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तोता नहीं बाज़ बनिए…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Jul 24
  • 2 min read

July 24, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

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दोस्तों, यकीन मानियेगा प्रकृति हमें जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी बातों को बहुत ही अच्छे और आसान तरीक़े से समझाती है। उदाहरण के लिए प्रकृति हमसे कहती है कि “अपनी सोच बदलो और तोता नहीं, बाज़ बनो।” नहीं समझ पाये? चलिए कोई बात नहीं इस पर हम थोड़ा गहराई से बात कर लेते हैं।


दोस्तों, अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि तोता बहुत बोलता है, लेकिन ऊँचा नहीं उड़ सकता। इसके विपरीत बाज़ आपको एकदम चुप और शांत नजर आएगा, लेकिन जब उड़ान भरेगा, तो आसमान को छूता प्रतीत होगा। इतना ही नहीं दोनों के जीवन जीने का तरीका भी एकदम अलग है। तोता जो सुनता है, उसे रटता है; उसे दोहराता है। वह उसपर कभी अमल नहीं करता। याने वह खुले पिंजरे में मजे से रहते हुए आज़ादी की बातों को दोहराता नजर आ सकता है।


इसके विपरीत बाज़, तेज़ नजरों से देखता है, सोचता है, योजनाबद्ध तरीके सही वक्त पर अपने पंख फैलाकर उड़ता है; अपना शिकार करता है और जब भी मौसम ख़राब नजर आता है ख़ुद को आसमान की ऊंचाइयों पर ले जाकर याने बादलों से ऊपर जाकर आराम से शांति से उड़ता है। इसलिए ही दोस्तों मैंने शुरुआत में कहा था, “जीवन में अगर ऊँचाई तक पहुँचना है, तो बाज़ बनना ज़रूरी है।”


दोस्तों, निश्चित तौर पर आपने देखा होगा, कई लोग बहुत ज्यादा बोलते हैं। वे हर विषय पर अपनी राय रखते हैं, हर बात में हस्तक्षेप करते हैं, हर समय खुद को जताने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या सिर्फ बोलने से सफलता मिलती है? नहीं!सफलता मिलती है सोचने से, समझने से और समय पर सही दिशा में उड़ने से। चलिए इसी बात को एक उदाहरण से समझते हैं, दो विद्यार्थी हैं; एक दिन भर सबके सामने बोलता रहता है, “मैं ये करूँगा, वो बनूँगा, इतने नंबर लाऊँगा।” वहीं दूसरा चुपचाप पढ़ाई करता है, योजना बनाता है और मेहनत करता है। परीक्षा के दिन वो बाज़ बनकर उड़ान भरता है और परिणामस्वरूप अच्छे नंबर लाता है और जीतता है।


दोस्तों, यही फर्क है तोते और बाज़ में। तोता सबको दिखाता है, बाज़ सिर्फ एक बार उड़ता है लेकिन सबका ध्यान खींच लेता है। आज के इस बदलते डिजिटल युग याने सोशल मीडिया, रील्स और स्टोरीज़ के दौर में हममें से कई लोग भी सिर्फ तोता बने जा रहे हैं। याने सब लोग बोल बहुत कुछ रहे हैं; बहुत कुछ दिखा भी रहे हैं, लेकिन हकीकत में कर्म उसके अनुसार नहीं कर रहे हैं। आप ख़ुद ही सोच कर देखिए ऐसे में क्या वे लंबी छलांग लगा पाएंगे? ऊँचा उड़ पाएंगे? मेरी नजर में तो नहीं।


दोस्तों, अगर ऊँचा उड़ना है तो तीन नियम अपनाओ। पहला, चुपचाप तैयारी करो। दूसरा, समय आने पर बोलो और कर के दिखाओ और तीसरा, दूसरों से तुलना मत करो, अपनी उड़ान पर ध्यान दो।


दोस्तों, अगर आपको आसमान छूना है, तो तोते की तरह बोलना बंद कीजिए और बाज़ की तरह चुप रहकर पंख फैलाइए और एक ऊँची उड़ान भरिए फिर देखियेगा एक दिन दुनिया खुद-ब-खुद आपके लिए तालियाँ बजाएगी।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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