाव भरे माहौल से अलग कर रीचार्ज करता है।


छठा सूत्र - विवाद से बचें

विवाद हमेशा ही पारस्परिक सौहार्द बिगाड़ते हुए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर नुक़सान पहुँचाता है। अगर विवाद परिवार के सदस्यों अथवा सहकर्मियों के बीच हो तो स्थिति और मुश्किल हो जाती है। इसलिए जहाँ तक सम्भव हो, दूसरों के विचार, कार्य करने के तरीके और निर्णय का सम्मान करें, किसी पर भी व्यक्तिगत टिप्पणी ना करें और ना ही सार्वजनिक स्थल पर किसी का मज़ाक़ बनाएँ। नकारात्मक अथवा गलत व्यवहार करने वाले लोगों, धर्म और राजनीति या ऐसे ही अन्य विषयों पर व्यक्तिगत राय देने से बचें। इतना सब करने के बाद भी अगर विवाद में पड़ना पड़े, तो उसे पूरी संजीदगी के साथ, सजग रहते हुए उचित तरीके से निपटाएँ।


सातवाँ सूत्र - अपनी सीमाएँ तय करें

यदि आप अत्यधिक कार्य, अपेक्षाओं अथवा किसी भी अन्य वजह से दबाव महसूस कर रहे हैं तो समझ जाए कि सीमाएँ तय करने का समय आ गया है। अगर यह अतिरिक्त कार्य या अपेक्षाएँ आपके कार्यस्थल से सम्बंधित हैं, जिसकी वजह से आप स्वयं को चौबीसों घंटे, सातों दिन ऑन-कॉल महसूस कर रहे हैं तो कार्यालयीन फ़ोन, ईमेल आदि का जवाब देने का समय तय करें और अगर यह सम्भव नहीं है तो दिन में कुछ घंटे अपने फ़ोन और कम्प्यूटर से दूर रहना शुरू करें। बचे हुए समय को अपने परिवार के सदस्यों या मित्रों के साथ बाटें। ठीक इसी तरह विभिन्न कार्यों को पूर्ण करने का समय तय कर दें और अगर किसी वजह से यह उस समय में पूर्ण नहीं हो पा रहा है तो उस वक्त उसे छोड़ दें और बचे हुए कार्य के लिए कोई और वक्त तय कर दें। अगर आप अपनी व्यस्तताओं की वजह से परिवार या मित्रों को समय नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें इस विषय में बताए और इस बात का एहसास दिलाए कि आप उनके बारे में सोच रहे हैं और कार्य की प्राथमिकताएँ पूर्ण करने के बाद आप इस समय की पूर्ति करेंगे।


आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम तनाव व दबाव को सम्भालने के अंतिम 3 प्रभावी सूत्र सीखेंगे-

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